MP News : मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. भोपाल की मध्य विधानसभा सीट से कांग्रेस के विधायक मसूद पर चुनावी हलफनामे में खुद और उनकी पत्नी के नाम पर लिए गए 50 लाख से ज्यादा के लोन की जानकारी छिपाने का आरोप है. भाजपा के पराजित प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह ने इस मामले को लेकर मसूद के निर्वाचन को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है.
क्या है मामला ?
भाजपा प्रत्याशी ध्रुव नारायण सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि विधायक आरिफ मसूद ने नामांकन पत्र में बैंक लोन की जानकारी छुपाई थी. याचिकाकर्ता का कहना है कि मसूद और उनकी पत्नी ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की अशोका गार्डन ब्रांच से यह लोन लिया था. उन्होंने इसे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता का उल्लंघन बताते हुए मसूद के निर्वाचन को शून्य घोषित करने की मांग की.
सुप्रीम कोर्ट और दस्तावेजों का विवाद
मामला तब और गंभीर हो गया जब आरिफ मसूद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह दलील दी कि बैंक द्वारा प्रस्तुत किए गए लोन से जुड़े दस्तावेज फर्जी हैं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए हाई कोर्ट को दस्तावेजों की जांच करने के निर्देश दिए थे.
HC में जांच के बाद सामने आई सच्चाई
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए बैंक दस्तावेजों की जांच की. जांच के दौरान लोन संबंधित दस्तावेज सही पाए गए. इस घटनाक्रम से मसूद की परेशानियां और बढ़ गई हैं, क्योंकि उनके आरोपों को जांच के दौरान गलत साबित कर दिया गया.मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 3 जनवरी 2024 तय की है.
राजनीतिक हलचल और संभावित परिणाम
आरिफ मसूद पर लगे इस आरोप के बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. यदि हाईकोर्ट में उनके खिलाफ फैसला आता है, तो उनका निर्वाचन रद्द भी हो सकता है. इस मामले पर सभी राजनीतिक दलों की निगाहें टिकी हुई हैं. भाजपा की ओर से ध्रुव नारायण सिंह ने कहा कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता बेहद जरूरी है, जबकि कांग्रेस खेमे ने मसूद के समर्थन में इसे राजनीतिक षड्यंत्र बताया है.
ये भी पढ़ें- MP High School Teacher Recruitment में हुई गड़बड़ी पर हाईकोर्ट सख्त, दो दिन में गलती सुधारने के दिए आदेश
हाईकोर्ट ने दस्तावेज सही पाए
आरिफ मसूद के लिए यह मामला बेहद पेचीदा होता जा रहा है. जहां हाईकोर्ट ने दस्तावेज सही पाए हैं. वहीं, भाजपा प्रत्याशी ने इसे चुनावी नियमों का उल्लंघन बताया है. अब 3 जनवरी की सुनवाई पर सभी की निगाहें हैं, जहां इस मामले का अगला अध्याय तय हो सकता है.
ये भी पढ़ें- महाकाल के दरबार में जमकर हो रही है धन वर्षा, एक वर्ष में इतने अरब रुपये का मिला दान