
Madhya Pradesh Hindi News: सरकारी दावों के मुताबिक 108 एंबुलेंस को जीवन रक्षक सेवा कहा जाता है, लेकिन छतरपुर जिले के बकस्वाहा से एक दिल दहला देने वाली घटना ने इन दावों की असलियत उजागर कर दी. कुशमाड़ गांव के अनन अहिरवार का पांच वर्षीय बेटा शिवम अहिरवार उल्टी-दस्त से पीड़ित था. उसे इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बकस्वाहा लाया गया. डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताकर शिवम को दमोह रेफर कर दिया और परिजन 108 एंबुलेंस से रवाना हुए.
एंबुलेंस से जाते समय वह बकस्वाहा से सिर्फ सात किमी दूर जुझारपुरा गांव पहुंचे ही थे कि शिवम की हालत और बिगड़ गई. इसी बीच एंबुलेंस ड्राइवर ने अमानवीयता दिखाते हुए मरीज और परिजनों को सड़क किनारे उतार दिया और खुद गाड़ी लेकर दमोह के लिए निकल गया.
लाचार परिवार लौट गया घर
लाचार परिवार पैदल ही अपने गांव कुशमाड़ लौट आया, जहां शिवम की हालत और बिगड़ गई. परिजन उसे दोबारा बकस्वाहा अस्पताल लाए, लेकिन तब तक मासूम की सांसे थम चुकी थीं.
परिजन शंकर अहिरवार का आरोप है कि अगर एंबुलेंस चालक हमें समय पर दमोह पहुंचा देता तो शिवम की जान बच सकती थी. ड्राइवर की बेरहमी ने हमारे बच्चे की जान ले ली.
बीएमओ ने कार्रवाई की बात कही
इस मामले पर बकस्वाहा के प्रभारी बीएमओ डॉ. रविराज ने कहा कि कल एक बच्चे को रेफर किया गया था. अगर 108 एंबुलेंस के चालक ने सच में ऐसी अमानवीय हरकत की है और बीच रास्ते में मरीज को उतारा है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी.
वहीं तहसीलदार भरत पांडे ने तुरंत संज्ञान लेते हुए कहा कि घटना की गंभीरता को देखते हुए छतरपुर प्रभारी को जांच के आदेश दे दिए गए हैं और दोषी चालक पर कठोर कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी."
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