
NDTV Sting Operation Blood: कहते हैं खून का रिश्ता सबसे पवित्र होता है लेकिन जब वही खून बोतल में बंद होकर बिकने लगे तो समझिए कि ज़मीर की नीलामी शुरू हो चुकी है. ये बातें आपको फिल्मी लग सकती हैं लेकिन देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कुछ ऐसा ही हो रहा है. यहां खून बेचा जा रहा है...या यूं कह लीजिए खून की तस्करी हो रही है.NDTV के स्टिंग ऑपरेशन में इसी को लेकर चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. अस्पताल दर अस्पताल NDTV की तहकीकात टीम एक ऐसे राज़ तक पहुंची है… जिसकी लहरें देश भर के सिस्टम को हिला सकती हैं. हमारी टीम ने जब इस स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया तो लगा जैसे हमारी आपकी जिंदगी एक बोतल खून से सस्ती हो गई है. हमारे स्टिंग में प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, जिले के नामी ब्लड बैंक और देश के बड़े मेडिकल कॉलेज सहित सभी के सिस्टम की पोल खुली है. हमारे पास सभी की तस्वीरें हैं. हमने सभी के चेहरों को बेनकाब किया है. आप भी पढ़िए “ऑपरेशन ब्लड” की सीरीज...सीरीज इसलिए क्योंकि हम हर बड़े अस्पताल के बाहर सिस्टम की पोल खोलेंगे.
सबसे पहले हम पहुंचे प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया. तब दोपहर का वक्त था. हम हाथों में ब्लड वायल और एक पर्चा लेकर यहां पहुंचे थे. आश्चर्य ये है कि हमीदिया के बाहर ऑटो वाले हो, या दवा दुकान चलाने वाले हों सभी खून की दलाली में शामिल हैं. आप भी हमारी बातचीत पर नजर जमाइए...खून की इस दलाली पर जैसे-जैसे बात आगे बढ़ेगी किसी भी संजीदा इंसान का खून खौलने लगेगा.

ये है मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा हमिदिया सरकारी अस्पताल. यहां सिर्फ मध्यप्रदेश नहीं बल्कि दूसरे राज्यों के भी मरीज इलाज के लिए आते हैं. इसी के बाहर आपको खून के दलाल हर जगह सक्रिय मिल जाएंगे.
रिपोर्टर आकाश- ब्लड चाहिए था
ऑटो चालक - तुम्हरा ब्लड डोनेट करने वालों से मिलेगा
रिपोर्टर आकाश- डोनर ही तो नहीं है
ऑटो चालक -कौन सा ग्रुप है?
रिपोर्टर आकाश A पॉजिटिव
ऑटो चालक- मिल जाएगा
रिपोर्टर आकाश -कहां पर ?
ऑटो चालक- तुम्हें क्या मतलब हम दिलवा देंगे?
रिपोर्टर अजय - कितने लग जाएंगे?
ऑटो चालक- राजू को फोन लगाओ, असीम भाई को ,आपकी बात करवा देता हूँ
रिपोर्टर अजय- इतने सारे तो हो तुम में से कोई भी ब्लड दे दो
रिपोर्टर आकाश- मुझे हेपेटाइटिस है
ऑटो चालक- आप खरीदोगे न , मतलब ब्लड खरीदोगे न
रिपोर्टर आकाश - पैसे कितने लगेंगे ?
ऑटो चालक- कम से कम में करवा देंगे टेंशन मत करो
रिपोर्टर अजय- राजू डोनर है ?
ऑटो चालक- नहीं ब्लड बैंक में ही है ,आपको ब्लड बैंक से सील पैक ब्लड मिलेगा.
रिपोर्टर आकाश - ये दूसरा (ऑटो चालक ) कौन है ?
