Madhya Pradesh: प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा संचालित पंडित दीनदयाल रसोई योजना ने कोरोना महामारी के दौरान जरूरतमंदों को भोजन प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हुए अपने तीसरे साल में प्रवेश किया है. बैतूल में इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत महामारी के आने से पहले ही हो गई थी, लेकिन कोरोना काल में इसकी महत्ता और बढ़ गई. श्रेयश एजूकेशन एंड वेलफेयर ऑर्गनाइजेशन, भोपाल द्वारा संचालित इस योजना ने लाखों लोगों को भरपेट भोजन उपलब्ध कराया है.
26 फरवरी 2021 को किया गया था शुरू
दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना का दूसरा चरण 26 फरवरी 2021 को शुरू किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य प्रदेश के गरीब एवं जरूरतमंद व्यक्तियों को सस्ती दर पर पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है. योजना के तहत प्रदेश के 52 जिला मुख्यालयों और 6 धार्मिक नगरी - मैहर, ओंकारेश्वर, महेश्वर, अमरकंटक, ओरछा और चित्रकूट में 100 रसोई केंद्र संचालित किए जा रहे हैं. इन केंद्रों में जन-सामान्य को स्वच्छ एवं पौष्टिक भोजन के रूप में रोटी, मौसमी सब्ज़ी, दाल एवं चावल मात्र 10 रुपए प्रति थाली की दर से उपलब्ध कराया जाता है.
महामारी के दौरान किया सेवा का विस्तार
समिति संचालक सुभाष रघुवंशी ने बताया कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान 12 अप्रैल से 27 जून, 2021 तक लागू लॉकडाउन में प्रदेश के 27 लाख 19 हजार लोगों को भोजन कराया गया, जिसमें बैतूल के लोग भी शामिल थे. इस कठिन समय में समिति ने लाभ-हानि की सोच को दरकिनार कर नरसेवा-नारायण सेवा को प्राथमिकता दी थी. आज भी बैतूल सहित प्रदेश के अन्य स्थानों पर रसोई केंद्रों से भोजन का वितरण सतत् जारी है. समिति ने अपेक्षित जन सहयोग ना मिलने के बावजूद भी अपने इरादे को नहीं बदला और गरीब-मजदूर को समय पर भरपेट भोजन करवाने का कार्य जारी रखा. इस योजना के मुख्य हितग्राहियों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले आश्रयहीन लोग, वरिष्ठ नागरिक और शिक्षार्थी शामिल हैं.
महामारी के दौरान इसकी भूमिका हो गई महत्वपूर्ण
दीनदयाल रसोई योजना ने अपने तीन साल के दौरान लाखों लोगों को भोजन उपलब्ध कराते हुए एक महत्वपूर्ण सामाजिक भूमिका निभाई है. महामारी के दौरान इसकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई, जिससे यह योजना राज्य के गरीब और जरूरतमंद व्यक्तियों के लिए एक वरदान साबित हुई. समिति के सदस्यों की सेवा भावना और समाजसेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस योजना की सफलता का मुख्य कारण है. रसोई केंद्रों में उपयोग में आने वाले खाद्यान्न, जैसे गेहूँ और चावल, उचित मूल्य की दुकान के माध्यम से खाद्य विभाग द्वारा एक रुपए प्रति किलोग्राम की दर से उपलब्ध कराया जाता है, जिससे लोगों को सस्ती दर पर पौष्टिक भोजन मिल सके.
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