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MP: गोकुलचंद्रमा मंदिर ट्रस्ट के 15 ट्रस्टियों पर कोर्ट ने लगाया 1,66000 रुपये का जुर्माना, 7 सदस्यों को हटाया

Burhanpur News: गोकुलचंद्रमा मंदिर ट्रस्ट को दान में दी गई जमीन बेचने के मामले में बुरहानपुर कलेक्टर कोर्ट में फैसला सुनाया गया. कोर्ट ने जमीन की खऱीदी बिक्री को अवैध करार देते हुए ट्रस्टियों पर 1 लाख 66 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है.

MP: गोकुलचंद्रमा मंदिर ट्रस्ट के 15 ट्रस्टियों पर कोर्ट ने लगाया 1,66000 रुपये का जुर्माना, 7 सदस्यों को हटाया

Madhya Pradesh News: बुरहानपुर शहर के प्रसिद्ध गोकुलचंद्रमा मंदिर ट्रस्ट के 15 ट्रस्टियों से कलेक्टर कोर्ट ने 1 लाख 66 हजार रुपये की राशि वसूलने का आदेश दिया है. इस राशि को सरकारी खजाने में जमा करने के लिए कहा गया है. साथ ही 7 ट्रस्टियों को ट्रस्ट से हटा दिया गया है. कोर्ट ने यह फैसला ट्रस्ट को दान में मिली जमीन को बेचने के मामले में सुनाया है. कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए इस जमीन की खरीद-बिक्री को अवैध घोषित कर दिया है.

क्या है पूरा मामला?

इस मामले में कलेक्टर कोर्ट में याचिका करने वाले नारायण दास कन्हैयालाल बजाज ने बताया कि कलेक्टर न्यायालय में याचिका लगाया था. लक्ष्मण प्रसाद दुबे ने 2 एकड़ जमीन मंदिर की व्यवस्था के लिए दान की थी. मंदिर के प्रबंधक कलेक्टर होते हैं, उनके नाम से भी भूमि दर्ज है. ट्रस्ट ने अपनी भूमि बताते हुए 31 मार्च 2013 को इसे 5 लाख रुपये में विक्रय कर दिया, जबकि उसकी कीमत उस समय 35.60 लाख रुपये थी.

उन्होंने बताया कि इस मामले में कलेक्टर कोर्ट में याचिका दायर की. पहले एसडीएम ने फैसला सुनाया था, जिसमें उन्होंने जमीन को बेचना अवैध बताया था, लेकिन ट्रस्ट ने हाईकोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने कहा कि अधिकारी को पंजीयक लोक न्यास का अधिकार नहीं था. इसके बाद 16 जनवरी 2024 को  हाईकोर्ट ने कलेक्टर को पुनः जांच के आदेश दिए.

गोकुल चंद्रमा मंदिर भगवान के हैं ये संपत्ति

नारायण दास  ने बताया कि 29 जनवरी 2024 को याचिका पर सुनवाई हुई. कलेक्टर के सामने हमने सारी बातें रखी. तब निर्णय दिया कि यह अवैध विक्रय है. ट्रस्ट की संपत्ति नहीं है. संपत्ति गोकुल चंद्रमा मंदिर भगवान को समर्पित थी. भूमि को बेचने का ट्रस्ट को अधिकार नहीं है.

आदेश में 23.50 लाख की भूमि की कीमत वापस करने की बात कही गई है. इसके अलावा 15 लोगों पर 1.41 लाख रुपये का ब्याज लगाते हुए 1 लाख 66 हजार रुपये की वसूली करने का निर्देश दिया गया है. ब्याज की गणना 14 साल 3 महीने की गणना के आदेश 6 प्रतिशत से किए गए हैं, लेकिन 14 साल 3 महीने की गणना न जोड़ते हुए एक साल की गणना जोड़ी गई है जो कि शासन की बड़ा चूक है. ब्याज की गणना 20 लाख रुपये अधिक होगी.

ट्रस्ट का कहना था कि 15 लोगों को प्रस्ताव रखकर जमीन बेची है, लेकिन वो प्रस्ताव का मूल न्यायालय के सामने पेश नहीं कर सके. इसके अलावा प्रोसेडिंग रजिस्टर, सौदा चिट्ठी भी प्रस्तुत नहीं कर सके. कलेक्टर न्यायालय ने 15 ट्रस्टियों पर 1,660,67 लाख रुपये प्रति व्यक्ति जुर्माना लगाया है. यह राशि शासन के खजाने में जमा करने के लिए आदेश दिया गया है.

कन्हैयालाल बजाज ने कहा कि हमें अपनी भूमि वापस चाहिए. फर्जी तरीके से जमीन बेची गई थी. मंदिर से मेरी आस्था जुड़ी है.

इन 7 ट्रस्ट के सदस्यों को हटाया गया

प्रसिद्ध गोकुलचंद्रमा मंदिर ट्रस्ट के 7 सदस्यों-प्रफुल कुमार श्राफ, गोरधन श्राफ, राजेंद्र खादीवाला, गिरीश लाड, हरिकृष्ण मुखिया, वीरेंद्र हाथीवाला, सीताबेन कापड़िया को ट्रस्ट पद से हटाया गया है.

इन ट्रस्टियों पर कलेक्टर कोर्ट ने लगाया जुर्माना

वहीं 15 ट्रस्टियों- वच्छवलाल साड़ीवाला, नवीन लाड, हरिकृष्ण मुखिया, सीताबेन कापडिया, नवीनचंद्र ष्शाह, प्रफुल्ल आर श्राफ, गोवर्धन श्राफ, प्रफुल्ल डी श्राफ, राजेंद्र खादीवाला, गिरीश कुमार लाड, वीरेंद्र गोरधनदास हाथीवाला, गुलाबदास कन्हैयालाल श्राफ, रसीक तारवाला, सुरेश कुमार श्राफ और हरिकिशन परसराम पर जुर्माना लगाया गया है.

इस मामले में वाद प्रस्तुत करने वाले नारायणदास बजाज फैसले से संतुष्ट नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ट्रस्टियों पर जो ब्याज की गणना की गई वो शासन की चूक है. साथ ही जमीन की खरीदी बिक्री को तो अवैध घोषित किया गया, लेकिन जमीन को जिस प्रयोजन के लिए दान में दी गई थी उसका उपयोग के लिए आदेश नहीं जारी किया गया. अब हम इस मामले को लेकर कोर्ट जाएंगे.

गोकुलचंद्रमा मंदिर ट्रस्ट के वकील ने क्या कहा?

गोकुलचंद्रमा मंदिर ट्रस्ट के वकील आदित्य शर्मा ने बताया कि कलेक्टर कोर्ट के इस फैसले से हम संतुष्ट नहीं है. फैसले की अपील आगे की जाएगी. उन्होंने बताया कि भूमि सभी की सहमति से बेची गई थी. विधिवत प्रक्रिया अपनाकर अनुमति ली गई थी. तब एसडीएम को कलेक्टर ने नियुक्त किया था. जहां जमीन थी उस समय वो एरिया कीमती नहीं था. आसपास की रजिस्ट्री प्रस्तुत की है. आठ से दस रजिस्ट्री प्रस्तुत की है. आरोप लगाने का कोई औचित्य नहीं. वल्लभ भवन सत्संग बनाने की आवश्यकता थी. भागवत कथा, सत्संग आदि हो इसलिए उस समय जमीन को बेची गई थी. 

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