ऑटो चालक- न मालूम कौन है ? जबरन का झूम रिया भो***का
रिपोर्टर आकाश हमको तो ये पता है कि ब्लड की पॉलिसी है बिना एक्सचेंज के नहीं मिलेगी
ऑटो चालक- कहां लगे हो यार... सब सेंटिग है अभी बात करवा देता हूँ , आधे घंटे में ब्लड मिल जाएगा
इस बातचीत को हम ध्यान से देख और समझ रहे थे. ऑटो चालक ऑटो में ही फोन पर बात कर रहा था.ऑटो ड्राइवर और दलाल की बॉडी लैंग्वेज में अपराध की सहजता है. हर 'सेटिंग' के पीछे एक दलाल था हर दलाल के पीछे एक नेटवर्क और उस नेटवर्क का चेहरा था. वो चेहरा था अनीस. पर रिपोर्टर ने उसी ऑटो चालक से बात की.

NDTV ने ऑपरेशन ब्लड के तहत खून के दलालों का भंडाफोड़ किया है. इस तस्वीर में हेलमेट में दिख रहा शख्स ही ऑन डिमांड ब्लड सप्लाई करता है.
रिपोर्टर- भाई A पॉजिटिव ब्लड चाहिए...अस्पताल है पर्चा है और दो शीशी दिया है, कितने पैसे देने पड़ेंगे...2400 ? आवाज कट रही है आपकी , 2300 ?और थोड़ा कम नहीं होगा...? डोनर नहीं है हमारे पास A पॉजिटिव चाहिए...नहीं AB नहीं बोला ,A पॉजिटिव चाहिए ,आप कहां हैं ? हम यहीं हैं लेकर चले जायेंगे... चलिए मैं आपको बता रहा हूँ...
ऑटो चालक- क्या कह रहे हैं ? नंबर ले लो बात कर लो
रिपोर्टर - अपन ने बात की थी तो 1050 बताई थी ना,
ऑटो चालक- आपको डोनर लाना पड़ेगा,डोनर लेगा 2500 रुपये आपको कोई दिक्कत नहीं है खून मिल जाएगा
रिपोर्टर आकाश- मेरा ये कहने का यह मतलब है कि वो डोनर कहां से लाएगा
ऑटो चालक- कोई डोनर-वोनर ओनर नहीं आपको बोतल लाकर दे देंगे , पैसे भी तभी लेंगे जब आपके हाथ में ब्लड दे देंगे, नम्बर दूं ?
रिपोर्टर आकाश - करवा दो यार मुझे हेपेटाइटिस B है,
ऑटो चालक- दारू मारू तो नहीं पीते ?
रिपोर्टर आकाश - हम गए थे लेकिन हमें भगा दिया वहीं ब्लड बैंक गए थे उन्होंने डोनर का बोला
रिपोर्टर अजय- हैलो अनीस भाई हम हमीदिया के पास खड़े हैं ब्लड के लिये
अनीस- मरीज अस्पताल में है ?
रिपोर्टर अजय- हां
अनीस - रुकिए लड़का आ रहा है
ऑटो चालक- अनीस भाई डोनर नहीं है नौकरी करते हैं ब्लड बैंक में
रिपोर्टर अजय- डोनर परिचित रहता है तो ठीक है आपको पता नहीं क्या करेंगे
ऑटो चालक- कुछ नहीं होगा लड़का आ रहा है
रिपोर्टर अजय- लोग खून के लिये तो बहुत परेशान होते होंगे
ऑटो चालक- बहुत , दिलीप कहां गया ,खत्म हो गया...डोनर था यहां दिलीप मर गया वो ,यहां खून देता था...दारू पीते-पीते मर गया.
बहरहाल सारी डील फाइनल होने के बाद ऑटो चालक ने नंबर नोट कराया- 9098170306. उसने कहा- अगर मैं सवारी ले जाऊं तो आप बात कर लेना. लड़का यहीं आएगा.ऑटो चालक ने हमें अपना नाम भी बताया-छोटे भाई. अब चूंकि हमें सरगना तक पहुंचना था तो हमारे रिपोर्टर अजय ने सीधे दलाल अनीस से बातचीत की. आप भी पढ़िए क्या बातें हुईं.
रिपोर्टर आकाश- हेलो अनीस भाई हम हमीदिया के पास खड़े हैं ब्लड के लिये
अनीस- मरीज सिटी केयर अस्पताल में है ?
