MP Ccongress Meeting: विधानसभा (MP Assembly Election 2023) और लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) में भाजपा (BJP) से मात खाने के बाद अब कांग्रेस पार्टी ने कमर कसनी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश कांग्रेस (MP Congress) ने पार्टी की संरचना को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सात विशेष समितियों का गठन किया है. इन समितियों की अध्यक्षता वरिष्ठ नेताओं को सौंपी गई है. इस संगठनात्मक पुनर्गठन की निगरानी राज्य प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह (Bhanwar Jitendra Singh) और पीसीसी प्रमुख जीतू पटवारी ( PCC chief Jitu Patwari) करेंगे.
पार्टी में ऐसे फूंकी जाएगी जान
दरअसल, विधानसभा और लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद कांग्रेस अपने आपको पुनर्जीवित करने के लिए एक व्यापक योजना बना रही है. इस रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा उन उम्मीदवारों से प्रतिक्रिया लेना है, जिन्होंने दोनों चुनावों में भाग लिया और हार गए. इस काम के लिए पार्टी ने 7 कमेटियां बनाई है, जिसमें वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं के शामिल किया गया है. ये नेता उन समितियों का नेतृत्व करेंगे, जो वैचारिक और प्रशिक्षण, समन्वय, कार्यक्रम कार्यान्वयन, अनुशासन और पार्टी के कोर वोट बैंक को बढ़ाने जैसे मुद्दों पर काम करेंगे.
कार्यकर्ताओं का मन टटोलेगी कांग्रेस
इस पूरे मामले पर राज्य प्रभारी तेंद्र भंवर सिंह ने कहा कि हम कांग्रेस को मजबूत करने के लिए दो दिवसीय बैठक कर रहे हैं. हम अपने कार्यकर्ताओं की आवाज़ सुनेंगे और एआईसीसी के साथ मिलकर एक कार्य योजना बनाएंगे. उन्होंने बताया कि उम्मीदवारों से खास प्रारूप के आधार पर विस्तृत जानकारी देने के लिए कहा गया है, जिसमें विधानसभा और लोकसभा चुनावों में हार के प्रमुख कारण और जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के सुझाव शामिल हैं.
उम्मीदवारों से ये जानकारी मांगी गई
गोविंद सिंह ने हार की ये बताई वजह
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री गोविंद सिंह ने कहा कि लोगों ने हमारी हार के कारण बताए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि हमारे संगठन में कुछ कमजोरियां हैं, जिन्हें हमें दूर करना होगा.
कमलनाथ को नहीं मिली कोई जिम्मेदारी
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भाजपा ने ली चुटकी
बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा मध्य प्रदेश में भारी हार के बाद कांग्रेस ने एक संगठनात्मक मंथन सत्र आयोजित किया और सात अलग-अलग समितियों का गठन किया है. इनमें विभिन्न नेताओं को जिम्मेदारियां सौंपी गईं. इन समितियों में पार्टी के वरिष्ठ और कनिष्ठ नेताओं का मिश्रण है. लेकिन, इस पूरे मामले में दिलचस्प बात ये है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का नाम इन सात समितियों में कहीं भी नहीं है.