Eco Friendly Laxmi-Ganesh: दीपों का उत्सव दीवाली में दीपदान, पटाखों के अलावा लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां को लेकर लोगों में क्रेज होता है. इस दीवाली नर्मदापुरम जिले में गाय के गोबर से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां चर्चा की विषय बन गई हैं और लोग अपने घरों में ईको फ्रेंडली लक्ष्मी-गणेश मूर्तियां लाने के लिए आतुर दिख रहे हैं.
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इको फ्रेंडली दीयों को लेकर भी लोगों में दिख रहा कौतुहल
माला-तोरण और मिट्टी के दीयों के बीच इको फ्रेंडली दीए भी लोगों के लिए कौतुहल का विषय बने हुए हैं. बाजार में एक ओर जहां मिट्टी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमाएं और शोभा बढ़ा रही हैं, तो दूसरी गाय के गोबर से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति और दीए भी लोगों को आकर्षित करने में कामयाब हो रहे है.
200 से 5000 में बाजार में बिक रही हैं इको फ्रेंडली मूर्तियां
बाजार में मिट्टी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मनमोहक मूर्तियां के बीच पहुंचे इको फ्रेंडली मूर्तियां और दीए को लोगों में क्रेज दिख रहा है. इको फ्रेडली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां की कीमत भी मिट्टी की मूर्तियां की तुलना में सामान्य हैं, जो 200 से 5000 रुपए में सहज उपलब्ध हैं और लोगों खऱीदारी में रूचि दिखा रहे हैं.
इको फ्रेंडली लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों से चर्चा में आया स्थानीय
गाय के गोबर से निर्मित इको फ्रेंडली डेकोरेटिव मां लक्ष्मी और भगवान गणेश मूर्तियां बाजार में चर्चा का विषय हैं. लोगों में उनकों लेकर एक अलग ही क्रेज है. खरीदारी के लिए पहुंच रहे लोगों के आकर्षण का केद्र बनी इको फ्रेंडली मूर्तियां और दीए को लेकर उत्साह है और वो परंपरागत मूर्तियों के बजाय इको फ्रेंडली मूर्तियों की खरीदारी में रूचि ले रहे हैं.
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