
NDTV Sting Operation Blood: ऑपरेशन ब्लड के तहत हमारी तहकीकात अब अपने नए पड़ाव पर पहुंची है और वो है एम्स भोपाल...एक ऐसा अस्पताल जहां प्रदेश और देश भर से लोग अपनी आख़िरी उम्मीद लेकर आते हैं लेकिन इसी अस्पताल के बाहर जिंदा रहने की सबसे अहम चीज़ – खून, एक खुली मंडी में बिक रहा है. एम्स के गेट के बाहर हमें सिर्फ मरीजों की भीड़ नहीं मिली बल्कि यहां सक्रिय मिला…एक पूरा नेटवर्क – दलाल, डोनर, और एम्बुलेंस ड्राइवरों का गठजोड़. यहां एक संगठित गैंग है जो मरीजों की मजबूरी पर अपना कारोबार कर रहा है. सबसे पहले हम पहुंचे एक पान की दुकान पर…जहां हमारी मुलाकात दो जानकार नामों से हुई –राज बंशकार और विनोद अहिरवार….जिसमें से एक डोनर है दूसरा दलाल… और दोनों के पास ब्लड नेटवर्क का गहरा नक्शा है. आप भी सुनिए हमारी बातचीत के खास अंश. हालांकि हम ये साफ कर देते हैं कि हम किसी डॉक्टर या अस्पताल पर सवाल नहीं उठा रहे …लेकिन सवाल ये है —देश के इतने बड़े सरकारी अस्पताल एम्स भोपाल के ठीक बाहर, खुलेआम खून की दलाली कैसे हो रही है?

ये है AIIMS भोपाल का परिसर. जहां खून के लिए परेशान मरीजों को दलाल अपने जाल में फंसा लेते हैं.
रिपोर्टर अजय- भैया ब्लड का अरेंजमेंट हो जाएगा..?
विनोद अहिरवार (दलाल) -हम दिलवा देंगे..?
राज बंशकार (डोनर)- में खुद दे दूंगा.आधार कार्ड नहीं है ना तो दो हजार रुपए लगते हैं
रिपोर्टर अजय- 2 हजार मिल जाएगा दे दो..
रिपोर्टर अजय -पर बहुत ज्यादा पैसे बोल रहे हो
राज बंशकार -हम दे देंगे. एक बार अभी दिया तीन महीने हो गए.
रिपोर्टर अजय- कुछ कम नहीं हो पाएगा?
विनोद अहिरवार (दलाल)- नहीं इससे कम नहीं हो पाएगा.
बहरहाल हमने चूंकि हमिदिया में स्टिंग ऑपरेशन के दौरान खून खरीद लिया था लिहाजा हमने यहां पैसे ज्यादा हैं ये कहकर खरीदने से मना कर दिया. पर जाहिर है यहां भी खून का रेट सरकारी ब्लड बैंक नहीं,गली के गुर्गे तय कर रहे थे. खून कितनी बार दिया जा सकता है, कौन दे सकता है… ये सब तय करने वाले थे ये ब्लड माफिया. अब आप आगे की बातचीत पर ध्यान दीजिए.
राज बंशकार-एंबुलेंस वाले 36-36 सौ रुपए लेते हैं.अपन ने तो अभी दिया था आधार कार्ड गुम गया.
रिपोर्टर अजय- क्या अंदर रिश्तेदारी पूछते हैं..?
राज बंशकार - पूछते हैं तो हम बता देते हैं चाचा है...मामा...हैं
राज बंशकार - किस को चाहिए..?
रिपोर्टर अजय- भाई है एक्सीडेंट हो गया है.
राज बंशकार - दे देंगे अपन तो यही काम करते हैं.

AIIMS भोपाल परिसर के बाहर ऑटो वाले, पार्किंग वाले या फिर एंबुलेंस वाले खून की दलाली के इस रैकेट में शामिल हैं.
बहरहाल इसके बाद विनोद ने हमें एक पेशेवर डोनर – सलमान से बात करवाया. सलमान से हमारी बातचीत शुरु हुई. आप इसे भी पढ़िए.
विनोद - सलमान (डोनर) कहां हैं.? एक भैया को ब्लड चाहिए
रिपोर्टर अजय - एक यूनिट चाहिए
सलमान - कहां हो तुम?
