
Elephant Death: पन्ना टाईगर रिजर्व के परिक्षेत्र हिनौता के अंतर्गत सबसे बुजुर्ग हथनी लगभग 100 वर्ष से अधिक आयु की वत्सला की 8 जुलाई मंगलवार को मृत्यु हो गई. वत्सला को एशिया की सबसे बुजुर्ग हथनी माना जाता है. पन्ना टाईगर रिजर्व के अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा वत्सला का अंतिम संस्कार किया गया. वत्सला हथनी पर्यटकों के लिये आकर्षण का केन्द्र रही है. सबसे बुजुर्ग होने से वह पूरे हाथियों के दल का नेतृत्व करती रही है. अन्य मादा हाथी के प्रसव एवं बच्चा होने के उपरांत वह एक नानी अथवा दादी के रूप में अपनी भूमिका निभाती थी.
केंद्रीय मंत्री से लेकर CM तक ने जताया शोक
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लिखा है कि "आज एक दु:खद समाचार ने हृदय को व्यथित कर दिया. पन्ना टाइगर रिजर्व की गौरवशाली धरोहर, हम सबकी अत्यंत प्रिय वत्सला अब हमारे बीच नहीं रहीं. वे दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनियों में शुमार थीं। दशकों तक उन्होंने दादी की तरह नन्हे हाथियों की देखभाल की. पन्ना टाइगर रिजर्व में उन्हें देखना और पुकारना, एक आत्मीय संवाद जैसा अनुभव होता था. वत्सला, तुम सदा हमारी स्मृतियों में जीवंत रहोगी. अलविदा! "
आज एक दु:खद समाचार ने हृदय को व्यथित कर दिया। पन्ना टाइगर रिजर्व की गौरवशाली धरोहर, हम सबकी अत्यंत प्रिय वत्सला अब हमारे बीच नहीं रहीं।
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 8, 2025
वे दुनिया की सबसे उम्रदराज हथिनियों में शुमार थीं। दशकों तक उन्होंने दादी की तरह नन्हे हाथियों की देखभाल की।
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मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने लिखा है कि "'वत्सला' का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा. पन्ना टाइगर रिज़र्व में आज दोपहर 'वत्सला' ने अंतिम सांस ली. वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मप्र की संवेदनाओं की प्रतीक थीं. टाइगर रिज़र्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर और अस्तित्व में आत्मीयता लिए रहीं. उसने कैंप के हाथियों के दल का नेतृत्व किया और नानी-दादी बनकर हाथी के बच्चों की स्नेहपूर्वक देखभाल भी की. वह आज हमारे बीच नहीं है, पर उसकी स्मृतियां हमारी माटी और मन में सदा जीवित रहेंगी. 'वत्सला' को विनम्र श्रद्धांजलि!"
'वत्सला' का सौ वर्षों का साथ आज विराम पर पहुंचा। पन्ना टाइगर रिज़र्व में आज दोपहर 'वत्सला' ने अंतिम सांस ली।
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) July 8, 2025
वह मात्र हथिनी नहीं थी, हमारे जंगलों की मूक संरक्षक, पीढ़ियों की सखी और मप्र की संवेदनाओं की प्रतीक थीं।
टाइगर रिज़र्व की यह प्रिय सदस्य अपनी आंखों में अनुभवों का सागर… pic.twitter.com/u8a6ZBAKEj
ऐसा रहा जीवन का सफर
क्षेत्र संचालक पन्ना टाईगर रिजर्व ने बताया कि मादा वत्सला परिक्षेत्र हिनौता के खैरईयां नाले के पास आगे के पैर के नाखून टूट जाने के कारण बैठ गई थी. वनकर्मियों द्वारा उसको उठाने का काफी प्रयास किया गया. दोपहर को हथनी वत्सला की मृत्यु हो गई.
पन्ना टाईगर रिजर्व प्रबंधन के वन्य प्राणी चिकित्सक एवं विशेषज्ञों के द्वारा समय-समय पर हथनी वत्सला के स्वास्थ्य का परीक्षण किया जा रहा था. इसलिए वत्सला पन्ना टाईगर रिजर्व के विरल एवं शुष्क वन क्षेत्र में दीर्घ आयु की अवस्था तक जीवित रही. टाईगर रिजर्व में बाघ पुनर्स्थपना योजना में वत्सला का अहम योगदान रहा.
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