मध्य प्रदेश के दमोह में अधिकारियों की लपारवाही ने एक जिंदा महिला को मुर्दा बना दिया है. जिसके कारण महिला को किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. यह मामला दमोह जिले के हटा क्षेत्र के घोघरा गांव के जुनेरी टोला का है. जहां एक वृद्ध महिला को जिंदा होते हुए भी सरकारी पोर्टल पर मृत घोषित कर दिया. जिसके चलते जनक रानी सभी शासकीय योजनाओं के लाभ से वंचित हो गई. वहीं जनवरी महीने से ही पेंशन से वंचित जनक रानी को काफी परेशानी हो रही है.
विभाग से लगा रही गुहार
बता दें कि महिला सरकारी रिकार्ड में दुनिया छोड़ चुकी है. हालांकि पेंशन योजना के तहत मिलने वाला लाभ से वंचित होने से निराश जनक रानी ने संबंधित विभाग को आवेदन देकर खुद को जिंदा होने की बात बताई है. जनक रानी ने विभाग से अनुरोध भी किया कि वो जिंदा है, इसलिए पेंशन योजना चालू कर दें, लेकिन विभाग के अधिकारी ने अब तक नहीं कोई सुनवाई नहीं की.
वहीं पीड़ित गरीब महिला जनक रानी का आरोप है कि उसे बीते जनवरी माह से वृद्धा पेंशन बंद है. जनक रानी ने बताया कि हर माह 600 रुपए पेंशन मिलते थे. जिससे बहुत काम आता था, जब से पेंशन बंद हो गई है तो बहुत तकलीफ है. पहले सचिव बताते रहे कि मेरा पेंशन होल्ड पर है, लेकिन फिर उन्होंने कहा कि तुम रिकॉर्ड में मर चुकी हो.
जून 2022 से मृत है महिला
पंचायत सचिव जयंत कुश्मरिया के अनुसार, समग्र पोर्टल पर महिला 5 जून 2022 से मृत है. जिसके चलते महिला को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाएगा.
आईडी एक्टिव करने के लिए आदेश जारी
हटा सीईओ पूनम दुबे ने बताया कि दो महिलाओं के एक जैसे नाम होने की वजह से ये गलती हुई हैं. उन्होंने कहा कि मैंने आदेश दिया है कि महिला जनक रानी की समग्र आईडी फिर से एक्टिव किया जाए. जिसके चलते महिला को शासकीय योजनाओं का लाभ मिल सके. जिसने भी ये गलती की है उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
महीनों से सरकारी दस्तावेज में मर चुकी जानकी हटा मुख्यालय पहुंचकर अपने जिंदा होने के कई सबूत दिए, लेकिन इसके बावजूद अब तक इसपर कोई सुनवाई नहीं हुई. हालांकि एनडीटीवी के रिपोर्ट के बाद पोर्टल एक्टिवेशन करने के लिए आदेश जारी किया गया है, लेकिन ये देखना होगा कि अधिकारी कब तक जिंदा जानकी को दस्तावेजों में जिंदा कर पाते हैं और रुकी हुई वृद्धा पेंशन फिर से उठा पाती है.