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This Article is From Feb 03, 2024

बिहार के लड़के MP में कर रहे कमाल! 'मधुमक्खियों का मित्र' परिवार छत्तों से पलक झपकते निकाल देता है शहद

बिहार के रहने वाले किशोर करोडी बताते हैं कि वह साल में कुछ महीने बुरहानपुर आकर यही काम करते हैं. वह मधुमक्खियों को अपनी दोस्त बताते हैं. आज तक उन्हें मधुमक्खियों से कोई नुकसान नहीं पहुंचा है.

बिहार के लड़के MP में कर रहे कमाल! 'मधुमक्खियों का मित्र' परिवार छत्तों से पलक झपकते निकाल देता है शहद
बिहार के लड़के MP में कर रहे कमाल

Burhanpur News: बड़े, ऊंचे भवनों और ठंडे क्षेत्रों में मधुमक्खियां (Honey Bees) अपने छत्ते बना लेती हैं. इन मधुमक्खी के छत्तों पर किसी के पत्थर मारने या अन्य किसी तरह से छेड़ने पर सैकड़ों मधुमक्खियों के काटने का खतरा बना रहता है. मधुमक्खियों से शहद निकालने के लिए प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है. साथ ही सुरक्षित ड्रेसकोड पहनकर ही शहद निकालना पड़ता है ताकि मधुमक्खियों के काटने से बचा जा सके. 

हालांकि कुछ लोग परंपरागत रूप से मधुमक्खियों के छत्तों से शहद निकालते हैं लेकिन उन्हें भी कभी-कभी मधुमक्खियों के हमले का शिकार होना पड़ता है. इन दिनों बुरहानपुर में बिहार निवासी युवक किशोर किरोड और उसके साथी बिना किसी प्रशिक्षण और तामझाम के भवनों और पेड़ों पर लगे मधुमक्खियों के छत्ते से शहद निकालते देखे जा रहे हैं और इस काम में मधुमक्खियां भी इन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचा रही हैं. ये युवक मानते हैं कि मधुमक्खियां उनकी दोस्त हैं.

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मिनटों में शहद निकालना खानदानी काम

शहर में मधुमक्खियों के छत्तों से शहद निकालते बिहार के निवासी युवावस्था से ही यही काम करते चले आ रहे हैं. बिहार से मध्य प्रदेश के बुरहानपुर तक उनकी इस अद्भुत कला की मांग है. जो लोग इन युवाओं को जानते हैं वे इन्हें अपने भवन या बगीचों के पेड़ों पर बने मधुमक्खियों के छत्तों से शहद निकालने के लिए बुलाते हैं. ये युवा साल में कुछ महीने बुरहानपुर आकर यही काम करते हैं और इस काम से मधुमक्खियों से कोई नुकसान भी नहीं होता है.

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मधुमक्खियों का दोस्त है यह परिवार

बिहार के रहने वाले किशोर करोडी बताते हैं कि वह साल में कुछ महीने बुरहानपुर आकर यही काम करते हैं. वह मधुमक्खियों को अपनी दोस्त बताते हैं. आज तक उन्हें मधुमक्खियों से कोई नुकसान नहीं पहुंचा है. उन्होंने बताया कि हम मिनटों में मधुमक्खियों को छत्तों से हटाकर उसमें तैयार शहद निकाल लेते हैं. उन्होंने यह कला अपने पिता से 16 साल की उम्र से सीख ली थी. तब से वह यही काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि उनके दोनों भाई सोनू और सनी भी यही काम करते हैं.

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