Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बमीठा क्षेत्र में गंगवाहा गांव में अचानक उल्टी-दस्त का प्रकोप है. इसकी वजह से बमीठा अस्पताल ले जाते समय दो बच्चों की मौत हो गई. इसके अलावा गांव के दर्जन भर से अधिक बच्चे और अन्य लोग बीमार हैं. बीमारी फैलने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग सक्रिय नहीं है. गांव में मेडिकल टीम पहुंचना तो दूर पास के बमीठा अस्पताल में भी डॉक्टर नहीं हैं. ऐसे में ग्रामीणों में काफी रोष देखा जा रहा है.
अस्पताल में नहीं मिला उपचार
बीते रविवार को उल्टी-दस्त होने से ग्रामीण लोग बमीठा अस्पताल पहुंचे थे. लेकिन वहां न तो कोई डॉक्टर था और न ही कोई नर्सिंग स्टाफ. हालत गंभीर होने के कारण परिजन मरीजों को लेकर दूसरे अस्पताल के लिए निकले लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया.
40 किमी दूर है गंगवा गांव
जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर बामेटा क्षेत्र में गंगवा गांव स्थित है. इस गांव में पिछले कुछ दिनों से उल्टी दस्त के केस सामने आए हैं. दो लोगों की मौत हो चुकी है और करीब एक दर्जन को गांव में ही उल्टी दस्त की समस्या से लड़ रहे हैं कुछ लोग जिला बमीठा अस्पताल आ गए हैं लेकिन यहां उनका स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिल रही हैं.
इनकी हुई है मौत
बीते रविवार को अरविंद आदिवासी उम्र 11 वर्ष, रोशनी आदिवासी उम्र 5 वर्ष उल्टी दस्त होने पर बमीठा स्वस्थ्य केंद्र लेकर आए थे. जहां डॉक्टर नहीं मिलने पर दूसरे डॉक्टर के पास इलाज के लिए जाते समय दोनों ने रास्ते में दम तोड़ दिया.
मरीज डॉक्टरों के इंतजार में हैं. गंगवहा गांव में उल्टी दस्त के एक दर्जन से ज्यादा मरीज हैं, लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने इस ओर ध्यान नहीं दिया है.
जिम्मेदार भी नहीं हैं गंभीर
जिलेभर में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हो रही हैं. अस्पतालों में डॉक्टर नहीं जा रहे और नर्सिंग स्टाफ की भी मनमानी चल रही है. जब कोई मरीज अस्पताल में पहुंचता है तो वहां उनका स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिलती है. बमीठा के स्वास्थ्य केंद्र का भी यही हाल है जहां लोग उल्टी दस्त से लड़ रहे हैं बीमार हैं और वहां उनका स्वास्थ्य सुविधा नहीं मिली. जहां ना तो डॉक्टर हैं ना स्टाफ है. बमीठा क्षेत्र में पिछले कई दिनों से उल्टी-दस्त की समस्या बढ़ रही है, लोग बीमार हो रहे हैं इसके बाद भी स्वास्थ्य अमले ने वहां झांकना तक जरुरी नहीं समझा. जबकि जिले भर की पूरी जिम्मेदारी सीएमएचओ को निभानी होती है.
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