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धार इमामबाड़ा मामला: मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली, पुलिस की तैनाती के बीच हुई जुमे की नमाज

धार के इमामबाड़ा मामले में मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई विशेष अनुमति याचिका (SLP) वापस ले ली है. अब यह मामला निचली अदालत में सुना जाएगा.

धार इमामबाड़ा मामला: मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ली, पुलिस की तैनाती के बीच हुई जुमे की नमाज

Dhar Imambara Case: धार के चर्चित इमामबाड़ा मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई विशेष अनुमति याचिका यानी SLP को शुक्रवार को वापस ले लिया. जानकारी के अनुसार यह याचिका कमिश्नर कार्यालय के आदेश आने से पहले दाखिल की गई थी, लेकिन आदेश आने के बाद मुस्लिम संगठन के पास निचली अदालत जाने का रास्ता खुल गया. इसी वजह से मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट लगाई याचिका वापस ले ली.

सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को "वापस ली गई" मानते हुए खारिज कर दिया और अपने आदेश में कहा कि सभी तर्क पक्षकारों के लिए खुले रहेंगे. इसके तहत दोनों पक्ष अपने-अपने दावों के समर्थन में प्रासंगिक साक्ष्य निचली अदालत में पेश कर सकेंगे. यानी अब इमामबाड़े से जुड़ा यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट नहीं बल्कि निचली अदालत में सुना जाएगा.

शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई जुम्मे की नमाज, पुलिस की रही तैनाती

इमामबाड़ा प्रकरण को लेकर चल रहे विवाद और चर्चाओं के बीच शुक्रवार को जुम्मे की नमाज पूरी तरह शांतिपूर्ण माहौल में संपन्न हुई. संवेदनशील स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने पूरे शहर में सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे. शहरभर में पुलिस बल की तैनाती रही. वहीं, जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी स्वयं मौजूद रहकर स्थिति पर नजर रखे रहे. भोजशाला / कमाल मौला मस्जिद परिसर और उसके आसपास विशेष सतर्कता बरती गई.

सांस्कृतिक धरोहर रक्षा समिति ने प्रेसवार्ता

इधर, सांस्कृतिक धरोहर रक्षा समिति ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित कर इमामबाड़ा पर प्रशासनिक कार्रवाई को सही ठहराया और इसे हिंदू समाज की जीत बताया. समिति से जुड़े आशीष बसु ने कहा कि इमामबाड़ा अब शासकीय इमारत है, इसलिए यहां सभी संप्रदायों को अपने त्योहार मनाने की अनुमति मिलनी चाहिए. इसी क्रम में गणेश उत्सव के दौरान इमामबाड़े में गणेश स्थापना हेतु जिला प्रशासन को आवेदन दिया गया है.

बसु ने कहा कि यदि हिंदू समाज को त्योहारों के लिए अनुमति नहीं दी जाती है तो किसी विशेष समुदाय को भी इजाजत नहीं मिलनी चाहिए. अगर ऐसा होता है तो वे न्यायालय की शरण लेंगे.

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क्या बोले शहर काजी

दूसरी ओर, शहर काजी वकार सादिक ने इमामबाड़ा प्रकरण पर कहा कि जब से यह इमारत बनी है, मुस्लिम समाज यहां ताजिया रखता और अपने धार्मिक रीति-रिवाज निभाता आ रहा है. उनके अनुसार इस स्थल पर 1991 पूजा स्थल संरक्षण अधिनियम लागू होता है और इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी आ चुका है. यदि इस आदेश के विपरीत कोई निर्णय लिया जाता है तो यह अदालत की अवमानना होगा.

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