
MP News in Hindi : मध्य प्रदेश( Madhya Pradesh) के रायसेन (Raisen) जिले से वन्यजीव संरक्षण को लेकर एक गंभीर मामला सामने आया है. जंगल में रहने वाले तेंदुए अब खतरे में हैं. MP में कभी तारों में फंसकर दम तोड़ रहे हैं, तो कभी शिकारियों के फंदों में बुरी तरह घायल हो रहे हैं. चिंताजनक बात यह है कि वन विभाग को इन घटनाओं की जानकारी ग्रामीणों से मिलने के बाद ही होती है. इसे बड़ी लापरवाही माना जा रहा है, जबकि वाइल लाइफ के लिए मध्य प्रदेश सबसे सुरक्षित राज्य माना जा रहा है.
रायसेन के सांची गुलगांव में तेंदुए की मौत
ताजा मामला रायसेन जिले के सांची गुलगांव से आया, जहां एक तेंदुआ तार फेंसिंग में फंस गया और पूरी रात छटपटाने के बाद दम तोड़ दिया. ग्रामीणों के अनुसार, जंगल के आसपास कंटीले तार लगे हैं, जिनमें जंगली जानवर अक्सर फंस जाते हैं. पानी की तलाश में जंगल से बाहर निकले इस तेंदुए की जान चली गई. क्योंकि वह तारों में उलझकर बाहर नहीं निकल सका. जब ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचना दी, तब जाकर अधिकारी मौके पर पहुंचे और तेंदुए को निकाला, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
वन विभाग की रात्रि गश्त की खुली पोल
वन विभाग दावा करता है कि जंगलों में रात भर गश्त की जाती है, ताकि किसी वन्यजीव पर कोई खतरा आए तो उसे तुरंत मदद मिल सके. लेकिन इस मामले में अधिकारियों की लापरवाही उजागर हो गई. अगर समय रहते गश्त होती, तो शायद तेंदुए की जान बचाई जा सकती थी.
शिकारियों के फंदे में फंसा दूसरा तेंदुआ
रायसेन जिले के ग्राम गढ़ी में एक और भयावह घटना सामने आई, जहां शिकारियों के बिछाए फंदे में एक तेंदुआ फंसकर बुरी तरह घायल हो गया. शिकारी जंगल में जानवरों के शिकार के लिए ऐसे फंदे लगाते हैं, जिनमें अक्सर तेंदुए, हिरण और अन्य वन्यजीव फंस जाते हैं. वन विभाग की टीम ने समय रहते इस तेंदुए को बचा लिया और इलाज के लिए भेजा.
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तेंदुए की मौत पर उच्च स्तरीय जांच के आदेश
वन विभाग के अधिकारियों ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए भोपाल से विशेष टीम को जांच के लिए बुलाया मृतक तेंदुए का पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार किया गया. इस घटना से यह सवाल उठता है कि आखिर कब तक वन विभाग की लापरवाही के कारण जंगली जानवरों की जान जाती रहेगी? क्या जंगलों की सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत नहीं है ?
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