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Gwalior Hospital Fire: चिट्ठी पर चिट्ठी लिखीं पर जवाब नहीं, खराब वायरिंग से कमला राजा हॉस्पिटल में लगी आग

Gwalior Hospital Fire Case: केआरएच में लगी आग में भले ही किसी भी तरह की जनहानि नहीं हुई हो, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी इसे लेकर हरकत में आ गए हैं. केआरएच, न्यूरोलॉजी-न्यूरोसर्जरी की पुरानी वायरिंग बदली जा सके, इसलिए भोपाल भेजे गए प्रस्ताव को लेकर कलेक्टर रुचिका चौहान ने भोपाल में वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा की है. उम्मीद जताई जा रही है कि जेएएच प्रशासन द्वारा ढाई साल से भेजे जा रहे प्रस्ताव को भोपाल से स्वीकृति मिल सकती है.

Gwalior Hospital Fire: चिट्ठी पर चिट्ठी लिखीं पर जवाब नहीं, खराब वायरिंग से कमला राजा हॉस्पिटल में लगी आग
Gwalior Hospital Fire Case: ग्वालियर हॉस्पिटल में आग की वजह क्या है?

Fire in Gwalior Hospital: हाल ही ग्वालियर-चंबल अंचल के सबसे बड़े महिला और बाल रोग हॉस्पिटल (Gwalior Hospital) कमला राजा चिकित्सालय (Kamla Raja Hospital) में एसी के कंप्रेशर ब्लास्ट और शार्ट सर्किट से लगी भीषण आग में भले ही सभी प्रसूता मरीजों और और नवजात शिशुओं को सुरक्षित बचा लिया गया और कलेक्टर ने इसके लिए जांच कमेटी का गठन भी कर दिया लेकिन इसके साथ ही फिर इस अस्पताल को लेकर फिर सवाल उठने लगे हैं. सिंधियाकालीन इस अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर और बिजली की लाइन बहुत पुरानी है. सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इसके मेंटेनेन्स के लिए अनेक बार पत्र लिखे गए. लेकिन सरकार द्वारा बजट देना तो दूर इन पत्रों का जवाब तक नहीं दिया गया. वहीं अब  अस्पताल प्रशासन ने अब इस अस्पताल के गायनिक विभाग और लेबर रूम को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल मे शिफ्ट करने का निर्णय लिया है.

कितनी पुरानी है ये बिल्डिंग?

कमला राजा अस्पताल की बिल्डिंग लगभग 88 साल पुरानी हैं. इस अस्पताल को तत्कालीन सिंधिया शासकों ने राजकुमारी कमलाराजे की स्मृति मे बनाने का फैसला हुआ था. दिसंबर 1936 मे इसकी आधारशिला रखी गई. इसका निर्माण कार्य पूरा होने तक देश आजाद हो चुका था. पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 250 बिस्तर वाले इस लेडी और चाइल्ड हॉस्पिटल का उद्घाटन किया. तब से यह इसी भवन में चल रहा हैं. अभी इसमें 450 पलंग हैं. समय-समय पर इसका विस्तार तो होता रहा. एसी और लाइट की जरूरत भी बढ़ी, लेकिन इसकी लाइट वायरिंग मे ज्यादा परिवर्तन नहीं होने से इसमें बार-बार आग लगने की घटनाएं होती रहती हैं.

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अस्पताल के डीन डॉ आरके एस धाकड़ का कहना है कि यहां एसी चौबीस घंटे चालू रखने होते हैं, जिनकी वायरिंग का संधारण अत्यावश्यक होता है, जिसके लिए पहले से ही शासन को पत्र लिखा है. अब इस घटना के बाद फिर पत्र भेजा है.

कमला राजा अस्पताल (केआरएच) के गायनिक आईसीयू व में आग की घटना के बाद यहां भर्ती में मरीज सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिए गए थे. आग लगने के बाद केआरएच के लेबर रूम और गायनिक विभाग के साथ अन्य वार्ड की भी स्थिति चलने लायक है या नहीं! इसकी जांच होने तक चिकित्सालय, शिफ्ट कर दिए गए थे. कलेक्टर ने जांच करने के निर्देश पीडब्ल्यूडी को दिए थे.

PWD की रिपोर्ट का इंतजार

पीडब्ल्यूडी की रिपोर्ट के बाद ही जेएएच प्रबंधन और गायनिक विभाग ने यहां प्रसूताओं को भर्ती करने का निर्णय लेगा. इसलिए गायनिक के ऑपरेशन सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में ही हो रहे हैं. नॉर्मल डिलीवरी हो सके इसलिए लेबर रूम का सामान शिफ्ट करना प्रारंभ कर दिया गया है. संभवतः मंगलवार 18 मार्च को लेबर रूम सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अस्थायी रूप से संचालित होने लगेगा.

जेएएच अस्पताल अधीक्षक डॉ.सुधीर सक्सेना ने बताया कि जब तक पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की ओके रिपोर्ट नहीं आ जाती तब तक केआरएच में महिलाएं भर्ती नहीं की जाएंगी. इसलिए सोमवार को अधीक्षक ने सहायक अधीक्षक डॉ. माखन लाल माहौर, सुपर स्पेशलिटी के अधीक्षक डॉ. गिरजाशंकर गुप्ता के साथ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में लेबर रूम के लिए जगह देखी. डॉ. सक्सेना ने बताया कि अस्थायी लेबर रूम भी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में संचालित करने की तैयारी हो गई है. इसके लिए लेबर रूम का सामान शिफ्ट करना प्रारंभ कर दिया है.

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