रिपोर्टर आकाश - हां
अनीस -हम दे देंगे , लड़के से बात कराओ
अरुण - नहीं मिल पाएगा...
रिपोर्टर आकाश- ये तो कह रहे हैं ब्लड नहीं है ,अभी आप बोल रहे थे 1 यूनिट रखा है
रिपोर्टर आकाश- भैया अगर अभी हमें एक यूनिट ब्लड मिल जाए तो हमारा काम हो जाएगा बाद में हम डोनर ढूंढ लेंगे
अनीस - लड़के को फोन दो...
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं होती... अनीस का 'डिलीवरी बॉय' अरुण महावर हमसे मिलने हमीदिया अस्पताल के गेट पहुँचा सैम्पल देखा और सरगना अनीस से बता कराई, अनीस ने पेशेंट की पूरी जानकारी ली....
अनीस- राकेश ब्लड अरेंज करना पड़ेगा...
रिपोर्टर अजय -कौन से ब्लड बैंक से मिलेगा
अनीस -हम दे देंगे , लड़के से बात कराओ
अरुण ने किसी से बात कर A पॉजिटिव ब्लड मांगा लेकिन उसे कहा गया कि यहां ब्लड खत्म हो गया है.
रिपोर्टर अजय- ये तो कह रहे हैं ब्लड नहीं है ,अभी आप बोल रहे थे 1 यूनिट रखा है.
रिपोर्टर आकाश - अनीस से - भैया अगर अभी हमें एक यूनिट ब्लड मिल जाए तो हमारा काम हो जाएगा बाद में हम डोनर ढूंढ लेंगे,
अनीस - लड़के को फोन दो...लड़के ने पर्चे की फोटो अनीस को भेजी. अनीस ने पर्चा देखने के बाद कहा व्होल ह्यूमन ब्लड नहीं मिलेगा. हमने डॉक्टर से बात कराई ....अरूण चला गया

जब हमने खून के दलालों से संपर्क किया और उनकी तय रकम दी तो हमारे रिपोर्टस को आसानी ने मनचाहे ग्रुप का ब्लड उपलब्ध हो गया.
इसके बाद हमारे साथी रिपोर्टर -ने दोबारा अनीस को फोन लगाया लेकिन बात नहीं हुई. इसके बाद हमारे पास जुबैर नाम के शख्स का फोन आता है - उसने हमें बोला कि मुझे अनीस भाई ने नंबर दिया है.
रिपोर्टर अजय- हमें तो अनीस भाई ने अरुण माहवार का भेजा था. वो ब्लड लेकर आएगा हम पैसे लेकर हमीदिया के बाहर एटीएम पर खड़े हैं.
जुबेर- ठीक है 2400 रुपये दे देना 2400 से कम नहीं होगा. पैसे दे देना लड़का आ रहा है...क्या है कि अपन दूसरी जगह से अरेंज कर रहे हैं. ब्लड है नहीं कहीं..
रिपोर्टर अजय- दूसरी जगह से मतलब ब्लड तो सही है ना भैया?
जुबैर -ब्लड अच्छा है भाई...ब्लड अच्छा है
रिपोर्टर अजय - हम बहुत परेशान है हमें 6 यूनिट ब्लड चाहिए. एक यूनिट तो हमारे भाई ने दे दिया था. हमको दोपहर शाम तक और जरूरत पड़ेगी. भरोसा मत तोड़ना हमारा.
जुबैर -यदि हमारे पास होता तो काम में हो जाता, दूसरी जगह से करते हैं तो पैसे ज्यादा लगते हैं इस वजह से बता रहा हूं.
रिपोर्टर अजय- हमें डोनर तो नहीं देना है ना, डोनर आपका ही है ना.
जुबैर -हम तो खाली आपको ब्लड लाकर देंगे इसमें डोनर का कोई चक्कर नहीं है.
रिपोर्टर अजय- हम बहुत परेशान हैं ब्लड के नाम पर हमें बहुत लोगों ने घेर लिया था.
