
Buddhist Festival: विश्व की धरोहर रायसेन जिले के सांची में हर साल 25 और 26 नवंबर को सांची महोत्सव (Bodh Mahotsav 2023) का आयोजन किया जाता है. इस साल भी इस महोत्सव का आयोजन किया गया. इस महोत्सव के दौरान सांची स्तूप परिसर में बने बौद्ध मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन किया गया. ये पूजा विश्व बौद्ध गुरु द्वारा कराई गई है. इस पूजा में शामिल होने के लिए दुनिया भर से बौद्ध धर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु शिरकत किए. इस दो दिवसीय महोत्सव के दौरान भगवान बौद्ध के शिष्यों की अस्थियां मंदिर के तहखाने से दर्शन के लिए बहार निकाली जाती है.
दो दिनों के लिए चलाई जाती है स्पेशल ट्रेनें
सांची स्तूप में यूं तो टिकट लगता है, लेकिन इन दो दिनों के लिए सांची स्तूप पूरी तरह से नि:शुल्क कर दिया जाता है. इतना ही नहीं सांची पहुंचने के लिए इन दो दिनों के लिए स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जाती है.
क्यों खास है आज का दिन
विश्व बौद्ध गुरु वानगल उपतीस नायक थेरो ने बताया कि साल के अंतिम शनिवार और रविवार को सांची में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है. सांची बुद्ध मंदिर में भगवान बुद्ध के दो प्रधान शिष्य सारिपुत्र और महामोग्गलान के परम शिष्य की अस्तियां मौजूद हैं जो नवंबर के अंतिम शनिवार और रविवार को दर्शन के लिए निकाली जाती हैं. इस साल भी सांची में विशेष पूजा का आयोजन किया गया. इस पूजा में श्रीलंका, वियतनाम, थाईलैंड, जापान सहित अन्य देशों से आए बौद्ध अनुयायी भी शामिल हुए.
पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थीं आधारशिला
साल 1952 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने सांची आकर सांची मेले की आधार शिला रखी थी. पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू ने बौद्ध के शिष्यों के अस्थि कलशों को स्थापित करने के साथ बौद्ध वार्षिक मेले की शुरुआत की थी. बता दें कि अस्थि कलश नवंबर के आखिरी रविवार को ही श्रीलंका से सांची पहुंचे थे, इसलिए हर साल नवंबर के आखिरी सप्ताह में ही यहां मेले का आयोजन किया जाता है.
हिंदू मुस्लिम एकता की मिसाल है सांची बौद्ध मंदिर
मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग के गाइड राकेश सिंह बताते हैं कि साल1947 में भोपाल नबाबा सिकंदर सोलत इत्तेखार उल मुल्क हमीद उल्ला खान बहादुर की पूरी रियासत हुआ करती थी. जब भोपाल नबाब को पता चला सांची में मंदिर निर्माण किया जाना है तो भोपाल नबाब नए महाबोधी सोसाइटी ऑफ श्रीलंका के लिए जमीन दी. इस सोसाइटी में जो सन्यासी रहेंगे इनके पालन पोषण के लिए भोपाल नबाब ने खेती भी दान में दी थी. सांची स्तूप परिसर में मंदिर निर्माण के लिए भोपाल नबाब ने धन से भी मदद की थी. आज ये विशाल मंदिर विश्व भर में हिंदू मुस्लिम एकता की एक मिसाल कायम किए हुए हैं.
ये भी पढ़े: ADM साहब गये थे भंडारे में प्रसाद लेने, लेकिन वहां जाकर किया कुछ ऐसा लोग रह गए हैरान
सम्राट अशोक ने कराया 84 हजार स्तूप का निर्माण
बताया जाता है कलिंग युद्ध के बाद राजा सम्राट का हृदय परिवर्तन हो गया था. सम्राट अशोक ने दुनिया भर में 84 हजार स्तूपों का निर्माण कराया था. वहीं शांति की तलाश में सम्राट अशोक ने इन 84 हजार स्तूपों में से पहले नंबर का स्टोर सांची में बनवाया. इन 84000 स्तूपों में से आज यह प्रथम स्तूप कहलाता है, जो आज भी ये दुनिया भर में शांति का संदेश दे रहा है.
दो दिन सांची में रहता है भारी पुलिस बल तैनात
सांची महोत्सव 2 दिन के लिए आयोजन किया जाता है. श्रद्धालुओं की सुरक्षा को देखते हुए सांची में भारी पुलिस बल तैनात किया जाता है. यहां तक की सांची से गुजरने वाली वाहनों का भी रोड डायवर्ट कर दिया जाता है. वहीं चप्पे चप्पे पर सांची स्तूप परिसर में पुलिस जवान तैनात रहते हैं.
ये भी पढ़े: अनूपपुर में अनोखी शादी! नेत्रहीन लड़के और लड़की ने किया प्रेम विवाह, शादी में शामिल मेहमान भी दिव्यांग