
Sawan 2025: भगवान शिव को प्रिय सावन मास का आरंभ 11 जुलाई से हो रहा है. सावन शिव भक्ति का महीना है. नीलकंठ पक्षी का भी महादेव से खास कनेक्शन है. मान्यताओं के अनुसार, नीलकंठ पक्षी को नीलकंठेश्वर के शांत और मंगलकारी स्वरूप का प्रतीक माना जाता है. इस माह में नीलकंठ पक्षी का दर्शन अत्यंत शुभ माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शंकर ही नीलकंठ हैं. इस पक्षी को पृथ्वी पर भगवान शिव का प्रतिनिधि और स्वरूप दोनों माना गया है. नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का ही रूप है. भगवान शिव नीलकंठ पक्षी का रूप धारण कर धरती पर विचरण करते हैं.
क्या है मान्यता?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नीलकंठ पक्षी के दर्शन होने से भक्तों को सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है. श्रीमद्भागवत के आठवें अध्याय में वर्णित है कि समुद्र मंथन के दौरान जब देवताओं और असुरों के बीच अमृत के लिए मंथन हुआ, तब हलाहल नामक विष निकला. इस विष ने संपूर्ण सृष्टि को संकट में डाल दिया. तब भगवान शिव ने इस विष का पान किया और उसे अपने कंठ में रोक लिया. इससे उनका गला नीला पड़ गया, जिसके कारण उन्हें नीलकंठ कहा गया. श्रीमद्भागवत गीता के आठवें अध्याय में शिव के इस सौम्य स्वरूप को ‘शितिकण्ठ' और ‘त्रिलोचन' के रूप में वर्णित किया गया है. श्रीमद्भागवत के चौथे अध्याय में ‘तत्पहेमनिकायाभं शितिकण्ठं त्रिलोचनम्' कहकर भगवान शिव के नीलकंठ वाले सौम्य रूप का वर्णन किया गया है.
धर्मशास्त्र के साथ ही स्वप्न शास्त्र में भी नीलकंठ पक्षी को खास और महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है. स्वप्न शास्त्र के अनुसार, सपने में नीलकंठ पक्षी को देखना बहुत ही शुभ माना जाता है. यह भाग्य के खुलने और सफलता का संकेत है. यही नहीं, अविवाहित लोगों के लिए, यह विशेष रूप से शुभ माना जाता है और इसका अर्थ है कि उनकी शादी में आने वाली बाधाएं खत्म होने वाली हैं और जल्द ही उन्हें जीवनसाथी मिल सकता है.
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