MP News in Hindi: मध्य प्रदेश के विजयपपुर में हुए उपचुनाव में वन मंत्री की हार के बाद केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के एक बयान ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. सिंधिया ने कहा उन्हें प्रचार के लिए नहीं बुलाया गया, जबकि पार्टी ने इसका खंडन किया है. दरअसल, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमे चिंतन करना होगा. जरूर चिंता की बात है, लेकिन मतों में भी बढ़ोत्तरी हुई है,अगर मुझे कहा जाता तो जरूर जाता.
सिंधिया के बयान को बीजेपी ने किया खंडन
सिंधिया के बयान का बीजेपी ने तत्काल खंडन करते हुए कहा कि सिंधिया को बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने व्यवस्तता की वजह से आने में असमर्थता व्यक्त की थी.
बीजेपी विधायक भगवान दास सबनानी ने कहा कि स्टार प्रचारकों की सूची में सिंधिया का नाम था. प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी ने उनसे प्रचार के लिए निवेदन किया था, लेकिन वह व्यस्त थे.
भगवानदास ने आगे कहा कि नेतृव ने कहा और जिम्मेदारी के साथ कहा. प्रदेश अध्यक्ष और हितानन्द जी ने भी कहा उस दौरान मुख्यमंत्री भी मौजूद थे, सबने बात की थी. सिंधिया स्टार प्रचारकों की सूची में भी थे. सिंधिया जी से कहा गया था कि आप यहां आए, लेकिन व्यस्तता के चलते उन्होंने मना कर दिया था.
मेरा मंत्रिपद कुछ लोगों को नहीं हुआ हज़म- रामनिवास रावत
बीजेपी नेता रामनिवास रावत ने कहा कि कुछ लोगों को यह लगा कि इसके आने के बाद हमारा सब कुछ खत्म हो जाएगा. जनता को भ्रमित किया और जो मूल भाजपा के लोग थे उन्हें बरगलाया और कहा कि अगर यह जीत के आ गया तो तुम्हारी कौन सुनेगा? मंत्री पद और बढ़ता हुआ कद कुछ लोग स्वीकार नहीं कर पाए. कुछ लोगों को लगा कि इसके आने के बाद हमारा सब कुछ खत्म हो जाएगा.
क्यों सिंधिया विजयपुर विधानसभा सीट पर चुनाव-प्रचार करने नहीं पहुंचे?
विजयपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव बीजेपी हार गई. कांग्रेस से बीजेपी में आकर वनमंत्री बने रामनिवास रावत अपनी सीट नहीं बचा पाए. उन्हें बीजेपी से कांग्रेस में आए मुकेश मल्होत्रा ने हरा दिया. हालांकि पूरी सरकार प्रचार में जुटी थी, बस केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया इस सीट पर चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे थे.
चुनाव के दौरान यह चर्चा का विषय भी रहा. हालांकि नतीजों के बाद सिंधिया से सवाल किया गया तो बिना झिझके तुरंत जवाब दिया बुलावा नहीं आया.
बीजेपी के खंडन के बाद सिंधिया से फिर सवाल किया गया, लेकिन उन्होंने कोई सफ़ाई नहीं दी. बस इतना कहकर रह गए मैं बयान के बयान में नही लगता.
क्या सिंधिया-रामनिवास में सब 'ऑल इज वेल'?
बता दें कि रामनिवास रावत कभी सिंधिया परिवार के करीबी माने जाते थे. 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जब बीजेपी का दामन थामा तब रामनिवास रावत उनके साथ बीजेपी में नहीं गए. हालांकि जब रामनिवास रावत की बाद में बीजेपी में एंट्री नरेंद्र सिंह तोमर, मोहन यादव और हितानंद शर्मा के जरिए हुई तो ज्वाइनिंग के समय भी ज्योतिरादित्य सिंधिया मौजूद नहीं रहे. हालांकि रामनिवास रावत के कांग्रेस में रहते सिंधिया करीब आठ बार रावत के लिए चुनाव प्रचार करने गए, लेकिन इस बार नहीं.
सिंधिया-बीजेपी के बयानबाजी के बीच कांग्रेस का तंज
इधर, सिंधिया और बीजेपी के बयानबाजी के बीच कांग्रेस ने तंज किया है. नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि रावत जी के नाम के अनुसार, जनता ने उन्हें निवास स्थान पर पहुंचा दिया. सिंधिया जी को मैं कहना चाहूंगा कि जिस पार्टी ने उन्हें सांसद, मंत्री बनाया वीडी शर्मा ने शायद उन्हें पीले चावल नहीं भिजवाया, इसलिए उन्होंने प्रचार नहीं किया. बीजेपी को पीले चावल की नई परंपरा शुरू करनी चाहिए.
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