74th Republic Day of India: देश अपना 75 वां गणतंत्र दिवस (75th Republic Day) मना रहा है. 26 जनवरी 1950 को देश में संविधान (Constitution of India) लागू हुआ था. संविधान निर्माण में देश के कई विद्वानों ने अपना योगदान दिया, उनमें से एक जबलपुर (Jabalpur) के व्यौहार राममनोहर सिन्हा (Beohar Rammanohar Sinha) भी थे. उन्होंने न केवल संविधान के प्रस्तावना पृष्ठ (Preamble Page) को अलंकृत किया, बल्कि उनके द्वारा बनाए गए 10 चित्रों को भी संविधान (Constitution) में अलग-अलग जगहों पर स्थान दिया गया. सिन्हा ने इन चित्रों के माध्यम से संविधान में देश की गौरव गाथा को प्रस्तुत किया. व्यौहार राममनोहर का जन्म 15 जून 1929 को जबलपुर में हुआ, उनका निधन 25 अक्टूबर 2007 को हुआ. राममनोहर सिन्हा के योगदान का जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 22 जनवरी को अपने भाषण में भी किया.
गुरु नंदलाल बसु ने दिया था अलंकरण का काम
व्यौहार राजेन्द्र सिंह के बेटे व्यौहार राममनोहर सिन्हा संविधान निर्माण के दौरान शांति निकेतन में अध्ययनरत थे. संविधान निर्माता समिति ने शांति निकेतन के वरिष्ठ कलाविद नंदलाल बसु से संविधान अलंकरण का निवेदन किया, चूंकि नंदलाल उस समय काफी बुजुर्ग हो चुके थे इसलिए उन्होंने अपने सबसे प्रिय शिष्य व्यौहार राममनोहर सिन्हा को संविधान अलंकरण का काम सौंप दिया. गुरु नंदलाल बसु ने व्यौहार राममनोहर सिंहा से कहा कि वे भारत भ्रमण पर जाए देश की सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक विरासत, धरोहरों को देखें, फिर उन्हे चित्रों में शामिल करें.
जिसके बाद राममनोहर सिन्हा ने अपने गुरु नंदलाल बसु के निर्देशन में संविधान के प्रस्तावना पृष्ठ समेत अन्य दस चित्रों को भी तैयार किया. ब्यौहार राममनोहर सिन्हा के बेटे डॉ अनुपम सिन्हा बताते हैं, उनके पिता ने संविधान अलंकरण का कोई पारिश्रमिक नहीं लिया था, उनका मानना था कि यह देश का कार्य है.
हस्ताक्षर की जगह लिखा 'राम'
बताया जाता है कि जब प्रस्तावना पृष्ठ के अलंकरण के बाद हस्ताक्षर राममनोहर सिन्हा को हस्ताक्षर करने को कहा गया, तो डॉ राजेंद्र प्रसाद और पं जवाहरलाल नेहरू के कहने पर सिन्हा ने एक स्थान पर सिर्फ राम लिखकर हस्ताक्षर किए. इसका जिक्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को राम मंदिर समारोह में अपने संबोधन में भी किया.
संविधान में शामिल किए गए सिन्हा के चित्र
संविधान में भारत की ऐतिहासिक और गौरवशाली सभ्यता और संस्कृति को दर्शाया गया है. यह काम अकेले लेखन से पूरा नहीं हो सकता था, इसलिए संविधान में चित्र भी अलंकृत किए गए. आपको बता दें कि संविधान अंग्रेजी भाषा में लिखा है, इसलिए चित्रों की आवश्यकता महसूस की गई. व्यौहार राममनोहर ने पहले चित्र में सिंधु घाटी की सभ्यता के प्रतीक वृषभ को शामिल किया. उन्होंने अश्व का चित्र भी बनाया, जो गति का घोतक है. इसी प्रकार कई चर्चित और प्राचीन स्थानों के 10 चित्र संविधान में शामिल किए गए.
संविधान के अलंकरण में राममनोहर सिन्हा के साथ उनके पिता व्यौहार राजेंद्र सिंह का भी योगदान रहा है. 1935 में जबलपुर में ही डॉ.राजेन्द्र प्रसाद, काका कालेलकर से व्यौहार राजेन्द्र सिंहा ने कहा था कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को जन-जन तक चित्रों के माध्यम से पहुंचाया जाए. डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे. उन्हें राजेंद्र सिन्हा की यह बात याद आई, जिसके बाद उन्होंने संविधान में चित्रों को अलंकृत किए जाने पर विचार किया.
कौन हैं राममनोहर सिन्हा के पिता?
राममनोहर सिन्हा के पिता व्यौहार राजेंद्र सिंह उस समय के जाने-माने व्यक्तित्व थे. एक बार उनके निमंत्रण पर महात्मा गांधी व्यौहार निवास में आए थे. इस दौरान गांधी लगभग एक सप्ताह तक उनके घर पर रहे. उनके साथ आचार्य कृपलानी, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, बाबू राजेन्द्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू, एडिथ एलेन ग्रे, सरोजिनी नायडू, सर सैयद महमूद, वीर खुर्शीद नरीमन, डॉ. मुख्तार अहमद अंसारी, जमनालाल बजाज, मीरा बहन भी आए थे. इस अवसर पर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की कार्यकारिणी की बैठक भी उसी व्यौहार निवास में हुई थी.
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