
Cyber fraud news: मध्यप्रदेश पुलिस ने एक इंटरनेशनल साइबर गिरोह का भंडाफोड़ किया है. गिरोह का 'बॉस' थाईलैंड में बैठकर भारत के लोगों को इंटरनेट कॉल के जरिए डराकर ठगी करता था. ये गिरोह कभी CBI अधिकारी तो कभी पुलिस अधिकारी बनकर मासूम लोगों की जिंदगी भर की कमाई लूट लेता था. फिलहाल इस गैंग के दो सदस्यों जिसमें एक इंजीनियर और उसका ड्राईवर शामिल है उसे गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने इनके कब्जे से 12 सिम बॉक्स, 17 सौ सिम कार्ड, लैपटॉप, मोबाइल और थाईलैंड करेंसी बरामद किया है.
कैसे हुआ खुलासा?
दरअसल कुछ दिन पहले पन्ना की एक महिला को डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर 14 लाख की ठगी करने का मामला सामने आया था.इसी मामले की जांच के क्रम में पन्ना पुलिस ने दो आरोपियों को मुंबई से गिरफ्तार किया. इसके बाद जैसे-जैसे पुलिस जांच आगे बढ़ी, सामने आया एक इंटरनेशनल साइबर गिरोह का पूरा नेटवर्क — जो थाईलैंड और कंबोडिया में बैठे 'बॉस' के इशारों पर भारत में मासूमों को लूट रहा था.

मुंबई से पकड़े गए इंजीनियर ऋषिकेश हसूरकर और उसका ड्राइवर सुरेश के बारे में पुलिस जानकारी भी साझा की. जिसके मुताबिक दोनों Telegram के जरिए थाईलैंड और कंबोडिया में बैठे अंतरराष्ट्रीय साइबर ठगों से जुड़े थे. बताया गया है कि ऋषिकेश हर महीने सैकड़ों एयरटेल सिम लेकर विदेश जाता था. जहां वो गिरोह के सरगना जिसे “बॉस” कहा जा रहा है उससे मिलता था. जिसके बाद वो भारत में पीड़ितों को सिम बॉक्स के जरिये घेरता था. आगे बढ़ने से पहले ये जान लेते हैं कि ये सिम बॉक्स होता क्या है?

आरोपियों के पास मुंबई में 3 फ्लैट थे
सिम बॉक्स एक प्रतिबंधित GSM वीओआईपी डिवाइस होता है, जिससे इंटरनेट कॉल को लोकल कॉल की तरह बदला जा सकता है. इसी तकनीक से देशभर में लोगों को CBI या पुलिस अधिकारी बनकर धमकाया जाता था. पन्ना के SP साईं कृष्णा थोटा ने महिला के साथ हुई ठगी की भी जानकारी दी. जिसके मुताबिक महिला के पास फ़ोन आया था कि आपके अकाउंट में संदिग्ध एक्टिविटी देखी गई है. जिसके बाद वो डर गई और ठगों को 14 लाख रुपये दे दिए. हालांकि बाद में उसे लगा कि उसे ठग लिया गया है. इसके बाद उसने पन्ना पुलिस से संपर्क किया. SP थोटा के मुताबिक पकड़े गए आरोपियों के पास तीन फ्लैट थे. जिसमें से एक को वे कॉल सेंटर के तौर पर चला रहे थे.
फर्जी कर्मचारियों के नाम लिए सैकड़ों सिम
अब पुलिस ने इस गिरोह के अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की परतें खोलनी शुरू कर दी हैं. पुलिस को ऋषिकेश के नाम पर दर्जनों शेल कंपनियों के दस्तावेज़ मिले हैं. इन्हीं कंपनियों के फर्जी कर्मचारियों के नाम पर ही उसने सैकड़ों सिम कार्ड लिए थे. ऐसा लगता है कि ऋषिकेश इन सिम को थाईलैंड में बैठे सरगना को बेच देता था. इस मामले में हम स्टेट साइबर टीम की भी मदद ली जा रही है. पुलिस का मानना है कि गैंग का पर्दाफाश होने से कई आरोपियों तक पहुँचा जा सकेगा. फिलहाल, पुलिस इस ठगी का शिकार हुए अन्य पीड़ितों की तलाश कर रही है. लेकिन जो बात सबसे चौंकाने वाली है — वो ये कि ये पूरा नेटवर्क भारतीय टेक्नोलॉजी और कनेक्टिविटी का इस्तेमाल कर विदेश से भारतीयों को लूटने में लगा था — और देश में बैठे 'ड्राइवर' और 'इंजीनियर' ठगी के मोहरे बन चुके थे.
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