
Cough Syrup Death Case: मध्यप्रदेश के दो और बच्चों की मौत होने से कप सिरप मामले में मरने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है. छिंदवाड़ा के अतिरिक्त कलेक्टर धीरेंद्र सिंह नेत्री ने बताया कि पांच वर्षीय विशाल की बुधवार शाम को और चार वर्षीय मयंक सूर्यवंशी की देर रात पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के नागपुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. उन्होंने बताया कि दोनों बच्चे छिंदवाड़ा के परासिया कस्बे के रहने वाले थे. वहीं मिलावटी कफ सिरप मामले में तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मा के मालिक रंगनाथन गोविंदन को चेन्नई से गिरफ्तार किया है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश में इस मुद्दे पर सियासत गर्म हो गई है. कांग्रेस और बीजेपी आमने सामने हैं.
बीजेपी ने क्या कहा?
कफ सिरप से मौत मामले पर स्वाथ्य राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि “जो दवाई है वह तमिलनाडू से बनाकर आई थी. जो कानून है, उसके तहत उस स्टेट की ज़िम्मेदारी होती है कि लाइसेंस देना और उस दवाई की जांच करना है. जो भी दवा का बैच निकलता है, उसका COA सर्टिफिकेट जारी करना होता है. तमिलनाडु सरकार में कहां चूक हुई है? COA सर्टिफिकेट जारी हुआ या नहीं हुआ, किस अधिकारी से वहां गलती हुई है? ये जाँच का विषय है. तमिलनाडु सरकार की बहुत बड़ी लापरवाही है कि उनके प्रदेश से एेसी दवाई कैसे निकली? हमारे प्रदेश में जो दवाई आती है, उसकी हम रैंडमली जांच करते हैं, संयोग से इन दवाओं की जांच नहीं हो सकी. हमारे यहां तो जो दवाई बनती हैं, उसकी हम गंभीरता से जांच करते हैं. तमिलनाडु सरकार की लापरवाही बड़ी है, जिससे हमारे यहां बच्चों की मौत हुई. हम केंद्र सरकार को लिख रहे हैं कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई करे और प्रदेश सरकार भी.”
राहुल गांधी के छिंदवाड़ा आकर पीड़ित परिवार से मिलने पर नरेंद्र शिवाजी ने कहा कि “तमिलनाडु में कांग्रेस के सहयोग से सरकार चल रही है, राहुल गांधी को अपने सहयोगी दल से सवाल पूछना चाहिए ऐसा क्यों हुआ? कांग्रेस इस विषय पर राजनीति कर रही है. मुझे तो षड्यंत्र की बू आ रही है.”
कांग्रेस का पलटवार
इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि “पहली बात ये है कि ड्रग कंट्रोलर और इंस्पेक्टर की हर माह जिमेदारी होती है कि सैंपल सर्वे करे, लेकिन नहीं किया गया. दवा में डाइथिलिक ग्लाइकोल 0.1 पर्सेंट से जायदा नहीं होना चाहिए इसमें 48.6प्रतिशत है. यहां के ड्रग इंस्पेक्टर क्या कर रहे थे, कंट्रोलर क्या कर रहे थे? जब पहले दिन घटना की जानकारी आई तो उप मुख्यमंत्री जी ने क्लीन चिट कैसे दे दी? उप मुख्यमंत्री जी ने किस आधार पर क्लीन चिट कैसे दे दी? ये सबसे बढ़ी भूल है, यदि ड्रग इंस्पेक्टर कंट्रोलर सही से काम करते जांच करते तो ऐसे घटना नहीं होती. तमिलनाडु सरकार की मुझे जानकारी नहीं है. मुझे बताया गया है कि केंद्र सरकार से परमिशन लेनी पड़ती है.” मुख्यमंत्री मोहन यादव के इस मामले में राजनीति नहीं करने वाले बयान पर कहा कि “हम कोई भी राजनीति नहीं कर रहे है. दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करो. डिप्टी सीएम ने क्लीन चिट कैसे दे दी उनका इस्तीफ़ा लो. चूक हुई है तो कार्रवाई क्या की आपने?”
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