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This Article is From Feb 18, 2025

अकाउंट में थे मात्र 3000 रुपये, बायोमैट्रिक सिस्टम में नहीं मिला फिंगरप्रिंट, तो मायूस किसान ने पत्थर से कुचल डाली उंगलियां

Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के बैतूल जिले से मंगलवार को हैरान करने वाली खबर सामने आई है. दरअसल, यहां एक किसान अपने खाते में जमा पैसे बायोमेट्रिक में फिंगरप्रिंट काम नहीं करने पर नहीं निकाल पा रहा था. तो तंग आकर इस किसान ने अपनी उंगलियों को ही पत्थरों से कुचल दिया.

अकाउंट में थे मात्र 3000 रुपये, बायोमैट्रिक सिस्टम में नहीं मिला फिंगरप्रिंट, तो मायूस किसान ने पत्थर से कुचल डाली उंगलियां

Betul Latest News: बैतूल के नज़दीकि गांव से डिजिटल फीताशाही का एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है.  यहां एक किसान ने बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट (Biometric Fingerprint) मैच नहीं होने से पैसे निकालने में विफल रहने पर समीपस्थ ग्राम पंचायत सराढ निवासी 52 वर्षीय आदिवासी किसान मिश्रू कुमरे ने गुस्से में अपनी ही उंगलियां पत्थर से कुचल डाली.

दरअसल, पेशे से किसान मिश्रू कुमरे का बचत खाता स्थानीय उप डाकघर में है. वह कई दिनों से अपने ही खाते से पैसे निकालने की कोशिश कर रहा था, लेकिन बायोमेट्रिक फिंगरप्रिंट मैच नहीं हो रहे थे. बार-बार असफल रहने पर वह परेशान हो गया, क्योंकि उसे पैसों की सख्त जरूरत थी. लिहाजा, उसने परेशान होकर अपने हाथ की उंगलियों को पत्थर से कुचल दिया. उनका मानना है कि अगर उनकी उंगलियां ही पैसे निकालने में बाधा बन रही हैं, तो उन्हें खत्म कर देना ही बेहतर होगा. वहीं, इस घटना के बाद खेड़ी सांवलीगढ़ के डाक पाल कहते हैं कि मिश्रू मेरे पास नहीं आया. मेडम से ज़रूर मिला, लेकिन मेरे पास आता, तो वैकल्पिक व्यवस्था बना लेते.

अब पोस्ट ऑफिस के अफसर दूसरे विकल्प की कह रहे हैं बात

मिश्रू कुमरे को महाशिव रात्रि के पहले घर मे रंग रोगन के लिए कुछ रुपये की ज़रूरत थी. अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए पोस्ट ऑफिस में जमा रकम निकालने के लिए पहुंचा, लेकिन जब खाते से पैसा नहीं निकला, तो उसने खौफनाक कदम उठाते हुए अपनी उंगलियों को ही कुचल दिया. जब उनके इस कदम के बारे में पड़ोसी को पता चला, तो उन्होंने उसकी मदद की. पोस्ट ऑफिस के ज़िम्मेदार बोल रहे हैं कि ग्रामीण हमारे पास नहीं आया, वरना कोई न कोई विकल्प नाकल कर पैसा निकाल देते.

पांच एकड़ खेती पर तीन भाई है आश्रित

मिश्रू कुमरे अपने परिवार में दो और भाइयों के साथ रहते हैं और तीनों भाइयों के बीच पांच एकड़ खेती की जमीन है, जिस पर तीनों के परिवार आश्रित हैं. खेत में पानी नहीं होने की वजह से महज बारिश की फसल ही हो पाती है.

आदिवासियों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व होता है अहम

दरअसल, आदिवासियों के लिए महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही अहम होता है.  लिहाजा, महाशिवरात्रि के पहले घर के रंग रोगन ओर त्योहार के पूजन की सामग्री के लिए मिश्रू को पैसों की ज़रूरत पड़ी, तो खेड़ी सांवलीगढ़ के पोस्ट आफिस में बचत के कुछ जमा रुपये निकालने के लिए गया था, लेकिन 4 दिनों तक आने-जाने में 120 रुपये खर्च हो गए और पैसा नहीं निकल पाया.

ग्रामीण हैं स्तब्ध, प्रशासन अलर्ट

घटना के बाद गांव के लोग स्तब्ध रह गए. उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उनकी उंगलियों में गंभीर चोट बताई.ऐसे में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर बायोमेट्रिक सिस्टम में ऐसी दिक्कतें क्यों आ रही हैं.

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डिजिटल सिस्टम बना चुनौती

ग्रामीण इलाकों में बायोमेट्रिक आधारित बैंकिंग से लोगों को काफी दिक्कतें हो रही हैं. कई लोगों के फिंगरप्रिंट उम्र, मजदूरी या अन्य कारणों से काम नहीं करते हैं, जिससे उन्हें बैंकिंग सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता हैं. यह घटना सरकार और बैंकों के लिए एक चेतावनी है कि डिजिटल सिस्टम के साथ-साथ वैकल्पिक व्यवस्था भी बनाई जाए.

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