
Burhanpur Ichchha Devi Temple History: बुरहानपुर जिला मुख्यालय से लगभग 23 किमी दूर मध्य प्रदेश-महाराष्ट्र सीमा पर बसे गांव इच्छापुर इच्छादेवी का भव्य मंदिर है. ऐसा माना जाता है कि एक मराठा सूबेदार ने 450 साल पहले पुत्र प्राप्ति के सपने को पूरा होने के बाद पहाड़ी पर इस मंदिर को बनाया था. चैत्र नवरात्री में यहां हर साल मेला लगता है, जिसमें लाखों भक्त दर्शन करने आते हैं. यह मेला दो दिन तक चलता है. ऐसा कहा जाता है कि इच्छापुर गांव का नाम इच्छादेवी (इच्छा पूरी करने वाली) के नाम पर रखा गया है.
बता दें कि एक मराठा सूबेदार ने संकल्प लिया था कि यदि उन्हें पुत्र प्राप्ति होगी तो वह देवी के लिए एक मंदिर और कुंए का निर्माण करवाएगा. जब उनकी इच्छा पूरी हुई तो उसने कुंआ और मंदिर का निर्माण करवाया. बाद में सतपुड़ा की पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर तक पहुंचने के लिए सीढ़िया भुस्कुटे परिवार ने बनवाई.
शारदीय नवरात्रि के मौके पर जिले के सबसे बड़े देवी मंदिर इच्छादेवी मंदिर में हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिसे देखते हुए मंदिर ट्रस्ट जिला प्रशासन और पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था की है. बता दें कि नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं.
बुरहानपुर जिले के मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर निमाड की वैष्णव देवी के नाम से मशहुर इच्छादेवी मंदिर में नवरात्रि पर्व शुरू होते ही श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता है, लेकिन जैसे जैसे सप्तमी और अष्टमी करीबी आती है यह संख्या और बढ़ जाती है. मंदिर की सभी व्यवस्थाओं को करने और देखरेख करने के लिए इच्छादेवी मंदिर ट्रस्ट द्वारा की जाती है.
40 सीसीटीवी कैमरों से सुरक्षा व्यवस्था
पुलिस थाना शाहपुर के टीआई अखिलेश मिश्रा ने बताया कि मंदिर में आने वाले लाखो श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के लिए पर्याप्त मात्रा में पुलिस बल तैनात है. जिला पुलिस बल के अलावा अतिरिक्त पुलिस बल की व्यवस्था है. 40 सीसीटीवी कैमरों से 24 घंटे निगरानी रखी जाती है. पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम से आवश्यक घोषणाए की जाती है. असमाजिक तत्वों पुलिस की पैनी नजर रहती है.
स्वंयभू है इच्छादेवी
इच्छादेवी मंदिर के पूजारी सुभाष वासुदेव के अनुसार यह मंदिर करीब 350 से 400 साल पूराना स्वंयभू मंदिर है. मंदिर स्थल पर पहले काफी घना जंगल हुआ करता था. गांव के देवीदास नामक ब्राह्मण देवी की आराधना करते थे. उनकी आराधना से प्रसन्न होकर साक्षात देवी मां ने उन्हें दर्शन दिए और देवीदास से वर मांगने को कहा. इस पर ब्राह्मण देवीदास ने मां इच्छादेवी की प्रार्थना की कि देवी मां आप स्वंय यहां स्थापित होकर यहां आने वाले हर श्रद्धालु की इच्छा पूरी करे. जिसके बाद यहां स्वंयभू माता की मूर्ति स्थापित हुई और तब से आज तक जो भक्त इस मंदिर में अपनी जो भी मनोकामना मांगता है. इच्छादेवी उसकी हर इच्छा को पूरी करती है.
पूजारी के अनुसार, चैत्र नवरात्रि में मंदिर में 15 दिन का मेला आयोजित होता है, जिसमें जिन भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. वह माता को नीम साड़ी अर्पित करते हैं. शारदीय नवरात्रि में रोजाना विशेष पूजा अर्चना होती है. प्रातः की आरती सुबह 4 बजे होती है.