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चंबल में बन रहे पिस्टल और रिवाल्वर के फर्जी लाइसेंस, खुलासा होने पर मच गया हड़कंप; कौन है सरगना?

Fake License of Pistol and Revolver : पिस्टल और रिवाल्वर के लाइसेंस के लिए आपने कई बार लोगों को भोपाल के चक्कर काटते हुए देखा होगा या सुना होगा. लेकिन चंबल में कुछ अलग ही हाल है. यहां पिस्टल और रिवाल्वर के फर्जी लाइसेंस बनाने वाले गिरोह का खुलासा हुआ है.

चंबल में बन रहे पिस्टल और रिवाल्वर के फर्जी लाइसेंस, खुलासा होने पर मच गया हड़कंप; कौन है सरगना?

ग्वालियर-चंबल अंचल में हथियारों का शौक किसी से छिपा नहीं है. प्रदेश में गृह मंत्रालय से जारी होने वाले पिस्टल रिवाल्वर के लाइसेंस को लेकर सख्ती की गई, तो जिलों में भी कलेक्टर लाइसेंस नहीं बना रहे हैं. इसी सख्ती की आड़ में बदमाशों ने फर्जीवाड़ा शुरू कर दिया. इस फर्जीबाड़े का खुलासा कलेक्ट्रेट में ही हुआ है. ग्वालियर में पिस्टल के फर्जी लाइसेंस पकड़े गए हैं.

अफसरों के सामने ऐसी तीन डायरी सामने आईं, जो पिस्टल की हैं, इन्हें हाथ से लिखकर बना लिया गया. अपर कलेक्टर के साइन सील से लेकर कलेक्टर ग्वालियर के भी हूबहू साइन बनाए गए. इनमे तीन आवेदन ग्वालियर के रहने वाले हैं. आशंका है कि लाइसेंस बनाने के नाम पर झांसा देकर इनसे ठगी की गई. हथियार लाइसेंस की नकली डायरी बना ली गई. इस मामले में खुफिया एजेंसी जांच कर रही है.

जानें कैसे हुआ खुलासा

लाइसेंस की डायरी में हथियार धारक को मिलने वाली यूनिक आईडी तक फर्जी डाली गई और लाइसेंस क्रमांक 2500 से ज्यादा लिख लिया गया. यानी इस हिसाब से ग्वालियर कलेक्टर ने इस साल ढाई हजार से ज्यादा लाइसेंस जारी किए, जबकि  लाइसेंस का पूरा सिस्टम ऑनलाइन कर दिया गया. इसके बाद भी पुरानी व्यवस्था के तहत मैन्युअल डायरी बना दी गई. एक आवेदक के ग्वालियर कलेक्ट्रेट में अपने हथियार लाइसेंस की डायरी लेने के लिए संपर्क किया गया. तब यह मामला खुला. इसके बाद प्रशासन, पुलिस और एजेंसियां जांच मे जुट गई है. 

  • ग्वालियर मे है 34 हजार शस्त्र लाइसेंस 
  • पिस्टल और रिवाल्वर के 2000 लाइसेंस हैं 

हाथ से इस तरह बनाए गए तीन नकली लाइसेंस

 केस 1. पहला पिस्टल का लाइसेंस ऐंदल सिंह पुत्र लोटन सिंह ग्राम गिरगांव ग्वालियर थाना महाराजपुरा के नाम का बनाया गया, जिसमें सब हाथ से भरा गया. कारतूस की संख्या से लेकर 21 मार्च 2027 तक वैलिड होना बताया है. अपर जिला मजिस्ट्रेट की सील व साइन भी फर्जी साइन किए गए हैं. बीच में एक जगह कलेक्टर के हस्ताक्षर भी बनाने की कोशिश की गई है.

केस 2. दूसरा लाइसेंस अमित सिंह राजावत पुत्र बालेंद्र सिंह न्यू राम विहार पिंटो पार्क ग्वालियर का है, जिसमें यूनिक आईडी में 2027 का वर्ष डाला. संभावना है कि भोपाल से ग्वालियर तक यह गिरोह सक्रिय हो सकता है, मैन्युअल पिस्टल लाइसेंस डायरी बनाई गई हैं जबकि काफी समय से सॉफ्टवेयर बेस्ड जानकारी गया. जबकि अभी 2025 चल रहा है. कारतूस जानकारी, सील साइन सब अंकित है.

केस 3. तीसरा लाइसेंस रामनिवास सिंह निवासी डीडी नगर का है जिसमें फोटो भी लगा है, इसमें 2026 का यूनिक आइडी नंबर डाला गया है. इसकी स्लिप लाइसेंस पर लगती है, जिसका तय फार्मेंट है.

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