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बाघों की हत्यारी इंटरनेशनल लेडी डॉन यांगचेन कौन है? जिसे MP STSF ने चाइना बॉर्डर से यूं किया अरेस्ट

Tiger Trafficking Case में मध्य प्रदेश की MP STSF ने भारत-चीन सीमा पर –7°C में घेराबंदी कर अंतरराष्ट्रीय बाघ तस्कर यांगचेन लाचुंगपा ( Yangchen Lachungpa) को गिरफ्तार किया. वह Satpura Tiger Reserve Poaching और International Wildlife Trade केस में 10 साल से फरार थी.

बाघों की हत्यारी इंटरनेशनल लेडी डॉन यांगचेन कौन है? जिसे MP STSF ने चाइना बॉर्डर से यूं किया अरेस्ट

Tiger Trafficking Case: मध्य प्रदेश की स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (STSF) ने वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, नई दिल्ली के साथ संयुक्त ऑपरेशन में अंतरराष्ट्रीय बाघ तस्कर यांगचेन लाचुंगपा (Yangchen Lachungpa) को लाचुंग, मंगन, जिला उत्तर सिक्किम (सिक्किम) से गिरफ्तार किया है. मानइस 7 डिग्री तापमान वाले दुर्गम इलाके में कई महीनों की ट्रैकिंग और निगरानी के बाद STSF को यांगचेन लाचुंगपा  को अरेस्‍ट करने में 2 दिसंबर 2025 को सफलता म‍िली है. 

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प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) मध्यप्रदेश, भोपाल कार्यालय से म‍िली जानकारी के अनुसार यांगचेन लाचुंगपा पिछले 10 वर्षों से भारत, नेपाल और चीन की सीमाओं के बीच घूमकर गिरफ्तारी से बचती रही थी. यह वही आरोपी है, जिस पर 13 जुलाई 2015 में मध्‍य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (नर्मदापुरम) में बाघ और पेंगोलिन के अवैध शिकार तथा अवैध तस्करी का केस दर्ज हुआ था. इसके गिरोह पर आरोप था कि वे बाघ की हड्डियों और पेंगोलिन के स्केल को नेपाल के रास्ते चीन भेजते थे.  

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Tiger Trafficking Case MP STSF  Yangchen Lachungpa Arrested

Tiger Trafficking Case MP STSF Yangchen Lachungpa Arrested

31 लोगों के अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश

साल 2015 में दर्ज अवैध शिकार तथा अवैध तस्करी केस की जांच मध्य प्रदेश वन विभाग ने STSF को सौंपी थी. एसटीएसएफ की जांच में सामने आया कि यह एक संगठित अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क है, जिसमें भारत, नेपाल, भूटान और चीन तक फैले तस्कर शामिल हैं.

अब तक इस गिरोह के 31 सदस्यों की गिरफ्तारियां हो चुकी हैं और कई को सजा भी मिल चुकी है. यांगचेन इस नेटवर्क की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी मानी जाती है. उसे पकड़ने के लिए इंटरपोल तक रेड नोटिस जारी करना पड़ा था.

यांगचेन को सितंबर 2017 में भी पकड़ा गया था, लेकिन कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के बाद वह फरार हो गई. 2019 में उसके अग्रिम जमानत आवेदन को मध्‍य प्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर ने भी खारिज किया था. इसके बाद वह लगातार राज्यों और सीमावर्ती इलाकों में ठिकाने बदलकर एजेंसियों से बचती रही. 

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STSF की रणनीतिक घेराबंदी

2 दिसंबर 202 की रात मध्य प्रदेश STSF और WCCB (Wildlife Crime Control Bureau) की टीम ने सिक्किम पुलिस के सहयोग से लाचुंग (जिला मंगन) में विशेष घेराबंदी कर आरोपी को पकड़ा. 3 द‍िसंबर को गंगटोक की अदालत से ट्रांजिट वारंट प्राप्त किया गया और अब आरोपी को आगे की कार्रवाई के लिए मध्य प्रदेश लाया जा रहा है.

देश में वन अपराध के खिलाफ बड़ी मिसाल

यह केस भारत का पहला ऐसा मामला बन गया है जिसमें शिकारी, कूरियर, बिचौलियों और तस्करों सहित पूरे गिरोह को गिरफ्तार कर सजा दिलाई गई है.अब यांगचेन लाचुंगपा को नर्मदापुरम के विशेष न्यायालय में पेश कर रिमांड मांगा जाएगा, ताकि उससे अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ी और महत्वपूर्ण जानकारियां हासिल की जा सकें. 

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Yangchen Lachungpa Profile: यांगचेन लाचुंगपा का जीवन परिचय

नाम: यांगचेन लाचुंगपा
जन्म: 1 जनवरी 1982, लाचुंग (उत्तर सिक्किम), भारत
राष्ट्रीयता: भारतीय 
वैवाहिक स्थिति: विवाहित
पति का नाम: चिवांग टोपगे
बोली जाने वाली भाषाएँ: अंग्रेज़ी, हिंदी
अक्सर आने-जाने वाले क्षेत्र: काठमांडू, हुमला, भूटान, तिब्बत

शैक्षिक एवं पारिवारिक पृष्ठभूमि

यांगचेन लाचुंगपा का जन्म सिक्किम के पहाड़ी क्षेत्र लाचुंग में हुआ. उनकी प्राथमिक पृष्ठभूमि तिब्बती मूल से जुड़ी बताई जाती है. बहुभाषी होने के कारण वह भारत से लेकर नेपाल और चीन सीमा क्षेत्रों तक आसानी से आवाजाही और संपर्क स्थापित कर लेती थीं.

वन्यजीव अपराधों में संलिप्तता

यांगचेन का नाम पहली बार जुलाई 2015 में तब सामने आया, जब मध्य प्रदेश के सतपुड़ा टाइगर रिज़र्व, सोहागपुर (होशंगाबाद) में बाघ और पेंगोलिन के अवैध शिकार तथा अंगों की तस्करी से जुड़े एक गंभीर केस में उनका उल्लेख हुआ. इस मामले में आरोप था कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय वन्यजीव तस्करी नेटवर्क की प्रमुख कड़ी थीं.

बाघ की हड्डियाँ, खाल और पेंगोलिन स्केल नेपाल के रास्ते चीन भेजे जाते थे. आरोपी जय तामांग सहित कई तस्करों और बिचौलियों के साथ उनका सीधा संपर्क था. दिल्ली में उनका ठिकाना गिरोह के सदस्यों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में उपयोग होता था. जांच में यह भी सामने आया कि उनका मोबाइल अवैध वन्यजीव व्यापार की गतिविधियों के समन्वय में उपयोग किया जाता था.

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