
Bharat Bandh: देश के 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों की ओर से बुधवार को बुलाई गई राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दौरान मध्यप्रदेश में करीब 8,700 बैंक शाखाओं में काम-काज ठप रहा और इससे अलग-अलग बैंकिंग सेवाएं प्रभावित हुईं. बैंक कर्मचारियों के एक संगठन ने यह जानकारी दी. ‘मध्यप्रदेश बैंक एम्प्लॉयीज एसोसिएशन' (एमपीबीईए) के अध्यक्ष मोहनकृष्ण शुक्ला ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया, ‘‘सूबे की लगभग 8,700 बैंक शाखाओं के करीब 40,000 कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए. इनमें 11 सरकारी बैंक और कुछ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) के कर्मचारी शामिल हैं.''
ऐसा असर दिखा
मध्यप्रदेश बैंक एम्प्लॉयीज एसोसिएशन' (एमपीबीईए) के अध्यक्ष मोहनकृष्ण शुक्ला ने बताया कि हड़ताल से इन बैंक शाखाओं में धन जमा करने और निकालने के साथ चेक निपटान, सावधि जमा (एफडी) योजनाओं का नवीनीकरण, सरकारी खजाने से जुड़े काम और अन्य नियमित कार्य प्रभावित हुए. शुक्ला ने मांग की कि सरकारी बैंक के निजीकरण और विनिवेश की प्रक्रिया बंद की जानी चाहिए और बैंक कर्मचारियों के बड़ी संख्या में खाली पदों पर तुरंत भर्ती की जानी चाहिए.
श्रमिक संगठनों की मांगों में चार नयी श्रम संहिताओं को खत्म करना, ठेका प्रणाली समाप्त करना, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण बंद करना और न्यूनतम मजदूरी को बढ़ाकर 26,000 रुपये प्रति माह करना शामिल हैं.
छत्तीसगढ़ में क्या हुआ?
छत्तीसगढ़ में भी नए श्रमिक कानून को वापस लेने समेत 17 सूत्रीय मांगों को लेकर ट्रेड यूनियन एक दिन की हड़ताल पर हैं. राष्ट्रीय स्तर के 10 और क्षेत्रीय संगठन के पदाधिकारी सुबह से रायपुर में LIC कैंपस में धरने पर बैठे. ट्रेड यूनियन के पदधिकारियों का आरोप है नए श्रमिक कानून से श्रमिकों के अधिकार छीन लिए गए है. जिसके विरोध में देश भर में 25 करोड़ लोग है.
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