Jabalpur News: सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता (Gang Rape Victim) और उसकी बहन को मुफ्त शिक्षा का वादा करने के बाद फीस वसूली का नोटिस थमाने के मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) ने सख्त रुख अपनाया है. इस मामले में बार-बार जवाब पेश करने की मोहलत देने के बावजूद जवाब पेश नहीं किए जाने पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई है. चीफ जस्टिस (Chief Justice) रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबलबेंच ने प्रदेश के मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव और इंदौर के कलेक्टर पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.
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अदालत ने लिया एक्शन
अदालत ने तीनों अधिकारियों को हाईकोर्ट रजिस्ट्री में निजी तौर पर जुर्माने की राशि जमा कराने के निर्देश भी दिए हैं. इस मामले पर अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी. इस मामले में अदालत ने इंदौर के विद्यासागर स्कूल प्रबंधन को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने मुफ्त शिक्षा का दिया था आश्वासन
इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री ने पीड़िता और उसकी बहन को मुफ्त शिक्षा का आश्वासन दिया था. सरकार के आश्वासन देने के बावजूद भी फीस के संबंध में स्कूल प्रबंधन ने पीड़िता को नोटिस भेजा था.
अखबार की खबर का पड़ा प्रभाव
अखबार में प्रकाशित खबर को संज्ञान में लेते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि मलिमठ ने मामले की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में किए जाने के आदेश दिए थे. गुरूवार को सुनवाई के दौरान शासन की ओर से जवाब पेश करने की पुन: मोहलत मांगी गई थी. इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए संबंधित अधिकारियों पर 25-25 हजार का जुर्माना लगाया है.
यह था मामला
एक अखबार में प्रकाशित खबर के अनुसार मंदसौर जिले में जून 2018 को 7 साल की बच्ची का स्कूल से 2 लोगों ने अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया था. आरोपियों ने पीड़िता का दो बार गला काटा और उसे मरने के लिए छोड़ दिया था. डॉक्टरों ने इस बच्ची की सर्जरी कर उसे बचा लिया था. तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पीड़िता और उसके परिवार से वादा किया था कि सरकार उसकी और उसकी बहन की शिक्षा का ख्याल रखेगी. सरकार ने इंदौर के एक निजी स्कूल में दोनों बहनों का दाखिला भी कराया था. जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने इंदौर कलेक्टर और जिला शिक्षा विभाग को 14 लाख रुपए बकाया का नोटिस भेजा था.
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