
Madhya Pradesh News: नेटफ्लिक्स की मशहूर वेब सीरीज जामताड़ा में एक डायलॉग है- सबका नंबर आएगा. लगता है मध्यप्रदेश में साइबर ठगों (Cyber Fraud)ने ऐसी ही स्थिति पैदा कर दी है... तभी तो अकेले राजधानी भोपाल (Bhopal Crime News)में हर दिन करीब 17 लाख रुपये का फ्रॉड हो रहा है. यहां साइबर ठग रोजाना नए-नए तरीके अपनाकर लोगों की खून-पसीने की कमाई एक झटके में उड़ा रहे हैं. कई बार पीड़ित जब पुलिस के पास पहुंचता है तो उसकी शिकायत बस एक आवेदन बनकर रह जाती है. दरअसल राज्य में साइबर ठग (Cyber Crime)अब पुराने तरीक़े छोड़ नये हाईटेक तरीक़े अपना रहे हैं.बिना ओटीपी दिये या बिना किसी लिंक पर क्लिक किये भी लोग बेहद ही आसानी से ठगी का शिकार हो रहे हैं. इस तरह के मामले की केस स्टडी भी आपको बताएंगे लेकिन पहले आप ये जान लीजिए कि आंकड़ें क्या कहते हैं?

हालत की गंभीरता को आप एक केस से समझिए. भोपाल की रहने वाली श्वेता एक हाउस वाइफ हैं. उन्होंने अपने बच्चों की फीस के लिए पैसे जोड़ रखे थे. कुछ दिनों पहले गलत मोबाइल नंबर पर रिचार्ज होने की वजह से श्वेता ने सर्च इंजन से कस्टमर केयर का नंबर निकाला . इस नंबर पर उन्होंने जैसे ही कॉल किया वैसे ही उनके खाते से 61 हजार रुपये साफ हो गए. वे बताती हैं कि ये उनके मेहनत का पैसा था. उन्होंने बच्चों की फीस और बिजली के बिल के लिए ये पैसे रखे थे. उनकी पूरी बचत साफ हो गई.
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श्वेता सेंगर
दरअसल गूगल या किसी अन्य सर्च इंजन के माध्यम से अगर आप अपने कस्टमर केयर को फोन करने के लिए नंबर ढूंढ रहें है तो आप भी सतर्क हो जाइये,क्योंकि साइबर ठगों की नजर यहां पर भी है.

स्टेट साइबर सेल के AIG वैभव श्रीवास्तव बताते हैं कि साइबर क्रिमिनल नए-नए तरीके अपना रहे हैं. वे कभी पुलिस, कभी CBI या कभी NIA अधिकारी बन कर ठगते हैं. शेयर के नाम पर भी ठगी हो रही है, ट्रेजरी ऑफिसर बनकर बुजुर्गों से पेंशन के नाम पर ठग की जा रही है ,इसमें डॉक्यूमेंट मांगे जाते हैं. वैभव श्रीवास्तव बताते हैं कि लोग इसलिए साइबर ठगी का शिकार हो रहे हैं क्योंकि उनमें डर है, आलस है और लालच है. उनका कहना है कि यदि हम इन तीन चीजों से बच कर रहें तो संभव है साइबर ठग वालों के शिकार होने से बच जाएं. बहरहाल आंकड़ों से साफ है की मध्यप्रदेश की राजधानी समेत प्रदेश में साइबर क्राइम का दायरा बढ़ रहा है. पुलिस दावा करती है कि कार्रवाई हो रही है और पैसों की रिकवरी भी हो रही है लेकिन पीड़ित संतुष्ट नहीं हैं. ऐसे में जागरुक रहना ही सबसे ज्यादा जरूरी है.
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