
Chandragrahan 2025: ग्रहण का असर इंसान के साथ भगवान पर भी होता है. इसी मान्यता के चलते रविवार को चंद्रगहण होने के कारण मध्यप्रदेश के उज्जैन में विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर भगवान की शयन आरती समय से पूर्व की जाएगी, वहीं अन्य मंदिरों के द्वार भी जल्द बंद कर दिए जाएंगे.
दरअसल रविवार को भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है. यह पूर्णिमा पर रात 9.56 बजे से चंद्र ग्रहण शूरू होगा जो 11.48 बजे तक रहेगा. इसलिए बाबा महाकाल की प्रतिदिन रात 10.30 बजे होने वाली शयन आरती 9.30 बजे होगी और 9.58 बजे पट बंद कर दिए जाएंगे.
वहीं ग्रहण के कारण सोमवार तड़के की भस्म आरती प्रारंभ से पहले पूरे मंदिर को पानी से धोकर शुद्धीकरण के साथ भगवान का भी शुद्धि स्नान कराने के बाद पूजन अभिषेक के बाद भस्म आरती होगी. रात में चंद्र ग्रहण होने पर शयन आरती और पट बंद का समय जरूर बदलेगा, लेकिन रविवार सुबह की भस्मआरती के साथ अन्य आरती निर्धारित समय पर होगी औरश्रद्धाल भी दर्शन कर सकेंगे. हालांकि ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले दोपहर 12:58 बजे से लगना माना जा रहा हैं.
हरसिद्धि माता को स्पर्श नहीं
ग्रहण के कारण गोपाल मंदिर, सांदीपनि आश्रम, हरसिद्धि मंदिर, मंगलनाथ सहित अन्य वैष्णव मंदिरों में पूजन व्यवस्था बदली रहेगी. हरसिद्धि मंदिर के पुजारी राजू गिरी गोस्वामी ने बताया कि चंद्र ग्रहण के सूतक से पहले माता जी की पूजन आरती होगी और सूतक के बाद माता जी को स्पर्श नहीं करेंगे.गर्भगृह में प्रवेश और पूजन नहीं होगा. श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर के पुजारी पावन शर्मा ने बताया कि सूतक के पूर्व पूजन करेंगे और सूतक के बाद मंदिर के चांदी द्वार बंद कर दिए जाएंगे.
मंगलनाथ में भात पूजन नहीं
श्री मंगलनाथ मंदिर प्रशासक केके पाठक के अनुसार चंद्र ग्रहण के चलते रविवार को गर्भगृह में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा दर्शनार्थी भगवान के बाहर से दर्शन कर सकेंगे मंदिर में भात पूजा सुबह सिर्फ 11 बजे तक ही होगी. वहीं श्री सांदीपनि आश्रम में भी सूतक माना जाएगा. ग्रहण से पूर्व दिनभर सभी मंदिरों श्रद्धालु बाहर से भगवान के दर्शन कर सकेंगे. ग्रहण के बाद सभी मंदिर के पट बंद होगें और सोमवार सुबह 5 बजे मंदिर धोकर भगवान का शुद्धी स्नान और श्रृंगार के बाद पूजा शुरू होगी.
ग्रहण में यह करे
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्र ग्रहण एकदम लाल दिखेगा। इसलिए इसे ब्लड मून कहते है. ऐसे तो ग्रहण का असर पूरे देश भर में पड़ेगा. लेकिन भोपाल, इंदौर,व ग्वालियर में भी चंद्र ग्रहण एक समय पर दिखेगा.यह एक अशुभ समय होता है.पूजा-पाठ और अन्य शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है. इसलिए ग्रहण के दौरान ईष्टदेव के मंत्रों का जाप करें, खासकर चंद्र मंत्रों का उच्चारण करें. मंत्रों का जाप सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है.
क्या कहता है विज्ञान
जीवाजी वैद्यशाला अधीक्षक डॉ राजेंद्र प्रसाद गुप्त के अनुसार वैज्ञानिक नजरिए से ग्रहण एक खगोलीय घटना है. इसे वेधशाला में टेलीस्कोप से देख सकते हैं. बारिश नहीं होने पर अपनी छत से भी देख सकेंगे. चंद्र ग्रहण भारत के अलावा एशिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका,अंटार्कटिका जैसी जगहों पर भी दिखाई देगा.
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