Stranded MP Passenger In Nepal: नेपाल की बाढ़ में फंसे सभी रीवा, जबलपुर और डिंडोरी के यात्री सुरक्षित हैं और सभी भारतीय सीमा की ओर निकल पड़े हैं और जल्द ही भारत के लिए रवाना कर दिए जाएंगे. दरअसल, बाढ़ की विभीषिका झेल रहे नेपाल में तीर्थयात्रा पर गए मध्य प्रदेश के पैसेंजर वहां बुरी तरह फंस गए थे, जिन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे.
गौरतलब है नेपाल में आई भीषण बाढ़ में न सिर्फ स्थानीय, बल्कि वहां तीर्थयात्रा के लिए गए तीर्थयात्रियों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है. नेपाल में जबलपुर और डिंडोरी जिले से पशुपतिनाथ मंदिर के दर्शन के लिए गए बरहैया परिवार आपदा की चपेट में आ गया, लेकिन काफी कोशिश के बाद उन्हें भारतीय दूतावास के कोई मदद नहीं मिल पा रही थी.
परिवार समेत नेपाल में फंसे डाक्टर राकेश बरहैया ने घर भेजा शुभ संदेश
नेपाल की बाढ़ की विभीषिका में बुरी तरह परिवार समेत फंसे डा. राकेश बरहैया ने बताया कि नेपाल से बाहर निकालने के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन वहां से उन्हें कोई मदद नहीं मिली. गत मंगलवार को जबलपुर के वेटरनरी कॉलेज में प्राध्यापक ने एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि उनका परिवार फिलहाल सुरक्षित है और बुधवार को भेजे एक वीडियो संदेश में परिवार समेत नेपाल-भारत बार्डर पर पहुंचने की सूचना साझा की.
दूतावास से नहीं मिली मदद, नेपाल प्रशासन की मदद से बाहर निकला परिवार
डा. बैरहैया के मुताबिक बाढ़ की विभीषिका फंसे उनके परिवार की नेपाली प्रशासन ने बड़ी मदद प्रदान की, लेकिन भारतीय दूतावास से मदद पाने की उनकी हर कोशिश नाकाम रही. उन्होंने कई बार भारतीय दूतावास से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन हर बार निराशा ही हाथ लगी. राकेश ने कहा कि उनका मोबाइल भी बंद हो गया था, जिसके बाद किसी दूसरे के फोन से संपर्क किया गया, लेकिन वहां से कोई मदद नहीं मिली.
नेपाल की बाढ़ में 4 दिन तक बिना भोजन और पानी के फंसा रहा पूरा परिवार
डा. राकेश और उनका परिवार गत 27 सितंबर को काठमांडू के लिए रवाना हुआ था. यात्रा के दौरान सिंधोली के पास भारी बारिश और लैंडस्लाइडिंग के कारण उनकी गाड़ी फंस गई. इस विपरीत परिस्थिति में उनका परिवार 4 दिनों तक बिना भोजन और पानी के फंसा रहा था. राकेश बताते हैं कि उनके बच्चों को लूज मोशन हो गया और उनकी मां को बुखार चढ़ गया था, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई थी.
भारतीय दूतावास की अनदेखी से परिवार नाराज, बार-बार संपर्क किया, लेकिन...
डा. राकेश ने बताया कि उन्होंने मदद के लिए भारतीय दूतावास से संपर्क किया, लेकिन वहां से उन्हें कोई सहायता नहीं मिली. बकौल डा. राकेश, "हमने बार-बार भारतीय दूतावास से संपर्क किया, लेकिन हमारी मदद के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया, जबकि नेपाली सेना ने उनके परिवार को हेलीकॉप्टर से अस्पताल पहुंचाया और उन्हें सुरक्षित स्थान पर भेजने के बाद उनके लिए परिवार के लिए भोजन और अन्य सुविधाओं की भी व्यवस्था की.
बारिश और लैंड स्लाइडिंग के बीच डाक्टर परिवार के भारत लौटने की चुनौती
राकेश ने बताया कि नेपाल से भारतीय सीमा तक पहुंचने की यात्रा अब भी एक चुनौती बनी हुई है. बाढ़ और लैंडस्लाइडिंग के कारण सड़कें टूट गई हैं, जिससे काठमांडू से भारतीय सीमा तक की यात्रा बहुत कठिन हो गई है. परिवार को सुरक्षित भारत लौटाने की कोशिश जारी है, लेकिन यात्रा की कठिनाइयों ने इसे और चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
जबलपुर जिला प्रशासन के लगातार संपर्क में था नेपाल फंसा डाक्टर परिवार
जबलपुर जिला प्रशासन नेपाल की बाढ़ में फंसे डाक्टर परिवार के लगातार मदद कर रहा था. जबलपुर के कलेक्टर दीपक सक्सेना और अतिरिक्त कलेक्टर मीशा सिंह लगातार राकेश और उनके परिवार से संपर्क में रहे और उनकी सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. कलेक्टर ने बताया कि भारतीय सीमा में प्रवेश करते ही अधिकारी उन्हें सुरक्षित लाने की कोशिश करेंगे.