
Diwali Kab Hai: भारत में रोशनी के पर्व दीपावली की तैयारियां जोरों पर हैं. बाजारों में रौनक बढ़ रही है, घरों में सजावट शुरू हो चुकी है और मिठाइयों की खुशबू माहौल में घुलने लगी है. दीपोत्सव का यह पावन पर्व इस बार 18 अक्टूबर से 23 अक्टूबर 2025 तक मनाया जाएगा. हालांकि लोगों के मन में एक सवाल बना हुआ था कि इस वर्ष दीपावली आखिर 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी या 21 अक्टूबर को? इस उलझन का समाधान अब काशी के विद्वान पंडितों ने कर दिया है.
काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रोफेसर विनय पांडेय ने बताया कि परिषद के सभी विद्वानों ने एकमत से निर्णय लिया है कि साल 2025 की दीपावली 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि उस दिन प्रदोष काल में अमावस्या पड़ रही है, जो लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए सर्वाधिक शुभ और फलदायी समय माना गया है.
प्रो. पांडेय ने बताया कि 21 अक्टूबर को अमावस्या केवल शाम 4 बजे तक ही रहेगी, जबकि सूर्यास्त के बाद प्रतिपदा प्रारंभ हो जाएगी. ऐसे में शास्त्रसम्मत रूप से लक्ष्मी पूजन 20 अक्टूबर की प्रदोष व्याप्त अमावस्या में ही किया जाएगा. वहीं, ज्योतिषाचार्य सुभाष पांडेय ने कहा कि प्रदोष और अमावस्या की गणना के अनुसार अमावस्या का संयोग सूर्यास्त के बाद 20 अक्टूबर को ही रहेगा, इसलिए उसी दिन लक्ष्मी पूजन शुभ रहेगा.
आचार्य शैलेश तिवारी ने बताया कि विद्वानों के अनुसार निशीथ व्यापिनी अमावस्या यानी जो पूरी रात व्यापी हो, वह भी 20 अक्टूबर को ही है. इसी रात में माँ काली पूजन भी किया जाता है. इसीलिए सभी विचारों को ध्यान में रखते हुए काशी विद्वत परिषद ने सर्वसम्मति से निर्णय दिया है कि दीपावली 20 अक्टूबर 2025, सोमवार को मनाई जाएगी.
दीपोत्सव 2025 में कब कौन-सा पर्व होगा?
18 अक्टूबर-धनतेरस
19 अक्टूबर-नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली)
20 अक्टूबर-दीपावली (लक्ष्मी-कुबेर पूजा)
21 अक्टूबर-स्नान-दान की अमावस्या
22 अक्टूबर-अन्नकूट व गोवर्धन पूजा तथा भैया दूज
23 अक्टूब-दवात पूजा
इस तरह दीपोत्सव का यह छह दिवसीय पर्व 18 अक्टूबर से शुरू होकर 23 अक्टूबर तक चलेगा. काशी के पंडितों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दीपावली 2025 की मुख्य तिथि 20 अक्टूबर (सोमवार) होगी और इसी दिन लक्ष्मी-कुबेर पूजन का शुभ मुहूर्त रहेगा.
दीपावली 2025 शुभ मुहूर्त (Diwali 2025 Shubh Muhurat)
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, इस वर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 20 अक्टूबर को दोपहर 3 बजकर 44 मिनट पर होगी और इसका समापन 21 अक्टूबर को शाम 5 बजकर 55 मिनट पर होगा. लक्ष्मी-गणेश पूजन का सबसे शुभ समय यानी प्रदोष काल व स्थिर लग्न का संयोग शाम 7:08 से रात 8:18 बजे तक रहेगा. यह अवधि लगभग 1 घंटा 11 मिनट की है और इसी दौरान पूजा करने से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होने का योग बन रहा है.
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