जुबैर-आपको चक्कर में पड़ना ही नहीं था, आप एक काम करो भैया में एक लड़के को भेज रहा हूं.उसको पर्चा और पैसे दे दो. एक सवा घंटा लगेगा और आपके हाथ में ब्लड आ जाएगा.ना आपको डोनर देना है ना आपको कुछ देना है. आपको तो खाली पैसे देना है और ब्लड लेना है.
रिपोर्टर अजय- जुबैर भाई आप हमीदिया गेट के पास ATM पर भेज दो. हम वहीं पर पेमेंट दे देंगे .
जुबैर -हमीदिया के पास कहां ATM है?
रिपोर्टर अजय- हमीदिया के दूसरे वाले गेट नंबर 2 पर SBI का ATM हैं. वहीं से निकाल कर देते हैं.
जुबैर -चलिए में लड़का भेजता हूं
इसके बाद खून का डिलीवरी ब्वॉय अरुण माहवर हमारी बताई जगह पर आता है.लेकिन, इस बार वह अपने चेहरे पर पहले रुमाल और फिर हेलमेट डालकर आता है. मतलब उसने पूरी कोशिश की कि उसकी पहचान छुप जाए.
रिपोर्टर अजय- अच्छा आ तो गए..अरुण..
अरुण माहवार (कलेक्शन एजेंट)- जब मैं ब्लड देने आऊंगा जब बाकी के पैसे दे देना..अभी 500 रूपये दे दो. यहीं पर रुक जाना नहीं तो एक नंबर गेट पर रुक जाना.
रिपोर्टर अजय -हमें कायदे की चीज (ब्लड)चाहिए.
अरुण- आप बिल्कुल टेंशन मत लो.
रिपोर्टर अजय - जुबैर भाई का फोन आया था उन्होंने कौन सा ब्लड बैंक बोला था?
अरुण- न्यू भोपाल ब्लड बैंक.
रिपोर्टर अजय- इसके पहले अनीस भाई तो कुछ ओर बोल रहे थे.
अरुण - जुबेर भाई और अनीस भाई एक ही हैं. साथ में ही है
रिपोर्टर अजय- जानकारी के लिए पूछ रहा हूं जुबैर भाई क्या देखते हैं?
अरुण - वो भी हम जैसे ही काम देखते हैं.
रिपोर्टर अजय -कितनी देर में लाओगे?
अरुण- एक सवा घंटे में देंगे
अरुण- आप बेफ्रिक रहो, हम पूरे भोपाल में ब्लड देते हैं. आप भूल जाओ सब बड़ी-बड़ी जगहों पर हम ही ब्लड देते हैं. मसलन- चिरायु, प्राइवेट अस्पताल सब में जाकर हम ही लोग देते हैं.
रिपोर्टर अजय- वहां कहीं पर डोनर की जरूरत नहीं पड़ती है न?
अरुण- नहीं कहीं डोनर-वोनर की जरूरत नहीं
अरुण ब्लड की तस्करी में इतना व्यस्त है कि उसके पास हमारे ही सामने एक बार फिर दो यूनिट ब्लड की जरूरत के लिए फोन आया. उसने फिर सामने वाले से कहा - उसने पर्चा अनीस भाई को सेंड कर दिया है. इसके बाद अरुण हमसे कहता है- देखो ये इनको भी चाहिए.
रिपोर्टर अजय-इनको डोनर की जरूरत नहीं क्या?
अरुण- नहीं है, यहां तो पैसे दे दो ब्लड आ जाता है..पैसे वाला काम है यहां पर.
रिपोर्टर अजय- मतलब पैसे दे दो तो काम हो जाता है..ये किस हॉस्पिटल का है.?
अरुण- हमीदिया का है
रिपोर्टर अजय- डॉक्टर आयुष पांडे
रिपोर्टर आकाश- हमारा पहले दे देना.
अरुण - उनका भी यहीं आयेगा आपका भी यहीं आयेगा.
