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2 साल के बच्चों को NO सिरप ! केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया- 5 साल से छोटे बच्चों को कैसे देनी है दवा?

छिंदवाड़ा और राजस्थान में कथित तौर पर खांसी की सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की यह नई एडवाइजरी जारी की है.ये एडवाइडरी हर माता-पिता को ध्यान से पढ़ना चाहिए. दरअसल बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए मंत्रालय ने खांसी और जुकाम की दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए देशव्यापी निर्देश जारी किए हैं.

2 साल के बच्चों को NO सिरप ! केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया- 5 साल से छोटे बच्चों को कैसे देनी है दवा?

Cough Syrup Advisory:मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान में कथित तौर पर खांसी की सिरप से हुई बच्चों की मौत के मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की यह नई एडवाइजरी जारी की है.ये एडवाइडरी हर माता-पिता को ध्यान से पढ़ना चाहिए.   दरअसल बच्चों की सुरक्षा को देखते हुए मंत्रालय ने खांसी और जुकाम की दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए देशव्यापी निर्देश जारी किए हैं. स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (DGHS) डॉ. सुनीता शर्मा की तरफ से जारी इन निर्देशों में साफ किया गया है कि बच्चों को बिना सोचे-समझे सिरप देना खतरनाक हो सकता है.

माता-पिता के लिए सबसे बड़ी चेतावनी: उम्र का रखें ध्यान

मंत्रालय ने साफ़ कहा है कि बच्चों में खांसी की ज़्यादातर दिक्कतें किसी दवा के बिना ही, खुद-ब-खुद ठीक हो जाती हैं. इसलिए दवा की ज़रूरत अक्सर नहीं पड़ती. मंत्रालय के मुताबिक आपके बच्चे को दवा देनी है या नहीं, इसके लिए उम्र के ये तीन नियम गांठ बांध लें:

  • 2 साल से कम उम्र: बिल्कुल न दें. 2 साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी या जुकाम की कोई भी सिरप न दें. यह पूरी तरह मना है.
  • 5 साल से कम उम्र: उपयोग से बचें. 5 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए भी इन दवाओं का इस्तेमाल आम तौर पर नहीं किया जाना चाहिए.
  • 5 साल से अधिक उम्र: 5 साल से ज़्यादा उम्र के बच्चों को सिरप केवल और केवल डॉक्टर की सलाह के बाद ही दें.

सिरप क्यों नहीं देनी चाहिए?

रिसर्च बताती है कि ये सिरप बच्चों की खांसी ठीक करने में खास असरदार नहीं होतीं, बल्कि कई बार उनमें सुस्ती और अन्य साइड इफेक्ट्स (दुष्प्रभाव) पैदा कर देती हैं. मंत्रालय ने माता-पिता से अपील की है कि वे डॉक्टर से पूछे बिना बच्चे को कोई भी सिरप खुद से न दें.

डॉक्टर भी दवा नहीं, ये तरीके अपनाएंगे

DGHS ने डॉक्टरों को निर्देश दिया है कि वे अब खांसी के लिए तुरंत दवा लिखने के बजाय, सबसे पहले दवा-रहित (Non-Drug) उपचार को प्राथमिकता दें.एडवाजरी में बताया गया है कि डॉक्टरों द्वारा माता-पिता को दी जाने वाली सलाह में किन-किन चीजों को शामिल किया जाना है. इसे भी प्वाइंट्स के जरिए समझ लीजिए

  • बच्चे को खूब पानी और तरल पदार्थ पीने को कहें.
  • उन्हें पर्याप्त आराम कराएँ.
  • भाप लेना (स्टीम लेना) या गुनगुना पानी पिलाना जैसे घरेलू और सहयोगी उपाय सबसे ज़्यादा असरदार होते हैं.

कुल मिलाकर इस एडवाइजरी एक ही साफ़ संदेश है कि बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए दवाओं पर नहीं, बल्कि सही देखभाल और सावधानी पर भरोसा करें. मालूम हो कि एमपी में सारी मौत छिंदवाड़ा के परासिया ब्लॉक में हुई हैं, फिलहाल 1420 बच्चों की लिस्ट है, जो सर्दी, बुखार और जुकाम से प्रभावित रहे हैं. बच्चों की मौत के पीछे जिन दो कफ सिरप, कोल्ड्रिफ (Coldrif) - Chennai और नेक्सा डीएस (Nexa DS) को जिम्मेदार बताया जा रहा था वो Himachal में बनता है. उन्हें प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी डॉक्टरों ने भी अपने पर्चे में लिखा है.

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