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Ganga Dussehra 2024: शिप्रा तीर्थ परिक्रमा की तैयारियां पूरी, CM ने कहा उज्जैन में होगा विशेष आयोजन

Ganga Dussehra 2024: मध्य प्रदेश में मैपकास्ट के सहयोग से सेटेलाइट मैपिंग भी की गई है. विशेष फोल्डर एवं पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं. प्रदेश की 212 महत्वपूर्ण नदियों के संबंध में विस्तृत जानकारियों का समावेश इन प्रकाशनों में किया गया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा गंगा दशमी के अवसर पर चार पुस्तकों का विमोचन भी किया जाएगा.

Ganga Dussehra 2024: शिप्रा तीर्थ परिक्रमा की तैयारियां पूरी, CM ने कहा उज्जैन में होगा विशेष आयोजन

Ganga Dussehra: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Madhya Pradesh) डॉ मोहन यादव (CM Dr Mohan Yadav) ने 15 और 16 जून को उज्जैन (Ujjain) में मां शिप्रा तीर्थ परिक्रमा एवं गंगा दशहरा (Ganga Dussehra 2024) के कार्यक्रमों की विस्तारपूर्वक जानकारी अधिकारियों से ली है. सीएम मोहन यादव (CM Mohan Yadav) ने दत्त अखाड़ा एवं रामघाट (Ram Ghat Ujjain) पर होने वाले कार्यक्रमों में श्रद्धालुओं की भागीदारी को देखते हुए सभी जरूरी व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए हैं. शिप्रा घाट पर पूजन और चुनरी अर्पण, सुविधायुक्त मंच के निर्माण, श्रद्धालुओं के लिए आने-जाने से संबंधित सुविधाओं और विभिन्न पड़ाव स्थलों पर जरूरी प्रबंध के निर्देश भी दिए गए. मां शिप्रा तीर्थ परिक्रमा के पूर्व यात्रा मार्ग में विभिन्न घाटों की सफाई एवं आवश्यक सुरक्षा के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया गया है.

क्या है गंगा दशहरा 2024 की तिथि-शुभ मुहूर्त (Ganga Dussehra 2024 Date Shubh Muhurat)

हिंदू पांचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ महीने के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि पर गंगा दशहरा मनाया जाता है. इस दिन श्रद्धालु गंगा मैया की पूजा, स्नान व दान करते हैं. जानकारों की माने तो इस साल 16 जून को 2 बजे के आस-पास गंगा दशहरा शुरु हो रहा है जबकि इसका अंत 17 जून को सुबह 04 से 5 बजे के बीच पर होगा. इस तरह उदयातिथि को आधार मानते हुए गंगा दशहरा 16 जून को होगा.

उज्जैन में क्या होगा?

मध्य प्रदेश सरकार में संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने बताया कि गंगा दशमी पर नमामि गंगे सदानीरा अभियान से जुड़ी गतिविधियां हो रही हैं. पारम्परिक शिप्रा परिक्रमा को अभिनव स्वरूप दिया गया है. शिप्रा तट पर सांगीतिक प्रस्तुति, पारम्परिक कथा गायन परम्परा का निर्वहन भी होगा. नदियों के सांस्कृतिक एवं पारम्परिक तथा लोक साहित्य के अध्ययन, ऐतिहासिक पारम्परिक जल संरचनाओं को सतत् प्रवाहमान बनाए रखने के लिए सुझावों का संकलन किया गया है. इंजीनियरिंग पक्ष का अध्ययन भी किया गया है. अभियान का दस्तावेजीकरण और प्रकाशन किया गया है.

मैपकास्ट के सहयोग से सेटेलाइट मैपिंग भी की गई है. विशेष फोल्डर एवं पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं. प्रदेश की 212 महत्वपूर्ण नदियों के संबंध में विस्तृत जानकारियों का समावेश इन प्रकाशनों में किया गया है. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव द्वारा गंगा दशमी के अवसर पर चार पुस्तकों का विमोचन भी किया जाएगा.

गंगा दशहरा का महत्व 

ऐसा माना जाता है कि जो गंगा दशहरा के दिन स्नान और दान करने से भक्तों को शुभ फल मिलता है. गंगा दशहरा पर पूजा-पाठ करने, कथा सुनने, गंगा आरती और पवित्र गंगा में डुबकी लगाने से मोक्ष मिलता है. इस दिन दान में अन्न, फल, जल, गंगा नदी को श्रृंगार सामग्री, घी, नमक, शक्कर और वस्त्र दान में देना शुभ माना जाता है.

गंगा दशहरा कथा (Ganga Dussehra Katha)

गंगा दशहरा के दिन मां गंगा ने पृथ्वी यानी धरती पर अवतरण किया था. तब भगवान भोलेनाथ (Lord Shiva) की जटाओं से निकलकर गंगा पृथ्वी पर उतरी थीं. पौराणिक कथा के मुताबिक, भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्म देव ने भगीरथ को मन चाहा वरदान मांगने के लिए कहा था. भगीरथ ने मां गंगा को मांग लिया. तब ब्रह्म देव ने कहा था कि क्या पृथ्वी गंगा के वेग व भार को संभाल सकेंगी. इसके लिए भगवान शिव से विनती की गई. उसके बाद ब्रह्म देव के कमंडल से निकलकर गंगा ने भगवान शिव की जटाओं से होते हुए धरती पर अवतरण किया. 

गंगा दशहरा पूजा विधि (Ganga Dussehra Puja Vidhi)

गंगा दशहरा के दिन सुबह जल्दी उठ कर गंगा स्नान करें. अगर गंगा मां का स्नान नहीं कर सकते तो घर पर ही गंगाजल लेकर बाल्टी में डाल दें उसके बाद उसी पानी से स्नान कर लें. स्नान के बाद तांबे के लोटे या पात्र में गंगा जल लेकर उसमें  अक्षत (चावल) और पुष्प-फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें. साथ ही गंगा आरती कर मंत्रों का जाप करें.

गंगा आरती (Ganga Aarti)

गंगा मां की आरती – ॐ जय गंगे माता

ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता
ॐ जय गंगे माता

चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता
शरण पड़े जो तेरी , सो नर तर जाता
ॐ जय गंगे माता

पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता
ॐ जय गंगे माता

एक ही बार जो तेरी, शरण गति आता
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता
ॐ जय गंगे माता

आरति मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता
दास वही सहज में, मुक्ति को पाता
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता...

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