बहरहाल अरूण हमसे 500 एडवांस लेकर खून लाने चला गया. उसकी एक्टिवा स्कूटी का नंबर MP40 ZF2166 है. इंतजार करते-करते हमने हमीदिया परिसर में पड़ताल जारी रखी . हमीदिया अस्पताल के बाहर ऑटो वाले तो अंदर पार्किंग की पर्ची काटने वाले.अस्पताल के बाहर मेडिकल स्टोर - सब खून की दुकान बने बैठे हैं ...
रिपोर्टर अजय- हमें ब्लड चाहिए कितने पैसे लेंगे?
डॉली यादव (पार्किंग वाला) साहब वह तो वही बता पाएगा, अपने पास तो लोग आते हैं, तो अपने को परचा भेजना पड़ता है.
रिपोर्टर अजय- हमारा तो बाहर का बना है.
डॉली यादव- उनको तो पर्चा सेंड करना पड़ता है, ब्लड ग्रुप उनको भेज देना आप के पास सैंपल है.. सैंपल रखना.
डॉली यादव- मेरा नंबर ले लो, मेरा भी ले लो, अनीस भाई का भी ले लो..
डॉली यादव- अनीस भाई बाहर ब्लड बैंक में हैं. अपने को जरूरत पड़ती है तो वही अरेंज करते हैं.
इस दौरान मौका मिला तो हमारे साथी ने डॉली का मोबाइल चेक किया तो उसमें अनीस को भेजे गए खून की डिमांड के कई पर्चे थे और पैसे के लेन देन की जानकारी भी थी. पता लगा कि अनीस डॉली को एक यूनिट ब्लड के 500 रूपये देता है. बहरहाल यहां से निकल कर हम बाहर के मेडिकल स्टोर पहुंचे. वहां भी वही खेल, वही मोहरा अनीस भाई ही हमें मिला. दरअसल हम देखना चाहते थे कि इस नेटवर्क में ऑटो, पार्किंग के अलावा कौन-कौन शामिल हैं, वहीं जानकारी मिली थी कि मेडिकल वालों से बात कर लो .इसके बाद हम सामने वाले मेडिकल स्टोर पर पड़ताल करने लगे. जहां वे भी अनीस के नेटवर्क का हिस्सा निकले. हम जिस मेडिकल स्टोर के बाहर खड़े थे उसका नाम है-ओल्ड हमीदिया मेडिकल स्टोर.
रिपोर्टर अजय- ब्लड चाहिए
मेडिकल वाला- मैं अभी करवा देता हूं. फोन देना अनीस का नंबर देता हूं
रिपोर्टर अजय -नहीं,अनीस भाई से नहीं वो बहुत महंगा देते हैं.
रिपोर्टर आकाश- वो बहुत पैसे लेते हैं.
मेडिकल वाला- नहीं तो रहने दो आप.
रिपोर्टर अजय- कोई डोनर नहीं है?
मेडिकल वाला- नहीं अपन सिर्फ बेचते हैं.आप और किसी मेडिकल स्टोर पर पता कर लो. वहां हो जाएगा जैसे-चिरायु मेडिकल पर
रिपोर्टर अजय- हमीदिया में तो पूरा अनीस भाई ही देखते हैं...?
मेडिकल वाला- हां वो ही देखते हैं,चक्कर ये है कि वो करवा भी देते हैं...कम भी कर देते हैं.
रिपोर्टर अजय - ये किस ब्लड बैंक में बैठते हैं?
मेडिकल वाला- वो भोपाल ब्लड बैंक में ही बैठते हैं, वो पूरा काम संभालते हैं. ओल्ड चिरायु से लेकर जितने हॉस्पिटल हैं सब उनके हाथ में हैं.
रिपोर्टर अजय -वो किस ब्लड बैंक से लाकर देंगे, किसी एक ब्लड बैंक से लाकर दे तो समझ आता है.
मेडिकल वाला - अब वे कहां से लाकर देते हैं ये तो वे ही जाने लेकिन बिल्कुल सेफ देंगे.हमने ही कितना ही (ब्लड) बेच दिया..
रिपोर्टर अजय- भोपाल ब्लड बैंक से लाकर देते हैं?
