नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच, जबलपुर ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल-एनजीटी में याचिका दायर कर नर्मदा तट पर बसे जबलपुर सहित 15 जिलों के कलेक्टरों पर पेनाल्टी लगाए जाने की मांग की है. याचिका में कहा गया है कि एनजीटी ने पूर्व में अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए नर्मदा तटीय अतिक्रमणों व अवैध निर्माणों के सिलसिले मेें महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए थे, लेकिन तीन वर्ष बीतने के बावजूद उनका समुचित पालन नदारद है. इसीलिए नये सिरे से याचिका दायर की गई है.
मंच के प्रांताध्यक्ष डा.पीजी नाजपांडे ने बताया कि एनजीटी ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि जिन जिलों से नर्मदा प्रवाहित होती हैं, उन जिलों के कलेक्टर तीन महीने के भीतर नर्मदा के किनारों से अतिक्रमण व अवैध निर्माण हटाएं.
तीन महीने में पूरी करनी थी सीमांकन की जिम्मेदारी
नाजपांडे ने बताया कि एनजीटी ने सभी कलेक्टरों को तीन महीने के भीतर नर्मदा तटों के बाढ़ क्षेत्रों का सीमांकन कर, उन्हें अतिक्रमण और अवैध निर्माण मुक्त करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके साथ ही मुख्य सचिव को नर्मदा के प्रदूषण को नियंत्रित करने एक्शन प्लान बनाने निर्देशति किया गया था. यह भी कहा गया था कि सभी कलेक्टर प्रदेश में निर्मित सभी वाटर बाडीज झील, तालाब आदि का सीमांकन कर वहां से अतिक्रमण हटाएं. यह निर्देश 23 सितंबर, 2021 को जारी किए गए थे. इसके बावजूद पालन नहीं हुआ. इसीलिए यह याचिका दायर की गई है.
कलेक्टर को भेजा गया था नोटिस
इस संबंध में जबलपुर, नरसिंहपुर, डिंडौरी, अनूपपुर, होशंगाबाद, मंडला, सीहोर, खंडवा, रायसेन, हरदा, देवास, खरगोन, धार, बड़वानी, अलीराजपुर जिलों के कलेक्टरों को नोटिस भेजा था, लेकिन कार्रवाई नहीं होने से इन 15 जिलों के कलेक्टरों को याचिका में अनावेदक बनाया गया है. मामले में याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रतीक जैन ने एनजीटी अधिनियम के प्रविधानों का हवाला देते हुए कहा है कि एनजीटी स्वयं उक्त कार्रवाई की मानिटरिंग करें या विकल्प के रूप में जिला न्यायालयों को कार्रवाई के संबंध में मामले को सौंपे. एनजीटी एक्ट की धारा-26 व 28 का हवाला देते हुए इस मामले में अनावेदकों के खिलाफ पेनाल्टी लगाए जाने की राहत की मांग की गई है.
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