
Bhopal rape case: मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में कॉलेज छात्राओं से रेप और ब्लैकमेलिंग केस में नेशनल कमीशन फॉर वूमेन की जांच समिति ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. कमेटी का मानना है कि आरोपियों के तार ड्रग तस्करी या किसी बड़े आपराधिक नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं. इतना ही नहीं आयोग को ये भी लगता है कि इस मामले में आरोपियों को विदेशी फंडिंग भी मिली हो सकती है.इस मामले में पुलिस अब तक 5 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, एक अभी भी फरार है. बता दें कि 3-5 मई तक राष्ट्रीय महिला आयोग की टीम भोपाल पहुंची थी. इस टीम में झारखंड की पूर्व डीजीपी निर्मल कौर, वकील निर्मला नायक और आशुतोष पांडे शामिल थे. टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री और राज्यपाल को सौंप दी है जिसमें अब कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं.

संगठित 'लव जिहाद गैंग' हो सकता है: आयोग
महिला आयोग की रिपोर्ट साफ कहती है — यह केवल रेप नहीं, एक संगठित रैकेट है. ये एक संगठित ‘लव जिहाद गैंग' हो सकता है. आयोग की रिपोर्ट कहती है कि आरोपी आर्थिक रूप से सामान्य थे, लेकिन उनका हाई-प्रोफाइल लाइफस्टाइल कई सवाल खड़े करता है. शक की सुई ड्रग्स और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की ओर घुमा देता है.
आरोपियों के बैंक अकाउंट की जांच होनी चाहिए. बता दें कि महिला आयोग की टीम ने पुलिस कमिश्नर से भी इनपुट लिया था. आयोग की टीम क्लब 90 भी पहुंची थी जो कॉलेज से महज 100 कदम की दूरी पर है. ये प्रॉपर्टी नगर निगम ने लीज पर दी थी.आयोग के दौरे के बाद इसके अवैध हिस्से को ढहा दिया गया है.
सख्त एक्शन क्यों नहीं लेती सरकार: संगीता शर्मा
राज्य महिला आयोग के पूर्व सदस्य संगीता शर्मा कुछ तीखे सवाल पूछती हैं. वे कहती हैं- महिला आयोग की टीम ने रिपोर्ट सौंप दी है लेकिन अभी तक एमपी सरकार ने क्या किया? राष्ट्रीय मानव अधिकार की टीम आकर चली गई उन्होंने भी रिपोर्ट दे दी है. सभी ने इसमें बड़े नेटवर्क की आशंका जताई है लेकिन अभी तक कोई बड़ी गिरफ्तारी नहीं हुई है. दूसरी तरफ भोपाल के कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि प्रशासन ऐसी अवैध गतिविधियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई कर रहा है. मुख्यमंत्री के निर्देशानुसार ऐसी अवैध गतिविधियों पर रोक लगायी जा रही है. होटल के अवैध हिस्से को ढहा दिया गया है और आगे भी कार्रवाई की जाएगी. इस पूरे मामले में अभी तक दो सगी बहनों समेत 6 पीड़िताएं सामने आई हैं. इसमें से तीन पीड़िताओं ने एफआईआर दर्ज कराने से इनकार कर दिया है. उधर महिला आयोग ने कॉलेजों से POSH कानून पर भी जवाब मांगा है.पीड़िताओं को इंसाफ दिलाने के लिए त्वरित और सख्त कार्रवाई की मांग की गई है.लेकिन ये सिर्फ एक केस नहीं — सिस्टम की नाकामी और संगठित अपराध का चेहरा भी है.
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