Yamraj Temple: ग्वालियर शहर नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा की जाती है. मृत्यु के देवता यमराज का इकलौता मंदिर ग्वालियर में मौजूद है, जिस 275 साल पूर्व सिंधिया राजवंश ने स्थापित किया था, जहां नरक चतुर्दशी यानी दीवाली के एक दिन पहले यमराज की खास पूजा और अभिषेक होता ह.
ग्वालियर स्थित मार्कंडेय मंदिर में स्थापति है प्रतिमा
ग्वालियर के बीचो-बीच फूलबाग स्थित मार्कंडेय मंदिर में स्थापति यमराज की प्रतिमा पूजा-अर्चना का इतिहास भी 275 साल पुराना है. नरक चौदस पर यमराज की प्रतिमा की पूजा-अर्चना का तांत्रिक महत्व होने के चलते, यहां देश भर से लोग यहां पहुंचते है और यमराज की स्तुति करते हैं.
यमराज को भगवान शिव ने दिया था वरदान
मार्कन्डेय मंदिर के पूजारी पण्डित मनोज भार्गव बताते है कि यमराज की नरक चौदस पर पूजा-अर्चना करने का खास महत्व है. उन्होंने बताया कि इसको लेकर पौराणिक कथा है कि, यमराज की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान् शिव ने यमराज को वरदान दिया था कि आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पूर्व नरक चौदस पर तुम्हारी पूजा होगी.
आइए जानते हैं कैसे की जाती है यमराज की पूजा?
पण्डित भार्गव बताते है कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा-अर्चना भी ख़ास तरीके और नेवैद्य से की जाती है. पहले यमराज की प्रतिमा पर घी ,तेल,पंचामृत, इत्र, फूल-माला, दूध, दही और शहद आदि से अनेक बार अभिषेक किया जाता है. उसके बाद स्तुति गान और पूजा करने के बाद दीप-दान किया जाता है.
चांदी के चौमुखी दीपक से उतारी जाती है यमराज की आरती
ग्वालियर स्थित मार्कंडेय मंदिर में स्थापित यमराज के इकलौते मंदिर में इस बार भी भक्त का रेला शुरू हो गया है. यमराज का दीपक भी खास रहता है, जिसमें चांदी के चौमुखी दीपक से यमराज की आरती उतारी जाती हे. यमराज की पूजा करने के लिए देश भर से लोग ग्वालियर पहुचते है और यमराज को रिझाने की कोशिश करते है.
ये भी पढ़ें-मंदसौर का 1500 साल पुराना 'पश्चिम मुखी' कुबेर मंदिर, धनतेरस पर विशेष पूजा से भक्त हो जाते हैं मालामाल