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गर्भस्थ शिशु की मौत, झोला छाप महिला डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज; कलेक्टर की सख्ती पर स्वास्थ्य विभाग ने उठाया कदम

उज्जैन में एक फर्जी महिला डॉक्टर के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है। आरोप है कि उसने एक गर्भवती महिला का इलाज किया, जिससे गर्भस्थ शिशु की मौत हो गई. पीड़ित परिवार का आरोप है कि डॉक्टर ने गलत इलाज किया और पैसे मांगने के साथ धमकी भी दी.

गर्भस्थ शिशु की मौत, झोला छाप महिला डॉक्टर के खिलाफ केस दर्ज; कलेक्टर की सख्ती पर स्वास्थ्य विभाग ने उठाया कदम

मध्य प्रदेश के उज्जैन में बुधवार रात एक फर्जी महिला डॉक्टर की खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया है. यह कार्रवाई कलेक्टर रोशन सिंह की सख्ती के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रतिवेदन पर पुलिस ने की है. दरअसल, फर्जी डॉक्टर को गर्भस्थ शिशु के मौत का जिम्मेदार बताकर परिजन पांच दिन से कार्रवाई की मांग कर रहे थे.

जानकारी के अनुसार, चिंतामण जवासिया निवासी काजल मालवीय छह माह की गर्भवती थी. 2 अक्टूबर को काजल को दर्द होने पर पति लखन मालवीय जीवाजी गंज स्थित शासकीय अस्पताल की आशा कार्यकर्ता की सलाह पर मक्सी रोड स्थित पंवासा में अस्पताल चला रही झोलाछाप डॉ. तैय्यबा शेख के पास ले गया था. यहां डॉ शेख के गलत इलाज से काजल की हालत गंभीर हो गई और गर्भस्थ बच्चे की मौत हो गई थी. इससे आक्रोशित परिजनों ने डॉ शेख पर कार्रवाई की मांग की, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने बिना परमिशन चल रहे उसके क्लिनिक और मेडिकल को सील कर इति श्री कर ली थी.

स्वास्थ विभाग को लिखना पड़ा पत्र 

शेख पर कार्रवाई नहीं होने पर मालवीय के परिजनों ने दो दिन पहले फिर उससे संबंधित विशेष हॉस्पिटल पर नारेबाजी करने के साथ कलेक्टर से भी शिकायत की थी. बावजूद स्वास्थ्य विभाग करवाई नहीं कर रहा था. जानकारी मिलने पर बुधवार को कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने सीएमएचओ अशोक पटेल पर नाराजगी जाहिर की तो उन्होंने शाम को डॉ शेख पर कार्रवाई के लिए पंवासा थाने प्रतिवेदन भेज दिया. नतीजतन बुधवार रात को पुलिस ने डॉ शेख पर बिना अनुमति मेडिकल ओर हॉस्पिटल चलाने का केस दर्ज करा दिया.

पीड़ित की जुबानी घटना 

लखन मालवीय के अनुसार, पत्नी काजल का इलाज डॉ मीनाक्षी जाटव से चल रहा था, लेकिन 2 अक्टूबर को डॉ जाटव के नहीं होने पर दर्द बढ़ने से काजल को डॉ शेख को दिखाना पड़ा था. डॉ शेख ने दावा किया था कि गर्भस्थ शिशु के हाथ-पैर नहीं बने हैं. उन्होंने काजल की जान को खतरा बता भर्ती कर ब्लड चढ़ा दिया. काजल को दर्द बढ़ने पर छुट्टी मांगी तो कहा कि पेट में जहर फैलने से मौत हो जाएगी. फिर विशेष अस्पताल भेजा. वहां से हालत बिगड़ी पर काजल को एसएन कृष्णा हॉस्पिटल ले गए. वहां नार्मल डिलिवरी हुई, लेकिन शिशु मृत जन्मा. यहां डॉक्टर ने बताया कि शिशु पूरी तरह विकसित था. डॉ. शेख ने नार्मल डिलिवरी के लिए 15 हजार रुपये मांगे थे। 5 हजार दिए और करीब 8 हजार की दवाई खरीदी.

क्लिनिक कैसे खुला पता नहीं

खास बात यह है कि डॉ. शेख MBBS डॉक्टर नहीं है। BEMS की डिग्री से ही उसने मक्सी रोड पर क्लिनिक खोला था. पहले भी एक शिशु की मौत का आरोप लगने पर उनका क्लीनिक सील कर थाने में केस दर्ज किया था, लेकिन ठोस कारवाई नहीं होने पर उसने क्षेत्र में फिर बिना अनुमति नया अस्पताल ओर मेडिकल खोल लिया था. अब देखना यह है कि पुलिस प्रशासन उस पर ऐसी कारवाई कर पाएगा कि घटना की पुनरावृति न हो क्योंकि पीड़ित काजल के मामा मनोज का आरोप है कि डॉ शेख उससे सेटलमेंट के लिए काल करने के साथ कोई करवाई नहीं होने का दावा कर रही हैं.

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