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This Article is From Jan 19, 2024

ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में भोपाल एम्स को मिली बड़ी कामयाबी, चूहों पर प्रयोग रहा सफल

ब्रेस्ट कैंसर...ये दो शब्द महिलाओं के साथ-साथ उनके घर वालों को भी डरा देते हैं. देश में हर साल इस तरह के कैंसर के 1.46 लाख से ज्यादा केस आते हैं जिसमें से 7600 की तो मौत भी हो जाती है. लेकिन अब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल एम्स में हुए रिसर्च से इन मरीजों के आशा की किरण जगी है.

Breast Cancer News: ब्रेस्ट कैंसर...ये दो शब्द महिलाओं के साथ-साथ उनके घर वालों को भी डरा देते हैं. देश में हर साल इस तरह के कैंसर के 1.46 लाख से ज्यादा केस आते हैं जिसमें से 7600 की तो मौत भी हो जाती है. लेकिन अब मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल एम्स में हुए रिसर्च से इन मरीजों के आशा की किरण जगी है. दरअसल AIIMS और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आइसर) ने मुनगा की पत्तियों और फली से 3 प्रकार के बायो एक्टिव कंपाउंड बनाए. इससे एक कोर ड्रग बनाया जो ब्रेस्ट कैंसर के इलाज में कारगर हो सकता है. भोपाल एम्स के डॉक्टरों का दावा है कि चूहों पर प्रयोग सफल रहा है लेकिन इसका इंसानों पर टेस्ट बाकी है.  

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दरअसल भोपाल एम्स के लैब में चूहों की अलग-अलग प्रजातियों पर ब्रेस्ट कैंसर को लेकर शोध हुआ.इसमें एक समूह में ब्रेस्ट कैंसर डेवलेप किया गया जबकि दूसरे को समान्य रखा गया.सामान्य चूहों पर दवा का कोई प्रतिकूल असर नहीं हुआ, जबकि कैंसर पीड़ित चूहे तीन महीने में ठीक हो गये.

AIIMS Bhopal के डॉ. सुखेश मुखर्जी का कहना है कि हम ये रिसर्च चूहों पर कर रहे हैं जिसके अच्छे रिज़ल्ट आ रहे हैं. ये कंपाउंड बहुत अच्छा बायो एक्टिव कंपाउंड है, जो रेडियोथेरेपी और कीमोथैरेपी का साइडइफेक्ट भी बंद करेगा.

दूसरी तरफ भोपाल एम्स के निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह ने भी इस रिसर्च पर विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि मुनगा और फली और पत्तियों में हम लोगों ने कुछ केमिकल को आइडेंटिटीफाई किया है.  हमने देखा है कि वह कैंसर ख़ास तौर पे ब्रेस्ट कैंसर को छोटा करता है. हमने अभी तक ह्यूमन बीइंग पर इसकी सफलता प्राप्त नहीं की है लेकिन चूहों पर इसका प्रयोग सफल रहा है. अब हम इसको अलग-अलग सेंटर्स में करने की जरूरत महसूस कर रहे हैं. दि ये सक्सेसफुल होता है तो ये कैंसर थेरेपी में एक बड़ी उपलब्धि होगी. शुरुआती रिज़ल्ट में हमें काफी सफलता मिली है.यदि ये प्रयोग पूरी तरह से सफल होता है तो हम पेशेंट को न सिर्फ कीमोथैरेपी से बचा पाएंगे बल्कि सर्जरी करने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी.  
 बता दें कि पिछले कुछ सालों से लगातार महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर की समस्या बढ़ रही है. जिसके इलाज के लिए महिलाओं को कीमोथेरेपी की दर्दनाक स्थिति से गुज़रना पड़ता था. यदि भोपाल एम्स की तरकीब पूरी तरह से कामयाब रहे तो ये बड़ी सफलता होगी.  

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