
Shivpuri Road News: जिला मुख्यालय शिवपुरी में मौजूद है एक आईटीआई कॉलेज, जहां इसे पिछड़ी जातियों के युवाओं को कंप्यूटर प्रशिक्षण देने के लिए बनाया गया. इसे बनाने में लागत लाखों करोड़ों रुपए आई लेकिन सरकार ने इस कॉलेज को जहां स्थापित किया वहां से जोड़ने वाली सड़क को बनाना भूल गई. जानकारी में सामने आया कि यह कॉलेज 17 सितंबर 2022 को बनकर तैयार हो गया था और इसके बाद बच्चों के एडमिशन शुरू हो गए. बच्चे कॉलेज में दाखिल हुए, शिक्षकों ने प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया, यहां तक तो सब ठीक है लेकिन बात अगर इस कॉलेज को जोड़ने वाली सड़क की करें तो यह इतनी बदहाल है कि यहां पांव रखना तक मुश्किल है. ऐसे में इन बच्चों का और शिक्षकों का यहां पहुंचना कैसे संभव हो पाता होगा यह अपने आप में आश्चर्य करने वाली बात है.
इतना ही नहीं यहां के शिक्षकों और बच्चों के साथ स्थानीय लोगों ने कई बार जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों को और पार्षद के साथ विधायक को आवेदन दिए, सुनवाई करने के लिए कहा लेकिन उनकी सुनवाई कहीं नहीं हुई. यही वजह है कि 2022 से लेकर 2024 तक यह सड़क आज भी जस की तस है और बरसातों में तो यहां आना ही संभव नहीं है. ऐसे में यह कॉलेज और प्रशिक्षण कैसे संभव हो पाता होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं.

100 से ज्यादा बच्चे ले रहे हैं प्रशिक्षण
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से पिछड़ी जातियों के युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देने के लिए बनाया गया यह केंद्र संचालित है. बकायदा इसमें बच्चे पढ़ते हैं लेकिन बच्चों को आने-जाने में कितनी परेशानी होती है इसका अंदाजा आप तस्वीरों को देखकर लगा सकते हैं. इस कॉलेज में तकरीबन 100 से ज्यादा बच्चे हैं जो प्रशिक्षण लेने आते हैं लेकिन आते कैसे हैं यह बताते हुए बच्चे कहते हैं, 'अक्सर हमारे कपड़े गंदे हो जाते हैं. कभी गिर पड़ते हैं तो कभी हमारी गाड़ी फंस जाती है तो कभी हमें बुरी स्थिति में कॉलेज पहुंचना पड़ता है.' छात्र-छात्राएं बताते हैं कि वह अक्सर कॉलेज आने में लेट हो जाते हैं क्योंकि उन्हें सड़क पर बड़ी मशक्कत के साथ आना पड़ता है.

लंबे समय से कर रहे हैं फरियाद
यहां रहने वाले स्थानीय लोग और इस कॉलेज में पढ़ाने आने वाले शिक्षक और पढ़ने आने वाले बच्चों के साथ-साथ कई ऐसे लोग हैं जो यहां पहुंचते हैं और इस सड़क की दुर्दशा देखकर जिम्मेदार अफसरों को अपना शिकायती आवेदन देकर सुनवाई करने की अपील करते हैं. यह सिलसिला करीब 3 साल से निरंतर जारी है लेकिन अब तक उनकी किसी ने सुनवाई नहीं की है जबकि ये पार्षद, विधायक और जिम्मेदार कलेक्टर को भी जनसुनवाई में आवेदन दे चुके हैं.
कहते हैं तस्वीरें झूठ नहीं बोलती हैं और यही वजह है कि आपको इस खबर के साथ दिखाई दे रही ये तस्वीरें साफ-साफ बयां करती हैं कि यहां स्थिति कितनी खतरनाक और दयनीय है. ऐसे में सरकार के बड़े-बड़े दावों की साफ तौर पर कलई खुलती हुई दिखाई पड़ती है.

शिक्षकों ने भी कई बार की शिकायत
कौशल प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षण देने वाले शिक्षकों ने भी प्रशासन के अधिकारियों को कई बार इस बात से अवगत कराया कि उनका कॉलेज बन गया है, छात्र-छात्राओं का आना जाना शुरू हो गया और प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है लेकिन यहां आने वाली सड़क का हाल बदहाल है. खस्ताहाल सड़क पर लोगों का चलना मुश्किल है. इसके बावजूद भी प्रशासन ने 3 साल जैसा लंबा समय निकल जाने के बावजूद भी इनकी सुनवाई नहीं की है जिससे स्थिति बहुत भयानक और खतरनाक होने के साथ-साथ दयनीय बनी हुई है.