रिपोर्टर अजय - एम्स के गेट पर
राज बंशकार - 2500 लगेंगे, एम्बुलेंस वाले से भी पूछ लो..3600 लेंगे
इसके बाद में राज बंशकार को छोड़कर एंबुलेंस वालों के पास पहुंचे. लेकिन हमें पता चल चुका था कि एम्स के बाहर खून की काली मंडी में जबरदस्त कॉम्पिटिशन है. चूंकि ये एम्स का इलाका है लिहाजा यहां खून के सबसे ज्यादा खरीदार आते हैं. जब हम एंबुलेंस गैंग के पास पहुंचे तो ये पता चलते देर नहीं लगी कि ये गैंग तो ब्लड बैंक से बड़ा नेटवर्क चला रहा है.
रिपोर्टर अजय - हमें ब्लड चाहिए. डोनर मिल जाएगा.?
एंबुलेस ड्राइवर- ब्लड,मिल जायेगा,पैसे से मिल जायेगा .
रिपोर्ट अजय - दिलवा देते यार..
एंबुलेंस ड्राइवर - बात कर दूंगा मिल जायेगा, बात करा दूंगा
एंबुलेंस ड्राइवर फिर हमें अपनी गैंग से मिलवाता है और बोलता है- इन्हें ब्लड चाहिए. जिसके बाद गैंग कहती है कि मिल जायेगा और फोन घूमाने लग जाती है.
एंबुलेस ड्राइवर -कौन सा ब्लड चाहिए?
रिपोर्टर अजय- ए प्लस
रिपोर्टर अजय- पैसे तो ज्यादा नहीं लगेंगे.
एंबुलेस ड्राइवर - हम आपकी बात करा देते हैं., एम्स में काफी झंझट है इससे अच्छा हमीदिया है. वहां सब मिल जायेगा .
इसके बाद एंबुलेंस वाला किसी भूपेन्द्र दलाल से हमारी बात कराता है..
रिपोर्टर अजय - हेलो भैया दो यूनिट चाहिए हमें.
भूपेंद्र (दलाल डोनर माफिया) -7 हजार लगेंगे 3500 और 3500..
रिपोर्टर अजय - बहुत ज्यादा बता रहे हैं.
भूपेंद्र दलाल - जो लगता है वही बता रहा हूं
रिपोर्टर अजय - आप कब तक दे देंगे?
भूपेंद दलाल - आप हां करो तो लड़कों को फोन लगाऊं..
मतलब हमीदिया के बाद एम्स में भी हमें आसानी से ब्लड मिला. हालांकि हमने इस गैंग से ये कहकर पीछा छुड़ाया कि आप बहुत ज्यादा पैसे ले रहे हैं. हम एक अस्पताल से हम खून पहले ही खरीद चुके थे .अब हमारा मकसद सिर्फ अलग-अलग अस्पतालों के बाहर इस रैकेट को एक्सपोज करना था. जिसमें नज़र आया कैसे, देश का सबसे बड़ा मेडिकल संस्थान और उसके बाहर ब्लड माफिया की खुली दुकान चल रही थी.
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डिस्क्लेमर: यह स्टिंग ऑपरेशन NDTV द्वारा जनहित में किया गया है. रिपोर्ट में बताई गई बातचीत और दृश्य गुप्त कैमरे से रिकॉर्ड किए गए हैं, जिनका उद्देश्य रक्तदान व्यवस्था से जुड़ी संभावित अनियमितताओं और अवैध लेनदेन को उजागर करना है. NDTV किसी डॉक्टर या अस्पताल पर सीधे तौर पर कोई आरोप नहीं लगा रहा है. यह स्टिंग ऑपरेशन - अस्पताल,ब्लड बैंक और उनके परिसरों या उनके आसपास हुई गतिविधियों पर केंद्रित है.इन गतिविधियों की जानकारी संबंधित संस्थान भी चाहें तो स्वतंत्र रूप से जुटा सकते हैं, जैसा NDTV ने किया. NDTV सभी पक्षों को अपनी बात रखने का समान अवसर देता है और यह रिपोर्ट किसी भी कानूनी जांच या प्रक्रिया का विकल्प नहीं है. 'ऑपरेशन ब्लड' का उद्देश्य सिर्फ़ जागरूकता फैलाना और स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता को प्रोत्साहित करना है.