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Diwali: 1.25 लाख दीपों से सजा बागेश्वर धाम, पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने फोड़े पटाखे, कहा- 'फटने वाले लोगों से दूरी बनाएं'

बागेश्वर महाराज ने कहा कि दीप प्रज्वलन का तात्पर्य केवल लक्ष्मी के आगमन से नहीं है, बल्कि दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है. जिस प्रकार दीपक के जलने से प्रकाश फैलता है, उसी प्रकार मन में ज्ञान का प्रकाश होने से अज्ञान का अंधकार दूर होता है.

Diwali: 1.25 लाख दीपों से सजा बागेश्वर धाम, पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने फोड़े पटाखे, कहा- 'फटने वाले लोगों से दूरी बनाएं'

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बागेश्वर धाम पर इस वर्ष भी दीपावली का पावन पर्व भक्तिमय माहौल के बीच श्रद्धा और उत्साह से मनाया गया. बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने गौ, अश्व और वाहन पूजन कर पूजा की शुरुआत की और फिर बागेश्वर बालाजी के चरणों में दीप प्रज्ज्वलित किए. सेवादारों और कर्मचारियों को मिठाई, चांदी के सिक्के और दक्षिणा भी दी. इसके बाद आतिशबाजी कर दीपोत्सव की पर्व मनाया गया.   

सवा लाख दीप जलाए 

दिवाली मनाने धाम पहुंचे देशभर के भक्तों ने दीप जलाए, किसी ने राम नाम लिखकर तो किसी ने ‘श्री राम जय राम', ‘ॐ', पादुका और अन्य धार्मिक प्रतीकों के आकार में रंगोली बनाकर दीप सजाए. भक्तों ने घी और तेल के दीपों से बागेश्वर धाम परिसर के विभिन्न स्थलों को सजाया. इस दौरान पूरे परिसर में करीब 1 लाख 25 हजार (सवा लाख) दीपक जलाए गए, जिनकी रोशनी से बागेश्वर धाम स्वर्णिम आभा से आलोकित हो उठा. पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने खूब फटाखे फोड़े, फुलझड़ियां और अनार जलाकर धूमधाम से दीपोत्सव का पर्व मनाया.

फटने वाले लोगों से भी दूरी बनाएं

बागेश्वर महाराज ने कहा कि दीप प्रज्वलन का तात्पर्य केवल लक्ष्मी के आगमन से नहीं है, बल्कि दीपक ज्ञान के प्रकाश का प्रतीक है. जिस प्रकार दीपक के जलने से प्रकाश फैलता है, उसी प्रकार मन में ज्ञान का प्रकाश होने से अज्ञान का अंधकार दूर होता है. उन्होंने कहा कि पटाखे क्यों जलाए जाते हैं, इस पर कई लोगों ने ज्ञान दिया कि पिछली दीपावली पर पटाखे नहीं जलाने चाहिए थे, परंतु हम में से कुछ लोग ऐसे हैं जिन्होंने इस बात का पालन नहीं किया. हम पटाखों से दूरी बनाए रखते हैं, क्योंकि वे फटते हैं. हमें उन फटने वाले लोगों से भी दूरी बनाए रखनी चाहिए, जो जल्दी बात करते हैं और अपनी बात को पेट में नहीं रख पाते. उन्होंने कहा कि वैसे तो हम पटाखों से दूरी बनाए रखते हैं, क्योंकि पटाखे जलाने से प्रदूषण होता है. रूस और यूक्रेन के बीच कई वर्षों से युद्ध चल रहा है, जिसमें बम और गोले फट रहे हैं. क्या क्रिकेट जीतने, नववर्ष और शादियों में करोड़ों के पटाखे फोड़ने से प्रदूषण नहीं होता? पटाखे नहीं जलाने चाहिए, परंतु यदि कोई रोकने वाला हो तो उन्हें जलाना चाहिए.

'ये हमारे पिता का घर'

बागेश्वर धाम पर सूरत से आए कालू भाई ने कहा कि 'ये हमारे पिता का घर है, हम प्रत्येक त्योहार यहां मनाने आते हैं. पिछले तीन वर्षों से हम दीपावली का त्योहार यहीं मना रहे हैं'.  हरिद्वार, उत्तराखंड से आए विनय सिंह ने कहा कि बागेश्वर धाम पर दिवाली मनाकर बहुत अच्छा लगा. आना नहीं चाहता था, लेकिन पिछले पांच दिनों से शरीर में पीड़ा थी, जो बागेश्वर धाम पर आकर समाप्त हो गई. सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव हुआ. आज तक की सभी दीपावलियां हमने परिवार के साथ मनाईं, लेकिन बागेश्वर बालाजी के साथ यह पहली दीपावली मनाई. बहुत अच्छा लगा कि महाराजजी और बजरंगबली के साथ दिवाली मनाई.

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