Govardhan Puja in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश में गाेवर्धन पूजा (Govardhan Puja 2024) को लेकर जमकर तैयारियां चल रही हैं. सरकार पूरे उत्साह के साथ इस पर्व को मनाने का आदेश जारी कर चुकी है. वहीं मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने गोवर्धन पूजा की तैयारी में मुख्यमंत्री निवास (CM House) में गौवंश की पूजा कर उनका साज-श्रृंगार किया. गोवर्धन पूजा में कृषि और समृद्धि के प्रतीक गौवंश की पूजा और उन्हें सजाने का विधान है, इसका आध्यात्मिक महत्व भी है. सीएम मोहन यादव को गायों से काफी लगाव है तभी तो मुख्यमंत्री निवास स्थित गौशाला (Gaushala) में देश में पाई जाने वाली प्रमुख नस्लों जैसे गिर (Gir), साहिवाल, पुंगनूर, मालवी, थारपरकर आदि गौवंश मौजूद हैं.
जय हो मैया!
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) October 31, 2024
दीपावली के शुभ अवसर पर निवास स्थित गौशाला में सर्वसुखदायिनी गौ माता की सेवा की...
गौवंश की सेवा एवं उनके संरक्षण के लिए हमारी सरकार संकल्पित है। उसी कड़ी में 2 नवंबर को मध्यप्रदेश सरकार हर्षोल्लास के साथ प्रदेश की सभी गौशालाओं में गोर्वधन पूजा का आयोजन करने जा रही… pic.twitter.com/nLcEQgPbDo
प्रदेश की सभी गौशालाओं में होगी गोर्वधन पूजा : CM
सीएम मोहन यादव ने कहा कि जय हो मैया! दीपावली के शुभ अवसर पर निवास स्थित गौशाला में सर्वसुखदायिनी गौ माता की सेवा की. गौवंश की सेवा एवं उनके संरक्षण के लिए हमारी सरकार संकल्पित है. उसी कड़ी में 2 नवंबर को मध्यप्रदेश सरकार हर्षोल्लास के साथ प्रदेश की सभी गौशालाओं में गोर्वधन पूजा का आयोजन करने जा रही है.
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज दीपावली के शुभ अवसर पर निवास स्थित गौशाला में सर्वसुखदायिनी गौ माता की सेवा की...@DrMohanYadav51#CMMadhyaPradesh #MadhyaPradesh #मध्यप्रदेश pic.twitter.com/5HqklOWlQC
— Chief Minister, MP (@CMMadhyaPradesh) October 31, 2024
सीएम ने आध्यात्मिक और सांस्कृतिक चेतना की स्त्रोत गौमाता की सेवा, सम्मान एवं संवर्धन के लिए प्रदेश की सभी गौ-शालाओं में गोवर्धन पूजा के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए हैं. गौवंश रक्षा वर्ष के अंतर्गत 2 नवम्बर को सभी जिलों में गौ-शालाओं में कार्यक्रम होंगे. इनमें मंत्रीगण तथा स्थानीय जनप्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
गोवर्धन पूजा का महत्व (Govardhan Puja 2024)
कार्तिक माह में दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा होती है. यह पूजा गोवर्धन पर्वत और गौधन से संबंधित है. गोबर से पर्वत और बैलों की आकृतियां बनायी जाती हैं. एमपी के मालवा में भील आदिवासी पशुओं के सामने अवदान गीत होड़ गाते हैं. गौड़ या भूमिया जैसी जातियां यह पर्व नहीं मनाती पर पशु पालक अहीर इस दिन खेरदेव की पूजा करते हैं. चंद्रावली नामक कथागीत भी इस अवसर पर गाया जाता है.
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