
मध्य प्रदेश में पुलिस हिरासत में युवक की मौत के मामले में फरार चल रहे दो पुलिस अफसरों की देरी से गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और सीबीआई से स्पष्टीकरण मांगा है. जस्टिस नागरत्ना की अध्यक्षता वाली बेंच में जानकारी दी गई गई कि दोनों पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ जो भी विभागीय कार्रवाई की जा रही है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई कि कि दो बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश देने के बावजूद दोनों की गिरफ्तारी नहीं की गई, लेकिन जब अवमानना की सुनवाई हुई तो गिरफ्तारी हुई.
अदालत ने सीबीआई से स्पष्टीकरण मांगा है कि सुप्रीम कोर्ट के 15 मई आदेश के अनुपालन में चूक क्यों हुई और गिरफ्तारी इस साल 27 सितंबर और 5 अक्टूबर को क्यों की गई? कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से भी 8 नवंबर को होने वाली अगली सुनवाई में दोनों अधिकारियों के खिलाफ आगे क्या विभागीय कार्रवाई की गई, उसके बारे में बताना है.
पिछली सुनवाई में क्या हुआ?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने 26 वर्षीय देवा पारधा की पुलिस हिरासत में मौत के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने का सीबीआई को आदेश दिया था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई. इसके बाद देवा की मां ने अवमानना याचिका दाखिल की, जिस पर 26 सितंबर को कोर्ट ने CBI को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और राज्य सरकार के अधिकारियों को अंतिम चेतावनी दी कि अगर मध्य प्रदेश पुलिस के फरार दो अफसरों को 7 अक्टूबर तक गिरफ्तार नहीं किया गया तो अवमानना की कार्यवाही शुरू होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "अगर आदेश का पालन नहीं हुआ तो हम अवमानना के आरोप तय करेंगे और उसके परिणाम भुगतने होंगे. अभी हम आपको मौका दे रहे हैं, जल्दबाजी नहीं कर रहे. अगर आरोपी आम लोग होते तो उन्हें कब का पकड़ लिया गया होता. हम एक ही बात सुनना चाहते हैं कि आरोपी पुलिस वालों को गिरफ्तार कर लिया गया है."
पीठ ने यह भी सवाल उठाया था कि जब दोनों अफसर अगस्त में जमानत याचिका दायर करने कोर्ट आए थे, तब तक वे कैसे “लापता” बने रहे. जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि यह कोर्ट की अवमानना को और गंभीर बनाता है.
7 अक्टूबर तक दिया था समय
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने सख्त लहजे में कहा था कि 7 अक्टूबर तक गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाए. अगर ऐसा नहीं हुआ तो 8 अक्टूबर को सीबीआई के जांच अधिकारी और मध्य प्रदेश के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होना होगा.
यह है मामला
दरअसल, 14 जुलाई 2024 को गुना ज़िले के म्याना थाने में देवा पारधा की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी, जिसे पुलिस ने चोरी के आरोप में हिरासत में लिया था. आरोप है कि पिटाई के चलते देवा की मौत हो गई थी. इस मामले में पुलिस ने ढीली कार्रवाई की. मामले में थाना प्रभारी इंस्पेक्टर संजीत मावई और उमरी चौकी प्रभारी सब-इंस्पेक्टर उत्तम सिंह कुशवाहा पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
उसके बाद देवा की मां ने सुप्रीम कोर्ट पहुंची और 29 अप्रैल 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया. मामला भी जांच के लिए 15 मई को सीबीआई को सौंप दिया था, लेकिन सीबीआई की ओर से कोई गिरफ्तारी नहीं की गई थी. कोर्ट की सख्ती के बाद सीबीआई ने फरार चल रहे कुशवाह और मावई को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद कोर्ट में 9 अक्टूबर को हलफनामा दायर कर बताया कि एक अधिकारी को 27 सितंबर और दूसरे को 5 अक्टूबर को गिरफ्तार कर लिया है.