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This Article is From Dec 28, 2023

अशोकनगर के यात्री भगवान भरोसे! सड़कों पर बगैर फिटनेस के दौड़ रहीं 123 बसें

तमाम खामियों के बाद भी इन यात्री बसों में ओवरलोडिंग के हालत हैं. जहां सीटें फुल होने के साथ ड्राईवर के पास इंजन के बोनट पर भी छह से आठ यात्री बिठाए जाते हैं.

अशोकनगर के यात्री भगवान भरोसे! सड़कों पर बगैर फिटनेस के दौड़ रहीं 123 बसें
अशोकनगर के यात्री भगवान भरोसे! सड़कों पर बगैर फिटनेस के दौड़ रहीं 123 बसें

MP News: बीते दिन बुधवार को गुना में दर्दनाक हादसा हो गया था. इस हादसे में 13 लोगों की मौत की बात सामने आई हैं. मामला तूल पकड़ने के बाद परिवहन विभाग सवालों के घेरे में आ गया है. घटना सामने आते ही अशोकनगर जिला परिवहन भी हरकत में आ गया है. इसी कड़ी में अशोकनगर परिवहन कार्यालय ने जिले में चलने वाली यात्री व स्कूली बसों की जानकारी ली तो चौंकाने वाले आकंड़े सामने आए. परिवहन कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, अशोकनगर जिले में कुल 272 बसें रजिस्टर्ड हैं. जिनमें से 155 यात्री बसें हैं. इन यात्री बसों में सिर्फ 79 बसों का फिटनेस सर्टिफिकेट जारी किया गया है लेकिन 76 बसें ऐसी हैं जो अनफिट हैं. अब यह बसें सड़कों पर दौड़ रहीं हैं या नहीं....इसके बारे में विभाग के पास कोई जवाब नहीं हैं. 

इसी तरह जिले में कुल 117 स्कूल बसें रजिस्टर्ड हैं. जिनमें से 70 बसों को फिटनेस सर्टिफिकेट गए हैं लेकिन 47 बसें अनफिट हैं. इन आंकड़ों को देखकर आसानी से अंदाज लगाया जा सकता है कि जिले में हजारों स्कूली बच्चे भी महफूज नहीं हैं.

ज़िले में बसों का क्या है हाल? 

जिले की सड़कों पर करीब सौ से अधिक बसें अनफिट स्थिति में हैं. नतीजतन अपनी जान जोखिम में डालकर यात्री इनमें यात्रा करने के लिए मजबूर हैं. इसके पीछे की वजह जिले में लंबे समय से आरटीई का पद खाली होना है. इसके अलावा जिले के RTO अधिकारी का प्रभार भी लंबे समय से गुना RTO पर है. वहीं कई यात्री बसों को भले ही विभाग ने फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किए हों, लेकिन यात्रियों की सुरक्षा तो दूर कई यात्री बसें खुद ही असुरक्षित सी दिखीं. कई बसों की छतों पर तिरपालें बंधी हुई थीं और इमरजेंसी गेट रस्सियों से बंधे हुए थे. कई बसों में गेटों और कुर्सियों के पास नुकीली चद्दरें निकली मिलीं. इसके अलावा कुछ बसों में तो इमरजेंसी गेटों पर कुर्सियां सेट कर दी गईं हैं. इससे इमरजेंसी गेट होने या न होने एक जैसा ही है. 

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तमाम खामियों के बाद भी इन यात्री बसों में ओवरलोडिंग के हालत हैं. जहां सीटें फुल होने के साथ ड्राईवर के पास इंजन के बोनट पर भी छह से आठ यात्री बिठाए जाते हैं. वहीं, फिर पूरी गैलरी में खड़े यात्रियों से लोगों को पैर रखने की भी जगह नहीं बचती हैं. इसके पीछे यात्रियों का बजट कम होने के अभाव के चलते बसों से यात्रा करना मजबूरी है. इसके बाद भी न तो इन पर कभी ओवरलोडिंग पर कार्रवाई होती है और न ही फिटनेस पर. यात्री बसों में हर दो सीट के बीच में जगह रहती है, ताकि यात्री सीट पर आराम से बैठ सके और उसके पैर दूसरी सीट से न टकराएं. लेकिन ज्यादा सवारी के चक्कर में कई बसों में तो सीटों के इस गेप को ही घटाकर सीटों की संख्या बढ़ा दी गई है. इससे सीटों के बीच यात्रियों को फंसकर बैठना पड़ता है. वहीं, बसों में न तो महिलाओं के लिए कोई सीट आरक्षित दिखी और न हीं विकलांगों के लिए. 

RTO ऑफिस में बसों की स्थिति के बारे में जब कलेक्टर सुभाष द्विवेदी से बात की गई तो उन्होंने कहा, यदि ऐसा है तो वाकई गंभीर स्थिति है. हम दिखवाते हैं....जिले में इस तरह की घटनाओं की फिर से नहीं होने दिया जाएगा.

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