
Chaitra Navratri 2025 Day 2: नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है. इन्हें ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है. मान्यता के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान और बुद्धि प्रदान करने की भी देवी माना जाता है. ब्रह्म का अर्थ तपस्या है और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली यानी तप का आचरण करने वाली देवी हैं.
मां ब्रह्मचारिणी तपस्या और संयम का भी प्रतीक हैं. इनकी पूजा करने से तप और संयम की शक्ति मिलती है. चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की कथा पढ़ने का महत्व है. मां दुर्गा की नौ शक्तियों में दूसरा स्वरूप देवी ब्रह्मचारिणी का है. यह स्वरूप श्वेत (सफेद) वस्त्र धारण किए हैं. साथ ही दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए हैं.
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
मां ब्रह्मचारिणी का नाम जपते हुए मां को पंचामृत से स्नान कराएं. फिर सुन्दर श्वेत वस्त्र पहनाकर चुनरी अर्पित करें. उसके बाद कुमकुम, सिंदूर, फूल और अक्षत अर्पित करें. मां को सुगंधित सफेद फूल चढ़ाएं. मिश्री या सफेद मिठाई से मां को भोग लगाएं. मां की कपूर से आरती उतारें. माता को शक्कर से बनी चीजें काफी प्रिय हैं. आप माता को शक्कर से बनी बर्फी का भोग लगा सकते हैं.
माता ब्रह्मचारिणी के आराधना मंत्रः (Maa Brahmcharini Mantra)
या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू.
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमाः
दूसरा मंत्र
ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम