
एनडीटीवी की खबर का बड़ा असर हुआ है. बुधवार, 2 अगस्त को एनडीटीवी ने नेत्रहीन कन्या विद्यालय की बदहाली पर रिपोर्ट प्रकाशित की थी. जिसमें बताया गया था कि कैसे बारिश के मौके पर स्कूल में पानी भरा होता है, जिसके कारण नेत्रहीन छात्राएं ना ही खाना खा सकती थी और ना ही रात को सो पाती थी. रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद प्रशासन हरकत में आया और शुक्रवार को जबलपुर के महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु नेत्रहीन कन्या विद्यालय एवं छात्रावास पहुंचे और अपनी आंखों से दुर्दशा को देखा. जिसके बाद शुक्रवार को महापौर ने इन छात्राओं को नए ठिकाने पर शिफ्ट कर दिया है.
रिपोर्ट प्रकाशित होने के 36 घंटे में मिला नया छात्रावास
बता दें कि नेत्रहीन कन्या विद्यालय के छात्रावास लगभग 2 साल पूर्व बनकर तैयार हो गया था, लेकिन सरकारी लालफीताशाही के कारण छात्राएं हॉस्टल में शिफ्ट नहीं हो पाई थी. वहीं बंद पड़े छात्रावास में गंदगी और कबूतरों ने अपना डेरा बना लिया था. हालांकि महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नु ने पहल कर छात्रावास को खुलवाया और स्वयं साफ सफाई करवाई और बच्चों को माला पहना कर स्वागत करते हुए इस छात्रावास में शिफ्ट किया.

नेत्रहीन कन्या विद्यालय के छात्रा संगीता लड़िया ने खुशी व्यक्त करते हुए एनडीटीवी से कहा कि हम लोगों को बहुत खुशी हो रही है. कमरे में पानी आ जाने से खाद्यान्न खराब और कपड़े गीले हो जाते थे. रात भर हमसभी बैठ कर गुजारा करते थे. अब हमसभी छात्रावास में आकर बहुत खुश हैं.

नए आशियाना मिलने से छात्राएं काफी खुशी हैं.
कक्षा दसवीं की छात्रा सोनिया चौधरी ने बताया ने कि हम इस नए छात्रावास में आकर बहुत खुश हैं. वहां पानी भर जाता था और बहुत गंदगी होती थी. बदबू रहने के कारण हमारी बहुत सारी बहनें अपने घर चली गई, लेकिन महापौर ने हमें नई बिल्डिंग दिलाई जिसके लिए हम उनका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं.
महापौर जगत बहादुर सिंह ने कहा कि कई वर्षों से यह कन्या शाला भंवर तालाब के पास लग रही थी और छात्राएं नारकीय जीवन जीने को मजबूर थी और वहां का स्टाफ भी नारकीय जीवन जी रहे थे. जब कल बारिश के मौसम में मुझे पता चला कि टॉयलेट का पानी वहां पर भर गया है. हमारी 43 बच्चियां और जो स्टाफ स्कूल के लिए समर्पित है जो काफी परेशान थे. मैं नई हॉस्टल में पहुंचा और वहां के लोगों रे साथ हम लोगों ने सफाई की. सफाई के बाद उन सभी बच्चों को तत्काल भेजा.आज बच्चे काफी खुश है.

कानूनी पेंच में फंसा है छात्रावास
बता दें कि यह हॉस्टल 2 साल पहले बनकर तैयार हो गया था, लेकिन सरकार के द्वारा इसका रियायती किराया अभी फिक्स नहीं किया गया. वहीं कलेक्टर गाइडलाइन के अनुसार, इस भवन का किराया 1 लाख से ज्यादा होगा जो विद्यालय के लिए आर्थिक बोझ होगा और यही कारण था कि नए छात्रावास में बच्चे निवास नहीं कर पा रहे थे. वहीं महापौर जगत बहादुर सिंह ने आकस्मिक कारणों को देखते हुए अस्थाई रूप से इन छात्राओं को रहने के लिए दे दिया गया है. महापौर जगत बहादुर सिंह ने कहा कि ये छात्राएं जब तक चाहे इस छात्रावास में रह सकते हैं.
प्राचार्य ने NDTV को कहा धन्यवाद
वहीं प्राचार्य ने कहा कि मैं मीडिया को धन्यवाद देना चाहता हूं जिसने इस खबर को प्रमुखता से प्रसारित किया. हम सभी 5 साल से कठिन जीवन जी रहे थे. जब से नाला छोटा कर दिया गया था पूरा पानी अंदर भर जाता था. बच्चे रात-रात भर जागते थे. खाद्यान्न पानी में खराब हो जाता था और कपड़े भी खराब हो जाते थे. प्राचार्य ने आगे कहा कि मैंने कलेक्टर ,कमिश्नर, निगम आयुक्त सभी को कई बार इसके लिए आवेदन दिया, लेकिन मेरी मेहनत रंग नहीं ला पा रही थी. लेकिन मीडिया ने वह काम कर दिया जो इतने सालों से नहीं हो पा रहा था. उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश की 86 दृष्टि हीन बच्चियां यहां रहती है, लेकिन मैंने बहुत सी बच्चियों को अभी घर भेज दिया, क्योंकि बारिश में जो परेशानियां होती है वह झेल नहीं सकती थी.
कलेक्टर सुमन सौरभ ने तुरंत लिया संज्ञान
बता दें कि एनडीटीवी द्वारा रिपोर्ट प्रकाशित करने के बाद कलेक्टर सुमन सौरभ ने निगम आयुक्त स्वप्निल वानखड़े को तुरंत नेत्रहीन बच्चों की मदद के लिए निर्देशित किया था.
बारिश के मौसम में घुटनों तक भर जाता था नाले का पानी
दरअसल, पिछले कई सालों से 89 नेत्रहीन छात्राएं नेत्रहीन कन्या विद्यालय में कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन गुजार रही थी. बारिश के समय में इनका जीवन और भी कठिन हो जाता था, क्योंकि 2 साल पूर्व कल्चरल स्ट्रीट बन जाने से बारिश का पूरा पानी गंदे नाले के पानी के साथ नेत्रहीन कन्या विद्यालय के छात्रावास में भर जाता था.
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