
Madhya Pradesh News: पंजाब-हरियाणा की तर्ज पर अब मध्यप्रदेश में निजी स्कूल-कॉलेजों में काम करने वाले शिक्षक व अन्य स्टॉफ की समस्या के निराकरण की कानून सम्मत व्यवस्था की जाएगी. मप्र के लॉ सेक्रेटरी मुकेश कुमार ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ मे चल रही जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस पुष्पेंद्र यादव की डिवीजन बेंच को बताया कि ऐसे मामलों की सुनवाई के लिए जिला न्यायाधीश को अधिकृत किया जाएगा. इसके लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है.
नोटिफिकेशन जारी करने की तैयारी
जिला न्यायाधीशों को नोटिफाई करने के लिए प्रशासकीय स्वीकृति मांगी है. इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी करने की तैयारी है. ये व्यवस्था तब तक रहेगी, जब तक मप्र में शैक्षणिक ट्रिब्यूनल का गठन नहीं होता. जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए हाई कोर्ट ने अगली सुनवाई दो माह बाद नियत की है.
हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. इसमें बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी निजी स्कूल व कॉलेजों में कार्यरत समस्त स्टाफ की समस्या के निराकरण के लिए ट्रिब्यूनल का गठन नहीं किया गया है.
सुनवाई के दौरान उच्च शिक्षा विभाग के एसीएस अनुपम राजन, सचिव संजय गोयल व अन्य अधिकारी भी वीसी के माध्यम से सुनवाई में शामिल हुए. सुनवाई के दौरान एसीएस अनुपम राजन ने बताया कि मप्र विवि अधिनियम 1973 में इस प्रकार की शिकायतों के निराकरण के लिए प्रबंध का प्रावधान है. हालांकि, वे यह नहीं बता सकें कि इन संस्थानों के कितने कर्मचारियों ने शिकायत की और कितनों का निराकरण हुआ?
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