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सावधान! 10 गांवों से संपर्क टूटा; टेंडर होने के बाद भी क्यों नहीं बन रहा पुल? जोखिम में जान

Satna News: 6 माह पहले पुल निर्माण का भूमि पूजन कराया गया मगर निर्माण नहीं हो सका वहीं जब बरसात में बहाव तेज हुआ तो कमजोर पुल का एक बड़ा हिस्सा पानी में बह गया जिससे बड़े वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रूक गई.

सावधान! 10 गांवों से संपर्क टूटा; टेंडर होने के बाद भी क्यों नहीं बन रहा पुल? जोखिम में जान
MP News: सावधान! 10 गांवों से संपर्क टूटा; टेंडर होने के बाद भी क्यों नहीं बन रहा पुल? जोखिम में जान

Satna News: करीब 6 माह पहले जिस पुल का निर्माण करने के लिए राज्य मंत्री ने भूमि पूजन किया वहां ठेकेदार ने कोई निर्माण नहीं किया. पुराने पुल से किसी प्रकार ग्रामीण अपना गुजारा कर रहे थे तभी बरसात ने पुल का कैचमेंट एरिया ध्वस्त कर दिया. आलम यह है कि अब करीब 10 गांव के लोग आवागमन के लिए लंबा चक्कार काट रहे हैं, किसान अपने खेतों की बोनी नहीं कर पाए. मामला जिला मुख्यालय से लगभग 45 किमी दूर स्थित नागौद विकास खंड के अन्तर्गत आने वाले बाबूपुर पाकर का है जहां नदी के ऊपर एक पुल बनाया गया था. सोलिंग पत्थर से बना पुल जर्जर हो चुका था ऐसे में प्रदेश सरकार ने नया पुल बनाने के लिए दो करोड़ रुपए मंजूर किए और आनन-फानन में टेंडर जारी कर निर्माण का ठेका जारी कर दिया गया. लगे हाथ भूमि पूजन भी हो गया लेकिन भूमि पूजन होने के बाद मौके पर खतरा होने का बोर्ड लगाकर ठेकेदार भूल गया. यह काम आरईएस विभाग की निगरानी में कराया जाना है.

इन गांवों से संपर्क टूटा

कौशलपुर, पिपरी, भाजीखेरा, बेलौंधा, दुर्गापुर, जैतवारा, आमा, देवरी, पनगरा सहित बाबूपुर पाकर गांव के लोगों का नागौद मुख्यालय से सीधा आवागमन किसी पुल के रास्ते से था. पुल जगह-जगह से टूट चुका था जिसके चलते ग्रामीणों ने नया पुल बनाने की मांग रखी थी. 6 माह पहले पुल निर्माण का भूमि पूजन कराया गया मगर निर्माण नहीं हो सका वहीं जब बरसात में बहाव तेज हुआ तो कमजोर पुल का एक बड़ा हिस्सा पानी में बह गया जिससे बड़े वाहनों की आवाजाही पूरी तरह से रूक गई. जोखिम के बीच दो पहिया वाहनों को लेकर ग्रामीण आते-जाते हैं लेकिन कब यह किसी की मौत से भेंट करा दे कह नहीं सकते. 

ग्रामीणों का आरोप, ठेकेदार ने ध्यान नहीं दिया

नदी पर बनने वाली पुल का निर्माण बरसात से पहले किया जा सकता था लेकिन ठेकेदार ने समय पर ध्यान नहीं दिया. यदि पुल का निर्माण समय पर हो जाता तो गांव के तमाम किसान अपने खेतों की बोनी करने से वंचित नहीं रह जाते हैं.

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