मेडिकल वाला- अब यह नहीं मालूम कि वह कहां से ला कर देते हैं भोपाल में बहुत सारे ब्लड बैंक है वो किसी भी ब्लड बैंक से लाकर दे देते हैं..
दूसरी तरफ पूरे एक घंटे बाद रिपोर्टर आकाश ने अरुण माहवार को फोन किया. उसने पहले तो फोन नहीं उठाया फिर फोन करके हमें ब्लड की डिलिवरी देने के लिए गांधी मेडिकल कॉलेज के गेट के पास स्थित मंदिर पर पहुंचने की बात कही.
रिपोर्टर अजय- यार अरुण तुम्हारा फोन बंद होते ही हमारी हालत टाइट हो गई थी.
अरुण- नेटवर्क इशू था..
रिपोर्टर अजय - चेक कर लो भाई ब्लड अच्छे से.
रिपोर्टर आकाश- ये अच्छे से चेक कर लो, ब्लड का सैंपल किस में है?
रिपोर्टर अजय- ये ब्लड की रिपोर्ट कैसी है?
अरुण - ये इस ब्लड की रिपोर्ट है डॉक्टर साहब मांगेगे तो दिखा देना..
रिपोर्टर अजय - ये नवोदय ब्लड सेंटर!
रिपोर्टर आकाश- पैसे दे दो इन्हें
रिपोर्टर अजय - ये डॉक्टर एसपी दुबे कहां के है..?
रिपोर्टर अजय- ये अनीस भाई के हांय से..ये पिक्चर समझ नहीं आई. कभी बोले यहां से ला रहे हो कभी बोले वहां से..नवोदय से आया पर हमें भोपाल ब्लेड बैंक बताया..
रिपोर्टर आकाश- है तो जेनविन ना ?
अरुण- सब सही है..
रिपोर्टर अजय- कैसे जेनविन मान लें हमारी जगह तू आकर सोच, तू मान लेगा क्या..? हम यहां डोनर के चक्कर में परेशान हो रहे हैं..
अरुण - सही बात है जिसके साथ होता है वही जानता है..गर्मी में नहीं मिलते डोनर
रिपोर्टर आकाश - हम ने 500 रुपए दिए थे हमें 1900 देने हैं..
रिपोर्टर अजय - पैसे गिनते हुए देते हैं, कुछ कम कर लो यार..
अरुण - मेरा कुछ नहीं है मैं तो पेमेंट पर लगा हूं.. 10 हजार रुपए तनख्वाह मिलती है.
रिपोर्टर अजय - एक दिन में कितने राउंड मारते हो..?
अरुण - तीन से चार राउंड मारता हूं..
रिपोर्टर अजय -अनीस भाई के यहां ही काम करते हो ?
अरुण - अपन तो एक ही के लिए काम करते हैं .

आप किसी भी वक्त हमीदिया अस्पताल में जाएं आपको मरीजों और उनके परिजनों की भीड़ मिलेगी. इनमें से कई अपने मरीज के लिए खून की तलाश में भटकते भी हैं.
इसी दौरान पर्दे से बाहर आया एक नया किरदार — सोनू अहिरवार.वो होटल में रोटी बनाता है पर खून बेचता है 2 हज़ार में. उसने खुद कभी ब्लड नहीं दिया …लेकिन दाम तय हैं, स्कीम सेट है. हमने जब डॉक्टरी पर्चे पर सवाल किया तो सोनू का जवाब मिला- डॉक्टरों की बातों में मत पड़ो. इसके बाद जब हमने इंसानियत पर सवाल उठाया तो जवाब मिला- डोनर गर्मियों में नहीं मिलते. आप भी पढ़िए उससे बातचीत के अंश को
रिपोर्टर अजय - सीता राम
सोनू अहिरवार - नौकरी करता हूं कितनी देर लगेगी.
रिपोर्टर आकाश- कब दिया ब्लड..? सोनू अहिरवार - तीन चार दिन पहले..
रिपोर्टर आकाश - बस तीन चार दिन पहले..?
