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This Article is From Feb 07, 2024

Ground Report: कहीं झोपड़ी तो कहीं आंगन में पढ़ने को मजबूर बच्चे, बांध में डूबे स्कूल का नहीं हुआ निर्माण

Dhar News: मध्य प्रदेश के धार में कारम डैम के डूब क्षेत्र में आने के बाद दो गांवों की स्कूल को शिफ्ट कर दिया गया. लेकिन, स्कूल की बिल्डिंग नहीं होने के चलते यहां के बच्चों को पहाड़ी में बनी झोपड़ी और घर के आंगन में बैठकर पढ़ना पड़ रहा है.

Ground Report: कहीं झोपड़ी तो कहीं आंगन में पढ़ने को मजबूर बच्चे, बांध में डूबे स्कूल का नहीं हुआ निर्माण
धार में प्राइमरी स्कूल के बच्चे स्कूल भवन नहीं होने के चलते झोपड़ी में पढ़ने को मजबूर हैं.

Condition of Schools in Dhar: मध्य प्रदेश के धार (Dhar) में डैम के डूब क्षेत्र में आने के चलते दो गांवों के बच्चे झोपड़ी और आंगन में पढ़ने के लिए मजबूर हैं. यह मामला धार जिले के कोठीदा पंचायत में पटेलपुरा और भैसाखो मजरा गांव का है. जहां कारम बांध (Karam Dam) के बैक वाटर एरिया में दोनों गांव की स्कूल डूब गई. अब यहां के बच्चे एक पहाड़ी में बने झोपड़ी में पढ़ रहे हैं. जबकि दूसरे गांव में भी बच्चे आंगन में पढ़ने को मजबूर हैं. वहीं इस मामले में धरमपुरी के शिक्षा अधिकारी (Education Officer of Dharampuri) का कहना है कि जब से डैम टूटा तब से यह स्कूल ऐसे ही चल रही है. हमने स्कूल बनाने के लिए पत्र भेजा हुआ है. वर्तमान में इसकी टेंडर प्रक्रिया चल रही है.

पहाड़ी में बनी झोपड़ी में पढ़ रहे हैं बच्चे

मजरा पटेलपुरा गांव में बांध बनने के कारण यहां की स्कूल के साथ ही कई मकान भी डूब गए. जिसके बाद यहां के लोग पहाड़ी पर जाकर बस गए और पिछले एक साल से यह स्कूल पहाड़ी पर बनी झोपड़ी में चल रही है. यहां पहुंचने के उबड़-खाबड़ रास्तों से गुजरना पड़ता है. स्कूल तक पहुंचने के लिए कई तरह की कठनाईयों का सामना करना पड़ता है. मजरा पटेलपुरा की प्राइमरी स्कूल पहली से पांचवी तक है. यहां आधे से एक किलोमीटर दूर से बच्चे, इस झोपड़ी वाली स्कूल में उबड़-खाबड़ वाले रास्ते से पढ़ने के लिए आते हैं.

स्कूल में पढ़ रहे हैं 28 छात्र

वर्तमान में इस स्कूल में 28 छात्र-छात्राएं हैं. स्कूल के शिक्षक सुशील चौधरी बताते हैं कि पहले यह स्कूल निचले इलाके पर थी. वहां बांध बनने से स्कल डूब गई. स्कूल डूबने के बाद से सभी लोग पहाड़ी पर आ गए. उन्होंने कहा कि हमने हमारे अधिकारियों को भी इस स्थिति के बारे में बताया है. इसके साथ ही जल संसाधन विभाग को स्कूल बनाने के लिए भी कहा है. हम 1 साल से बच्चों को पहाड़ी पर पढ़ा रहे हैं.

School in Hut

स्कूल के डूबने के बाद से स्कूल इसी झोपड़ी में चल रही है.

वहीं स्कूल में पढ़ने आए छात्र अशोक ने बताया कि वे चौथी क्लास में पड़ते हैं. उनका घर पहाड़ी से कुछ ही दूरी पर है. वह हर रोज की तरह पहाड़ी चढ़कर स्कूल पढ़ने के लिए आता है. अशोक ने बताया कि उसकी स्कूल डूब गई है.

अधिकारियों ने आंगन में पढ़ने के लिए कहा

मजरा भेसाखो गांव में भी स्कूल नहीं होने के चलते यहां के बच्चे घर के आंगन में पढ़ाई कर रहे हैं. यहां की स्कूल में 24 बच्चे बढ़ते हैं. तीसरी क्लास में पढ़ने वाली छात्रा राधिका ने बताया कि हम पहले नीचे स्कूल में पढ़ते थे. अब वह डूब गई. जिसके बाद हम सब अब यहां पढ़ते हैं. उन्होंने बताया कि यहां पढ़ने में परेशानी भी होती है. वहीं इस स्कूल के शिक्षक गिरधारी कोली ने बताया कि पहले स्कूल नदी में हुआ करती थी. अब वह डूब गई है तो हम यहां ऊपर स्कूल लगा रहे हैं. इस बारे में संबंधित अधिकारी को अवगत कराया था, उन्होंने यहां पढ़ने के लिए कहा है तो हम पढ़ा  रहे हैं.

स्कूल टेंडर अभी प्रक्रिया में है

वहीं इस पूरे मामले में जब NDTV की टीम ने स्कूल की स्थिति को लेकर जिम्मेदारों से सवाल पूछा तो धरमपुरी के शिक्षा अधिकारी बीआरसी प्रवीण बेगुनिया ने बताया कि जब से कारम डैम टूटा था, तब से यह स्कूल चल रही है. लगभग एक से डेढ़ साल हो गया है. हमने स्कूल के सिक्योरिटी के लिए पत्र भेजा था और गांव वाले भी अन्य जगह जाना चाहते थे. गांव वालों ने मुआवजा ले लिया और वह अन्य जगह जाना चाहते थे लेकिन ने नहीं गए. इसलिए प्रक्रिया में थोड़ा विलंब हुआ है. उन्होंने बताया कि डैम को जल संसाधन विभाग बना रहा था. जल संसाधन विभाग की ओर से इस स्कूल को स्वीकृत मिल चुकी है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में टेंडर प्रक्रिया में है. हमें सूचना प्राप्त हुई है कि 13 तारीख को टेंडर खोले जाएंगे.

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