विज्ञापन

दिवाली पर लक्ष्मीजी की नहीं, पूर्वजों की पूजा करते हैं MP के इस गांव के गुर्जर, भगवान राम से प्रेरित है परंपरा

Diwali Tradition: उज्जैन से करीब 65 किलोमीटर दूर नागदा के ग्राम डाबरी में गुर्जर समाज सदियों से दीपावली पर ही अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर परिवार में सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि की कामना करता है. समाजजन तीन दिन तक गांव से बाहर नहीं जाते है.

दिवाली पर लक्ष्मीजी की नहीं, पूर्वजों की पूजा करते हैं MP के इस गांव के गुर्जर, भगवान राम से प्रेरित है परंपरा

Diwali Tradition in Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के एक गांव में धनतेरस से तीन दिन तक लोग बाहर नहीं जाते. पिछले कई साल से गुर्जर समाज के लोग यह अनूठी परंपरा निभा रहे हैं. हैरानी की बात यह भी कि  दीपावली पर समृद्धि के लिए यहां के लोग लक्ष्मी जी की जगह अपने पूर्वजों की पूजा कर श्राद्ध करते हैं.

वैसे तो देश में शारदीय नवरात्रि से पहले 16 श्राद्धों में पितरों का तर्पण करने की परंपरा है, लेकिन उज्जैन से करीब 65 किलोमीटर दूर नागदा के ग्राम डाबरी में गुर्जर समाज सदियों से दीपावली पर ही अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर परिवार में सुख, समृद्धि और वंश वृद्धि की कामना करता है. यही नहीं, इस परंपरा के निर्वाह करने के लिए समाजजन तीन दिन तक दूध बेचने तक गांव से बाहर नहीं जाते. इस दौरान दूध को गांव में मुफ्त में बांट देते हैं.

बेल बनाकर करते हैं पूजन

जानकारी के अनुसार, दीपावली से पहले गुर्जर समाज के सभी पुरुष एक साथ मिलकर घास और पीपल की पत्तियों से लंबी बेल बनाते हैं. दीपावली के दिन एक ही गोत्र और परिवार के लोग पानी के स्थान पर जुटते हैं, यहां खीर और पकवान बनाकर बेल पकड़कर अपने पूर्वजों को याद करते हुए पानी में विसर्जित करते हैं. बेल के समान वंश वृद्धि की कामना के लिए यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी निभाई जा रही है.

ऐसे हुई परंपरा की शुरुआत

गांव के नरसिंह गुर्जर और भैरुसिंह गुर्जर ने बताया कि वनवास के बाद भगवान राम जब अयोध्या लौटे थे तो उन्होंने राजतिलक से पहले पिता दशरथ का पुष्कर में श्राद्ध किया था. ऐसे में दीपावली पर पूर्वजों के श्राद्ध की परंपरा का निर्णय भगवान श्रीराम से प्रेरित होकर ही लिया गया था. समाज के लोगों का मानना है कि अमावस्या पर पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध करना श्रेष्ठ है. इस दिन पितरों को खीर और चूरमे का भोग लगाया जाता है और परिवार में सुख-शांति की प्रार्थना की जाती है.

बुजुर्गों ने युवाओं के हाथ में सौंपी विरासत

श्राद्ध से पहले प्रत्येक गुर्जर परिवार से एक भोजन की थाली आती है. पूर्वजों को याद कर प्रत्येक थाली से उन्हें खीर और चूरमे का भोग लगाया जाता है. इसके बाद परिवार के लोग एक-दूसरे को प्रसाद के रूप में भोजन करवाते हैं. इससे सामाजिक एकता और स्नेह का भाव बढ़ता है. एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक दीपावली के दिन पूर्वजों के श्राद्ध की यह परंपरा विरासत के रूप में नई पीढ़ी तक पहुंचती जा रही है.

ये भी पढ़ें: पत्नी साधना ने चांदी का सिक्का दिखाया तो शिवराज बोले- 'महंगा होगा तो छोटा वाला ले लेंगे', फिर जमकर लगे ठहाके

ये भी पढ़ें:  "लड़की विधर्मी के यहां जाए तो टांगें तोड़ देनी चाहिए..." साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने फिर दिया विवादित बयान 

ये भी पढ़ें: समोसे के लिए देनी पड़ी 2000 की घड़ी, ऑनलाइन पेमेंट नहीं होने पर वेंडर ने पकड़ा यात्री का कॉलर, बदसलूकी भी की 

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
Close