सोनू अहिरवार - फिर संभलते हुए बोले क्या ड्रिंक तीन चार दिन पहले ड्रिंक किया..?
रिपोर्टर आकाश - ब्लड .?
सोनू ब्लड - कभी नहीं दिया.
रिपोर्टर अजय - कितने रुपए लोगे आप?
सोनू - 2 हजार रूपये.
रिपोर्टर आकाश - आपका वजन कितना है?
सोनू - मेरा वजन 50 से 52 किलो
रिपोर्टर अजय - कम कर लो यार दोस्त
सोनू - 2500 रुपए लगते हैं पूछ लेना आप किसी से भी, वो तो आपस वाले हैं इसलिए 2000 ले रहा हूं.
रिपोर्टर आकाश - आपका वजन बहुत कम है. 60 से 65 किलो चाहिए होता है
सोनू. - नहीं इतना वजन नहीं है मेरा. मैं सिर्फ 52 किलो का हूं.
रिपोर्टर अजय - वो फॉर्म भरते हैं पूछते हैं रिश्तेदार हो ,कौन हो?
सोनू. - तुम पूछ लेना जैसा भी हो बता देना..
रिपोर्टर अजय - क्या करते हो?
सोनू - होटल पर रोटी बनाता हूं.
रिपोर्टर अजय- वैसे रेट क्या चल रहा है.?
सोनू- यही 2-ढाई हजार रूपये.
तो समझा आपने-राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल परिसर में ही हर नियम को ताक पर रखकर बगैर डोनर, दोगुनी-तिगुनी रकम पर खून का सौदा हो रहा है. आलम ये है कि डमी प्रेसक्रिप्शन पर ही हमने बिना जाने खून जा कहां रहा हैं - हमने सौदा कर लिया . इसके बाद हमें खून की डिलिवरी भी मिल गई. वो भी सड़क पर. हालांकि इसके बाद हमारी पड़ताल सिर्फ़ हमीदिया में ही नहीं रुकी,हम गए ,गांधी मेडिकल और कई छोटे क्लीनिकों तक. हर जगह सवाल वही था — खून की कीमत कितनी है? जवाब बदलता रहा, लेकिन रकम तय थी. हमारे सामने सवाल ये भी था कि क्या ब्लड एक्सचेंज की नीतियां सिर्फ़ पोस्टर तक ही सीमित हैं? इसके अलावा सबसे डरावना सवाल- जो ब्लड मिल रहा है... वो वाकई सेफ है भी या नहीं? दरअसल ये ब्लड नहीं सिस्टम की नसों में बहता अपराध है. भोपाल की सड़कों पर, सरकारी अस्पताल की दीवारों के पीछे, और एक नाम 'अनीस' जो बताता है कि इस शहर में ज़रूरत का सबसे बड़ा सौदा…खून है.
डिस्क्लेमर: यह स्टिंग ऑपरेशन NDTV द्वारा जनहित में किया गया है. रिपोर्ट में बताई गई बातचीत और दृश्य गुप्त कैमरे से रिकॉर्ड किए गए हैं, जिनका उद्देश्य रक्तदान व्यवस्था से जुड़ी संभावित अनियमितताओं और अवैध लेनदेन को उजागर करना है. NDTV किसी डॉक्टर या अस्पताल पर सीधे तौर पर कोई आरोप नहीं लगा रहा है. यह स्टिंग ऑपरेशन - अस्पताल,ब्लड बैंक और उनके परिसरों या उनके आसपास हुई गतिविधियों पर केंद्रित है.इन गतिविधियों की जानकारी संबंधित संस्थान भी चाहें तो स्वतंत्र रूप से जुटा सकते हैं, जैसा NDTV ने किया. NDTV सभी पक्षों को अपनी बात रखने का समान अवसर देता है और यह रिपोर्ट किसी भी कानूनी जांच या प्रक्रिया का विकल्प नहीं है. 'ऑपरेशन ब्लड' का उद्देश्य सिर्फ़ जागरूकता फैलाना और स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता को प्रोत्साहित करना है.