Proud Father: अक्सर बेटी और बेटों के बीच अंतर की खबरें सामने आती रहती हैं, लेकन सतना जिले की एक बेमिसाल डाक्टर बेटी ने अपने कारनामें उस अंतर को हद तक पाट दिया है. लिवर सिरोसिस से ग्रस्त पिता की जान बचाने के लिए डाक्टर बेटी ने अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी और उसके दान किए लिवर से पिता की जान बच गई.
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सालभर से लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे पिता
जिले के डोमहाई निवासी रमेश चतुर्वेदी पिछले एक साल से लिवर सिरोसिस जैसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे. उनका इलाज चल रहा था, लेकिन डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी. इस संकट की घड़ी में उनकी बेटी डॉ. प्रतिभा चतुर्वेदी (रश्मि) ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपना 60 फीसदी लिवर अपने पिता को डोनेट करने का निर्णय लिया.
एक साल पहले हुई पिता रमेश चतुर्वेदी को हुई थी खून की उल्टी
रिपोर्ट के मुताबिक पिता रमेश चतुर्वेदी को एक साल पहले अचानक खून की उल्टियां होने लगी थीं, और उन्हें बिलासपुर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान पता चला कि उनका लिवर बुरी तरह से खराब हो चुका है. डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी.
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डाक्टर्स की टीम 10 घंटे में किया लिवर ट्रांसप्लांट का सफल ऑपरेशन
रमेश चतुर्वेदी का ऑपरेशन मेदांता अस्पताल गुरूग्राम में 15 डॉक्टरों की टीम ने किया. लगभग 10 घंटे तक चले लिवर ट्रांसप्लांट के सफल ऑपरेशन के बाद पिता को नया जीवन मिल चुके है. आश्चर्य की बात यह रही कि लिवर ट्रांसप्लांट ऑपरेशन के बाद रमेश चतुर्वेदी को महज 12 घंटे में ही होश आ गया और अब उनकी सेहत में तेजी से सुधार हो रहा है.
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